Panchatantra - Bhaag 3
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Panchatantra - Bhaag 3 , livre ebook

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Description

Panchatantra is perhaps the oldest collection of Indian fables still gaining strength and moving ahead. It is believed to have written around 200BC by the great Hindu Scholar Pandit Vishnu Sharma. Panchatantra means "the five principles". It is a "Nitishastra" which means book of wise conduct in life. Panchatantra consists of five books: 1. Mitra Bhedha (The loss of friends); 2. Mitra Laabha (Gaining friends); 3. Kakolukiyam (Crows and owls); 4. Labdhap-ranasam (Loss of gains); and 5. Aparikshitakarakam (Ill-considered actions). The simple stories of Panchatantra have stood the test of time in the modern age of materialism, stressful living and individualism, and aim to guide the young readers on how to attain success in life by understanding human nature.Key Features: Written in simple and lucid language Each story is supplemented by a moral Word meaning for vocabulary building Practice exercise given for better understanding Panchatantra is commonly available in an abridged form for children. It is an ideal book worth going through many times over. Honestly speaking, it is of far more practical importance for elders to read this book since it is they who always come in contact with people having good, doubtful or bad intensions and motives.A must read for students of all age groups. #v&spublishers

Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 01 septembre 2015
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352151325
Langue English
Poids de l'ouvrage 9 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0225€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

प्रकाशक

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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-521513-2-5
संस्करण :2020
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गयी सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उद्धरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोत के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक या प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धृत बेवसाइट हटा दी गयी हो।
इस पुस्तक में उल्लिखित विशेषज्ञ के राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिये गये विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जायेगा।
उचित मार्गदर्शन के लिए पुस्तक को माता-पिता एवं अभिभावक की निगरानी में पढ़ने की सलाह दी जाती है। इस पुस्तक के खरीददार स्वयं इसमें दिये गये सामग्रियों और जानकारी के उपयोग के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।
इस पुस्तक की सम्पूर्ण सामग्री का कॉपीराइट लेखक/प्रकाशक के पास रहेगा। कवर डिजाइन, टेक्स्ट या चित्रों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन किसी इकाई द्वारा किसी भी रूप में कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा और इसके परिणामों के लिए जिम्मेदार समझा जायेगा।

प्रकाशकीय
प्र स्तुत पुस्तक 'पंचतंत्र' की गणना विश्व के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों में की जाती है। पंचतंत्र का रचनाकाल पाँचवी शताब्दी माना गया है। इसके रचयिता श्री विष्णुशर्मा थे। नारायण पंडित का ‘हितोपदेश’, और फारसी ग्रंथ 'अनवर ई दानिश' का आधार पंचतंत्र को माना जाता है। पंचतंत्र में पशु-पक्षियों पर ढालकर लिखी गयी ज्ञानवर्द्धक कहानियाँ हैं। पंचतंत्र की सरल कथाओं से बच्चे, युवा और बड़े बुजुर्ग सभी को सीखने को बहुत कुछ मिलता है। पंचतंत्र की कहानियाँ पाठक को व्यवहार कुशल तथा नीतिज्ञ बनाती हैं। सामाजिक ज्ञान तथा व्यावहारिक ज्ञान का खजाना भरा पड़ा है। यह पुस्तक पंचतंत्र का सरल हिन्दी रूपान्तरण है। प्रत्येक कहानी के अंत में कहानी से प्राप्त होने वाली शिक्षा को दिया गया है। सफलता के लिए जितनी जानकारी आवश्यक है उतना इस पुस्तक में यथेष्ट रूप में दिया गया है।
हम आप सबको इस पंचतंत्र की रोचक कहानियों को पढ़कर ज्ञानार्जन करके नीतिनिपुण बनने की सद्इच्छा व्यक्त करते हुए यह कहानीरूप में प्रस्तुत अनमोल धरोहर आपके हाथों में सौंपता हूँ।
-प्रकाशक
 

 
विषय सूची
कवर
मुखपृष्ठ
प्रकाशक
प्रकाशकीय
विषय सूची
शिकारी और कबूतर
ब्राह्मण मित्र और शेर को जीवनदान
ब्राह्मण की पत्नी और नेवला
गौरैया और जंगली हाथी
केकड़ा और बगुला
जुड़वाँ
दो सिर वाला जुलाहा
बुद्धिमान हंस और बातूनी कछुआ
लड़की और उसका सर्प- पति
बन्दर और मगरमच्छ

 
शिकारी और कबूतर

ए क क बार किसी जंगल में कबूतरों का एक झुण्ड रहता था। उनका एक बहुत चतुर एवं बुद्धिमान राजा था।
एक दिन कबूतरों का झुण्ड खाने की तलाश में उड़ान पर निकला। उन्हें काफी दिनों से भोजन नहीं मिला था और वह बहुत भूखे थे। कुछ समय उड़ने के पश्चात् कबूतरों को एक जगह जमीन पर अन्न के दाने दिखें। 'इधर सब लोग देखो, यहाँ कुछ स्वादिष्ट दाने बिखरे हुए हैं चलो, हम वहाँ चलते हैं और उन्हें खाते हैं।' एक कबूतर बोला! वे सभी अन्न के दानों की ओर नीचे उतरने लगे। आखिरकार उन्होंने अपने लिए भोजन खोज ही लिया, यह सोचते हुए जमीन पर उतर गये।
जैसे ही कबूतरों ने दाने चुगना आरम्भ किया एक भारी जाल उनके ऊपर आ गिरा।

हमारी सहायता करो, सहायता करो, सब कबूतर यह चिल्लाने लगे। तभी उन्हें अपनी ओर एक शिकारी आता हुआ दिखा। सारे कबूतर शिकारी को आता देखकर भयभीत हो उठे। वे सब जानते थे कि वह उन सबको पिजड़ों में रखेगा और वे कभी दोबारा नहीं
उड़ सकेंगे। वे और जोर से चीखने लगे। फिर, कबूतरों के राजा ने उनसे शान्त रहने को कहा। राजा सभी कबूतरों को बचाने की योजना सोच रहे थे। अचानक उनके दिमाग में एक विचार कौंधा। उसने सारे कबूतरों से कहा, 'हमें एक साथ उड़ने का प्रयास करना चाहिए। यदि हमें यहाँ से निकलना है तो हमें अपनी पीठ पर पड़े जाल को लेकर एक साथ उड़ना होगा।' अन्य कबूतर इस बात से सहमत हो गये। शीघ्र ही सारे कबूतरों को इसके लिए निर्देश दे दिया गया। सभी ने एक साथ अपने पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिये और शीघ्र ही जाल के साथ उड़ चल

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