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Description
Ghosts may not be real but strange accounts about them have given rise to all kinds of stories. So strong is the compelling power of such accounts that even the die-hard rationalists start having doubts. In fact, there are stories of ghosts and spirits from all over the world. And the interesting thing is that many people actually claim to have seen ghosts! This book is an honest attempt to chronicle such accounts from different parts of the globe. The reader unknowingly gets swayed into a new world of thrill and wonder. Illustrations and photographs make the matter vivid and interesting.
Sujets
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 24 mai 2012 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789352150267 |
Langue | Hindi |
Poids de l'ouvrage | 1 Mo |
Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
लेखक अशोक कुमार शर्मा
प्रकाशक
F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-814482-3-6
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020
प्रकाशकीय
आज का ज़माना तेजी का ज़माना है। किसी भी व्यक्ति की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने आसपास की दुनिया के बारे में कितना जागरूक है। यही कारण है कि आज का पाठक ऐसा साहित्य पढ़ना चाहता है जो न केवल उसका मनोरंजन करें अपितु उसकै ज्ञान- भण्डार में भी वृद्धि करें। हमारे प्रकाशनों में इन्ही दोनो का संगम मिलता है। सुरुचिपूर्ण, कलात्मक एवं प्रामाणिक सामग्री से युक्त हमारी पुस्तकों के मूल्य भी इतने वाज़िब होते है कि साधारणतम आय वंर्ग का पाठक भी उसे ख़रीद पाये। यहीं कारण है कि आज हमारी पुस्तके पॉकेट बुक्स से बाज़ी लेती हुई लोकप्रियता एवं विक्रय के नये प्रतिमान स्थापित करती जा रही है।
प्रस्तुत पुस्तक विश्व -प्रसिद्ध भूत-प्रेत घटनाएं इस श्रृंखला की श्रेष्ठ पुस्तक है। भूत-प्रतों के अस्तित्व को लेकर उतनी ही अटकबाजियाँ एवं कोलाबे जोड़े जाते रहै है, जितने कि पृथ्वी के अतिरिक्त कहाँ-कहाँ जीवन जैसे विषय को लेकर। कोई इन्हें साइकिक एनर्जी मानता है, तो कोई कपोल-कल्पित बकवास । इस पुस्तक का उद्देश्य भूत-प्रेतों के अस्तित्व को सिद्ध करके जन-साधारण में अन्धविश्वास एवं भ्रान्तियाँ फैलाना नहीं है। हमने तो केवल विश्व के विभिन्न देशों में चर्चित 'भूत-प्रेतों से जुड़ी सनसनीख़ेज़ घटनाओँ का संकलन भर करके उसे रोचक शैली में प्रस्तुत कर दिया है। बड़े यत्न रने उन स्थानों एवं पात्रों के प्रामाणिक चित्र भी जुटा दिये है, जिनके इर्द-गिर्द इन घटनाओँ का कथाचक्र घूमता है। भूत होते है अथवा नहीं-हस विवाद में हम स्वयं न उलझकर इसका निर्णय आप पर ही छोड़ते है।
यह पुस्तक हमने आपके लिए विशेष रूप से मेरठ (उ.प्र.) में कार्यरत जिला सूचना अधिकारी श्री अशोक कुमार शर्मा से लिखवायी है, जिन्होंने इस विषय पर काफी भाग-दौड़ करके प्रामाणिक सामग्री एकत्रित की है। आशा है, पुस्तक आपको रुचिकर लगेगी।
… प्रकाशक
घटना-क्रम
1. रोमांचक रहस्य
2. हीथ्रो का तिगड्डा
3. व्हाइट हाउस के भूत
4. अभिशप्त प्रेतात्मा
5. शाही बदनसीब
6. महाप्रेत सोगोरो
7. भुतहा घटनाएं
8. कलाबाज भुत
9. पनडुब्बी में प्रेत
10. भुतहा संगीत शिक्षक-I
11. भुतहा संगीत शिक्षक-II
12. भुतहा चेहरों का आतंक
13. ममता का पछतावा
14. कंकालों का नाच
15. भूत का बयान
16. भुतहा सेनाएं
17. अलौकिक जानवर
18. खानुआ के सेनिक
19. भयानक हाथ
20. पादरी की प्रेतलीला
21. विमान में भूत
22. फ्लाइंग डचमैन
23. भुतहा बदकिस्मती
24. शाही भूत
25. भुतहा खोपडियाँ
26. ताहिरा का रहस्य
27. राजमार्गों पर प्रेतलीला
28. ड्ररी लेन थियेटर के भूत
29. पर्दे के पीछे
30. प्रेत का मायाजाल
31. काबू में कंप्यूटर भी:
32. भूतहा चेतावनी
रोमांचक रहस्य
भूत-प्रेतों की दुनिया भी अजीब होती है। सिर्फ कुछ लोग ही उनके अस्तित्व पर संदेह नहीं करते, बल्कि कई उदाहरण तो ऐसे भी हैं, जहां भूतों को भी यह मालूम नहीं चला कि वे कब भूत बन गये।
श्री मती ट्रायन हतप्र्भा थीं। उनको अपनी आखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था। उन्होंने हाथ बढाकर, नौसेना की वर्दी में सजे अपने पति सर जॉर्ज ट्रायन को छूना चाहा। यह देखकर, वहा उपस्थित मेहमानों की चीख निकल गयी कि लेडी ट्रायन का हाथ सर ट्रायन के आर -पार निकल गया।
इस प्रकार 22 जून, 1893 की उस शाम, लंदन के संपन्न नागरिको की शानदार बस्ती ईटन स्कवायर में आयोजित वह पार्टी भगदड़, चीख -पृकार और दहशत के माहौल में बदल गयी।
श्रीमती ट्रायन उसी वक्त बेहोश हो गयीं। तभी एक बुढिया ने सर ट्रायन से पूछा, “आप जिदा हैं?”
सर ट्रायन ने अचंभे से उस औरत को देखा और आंखो में गहरे अविश्वाश के भाव लिये, वह अचानक ही गायब हो गये।
उस वक्त तक ब्रिटेन की "शाहीँ नौसेना के 13 जहाज, के साथ वाइस एडमिरल सर ट्रायन लीबिया (Libiya) के निकट भूमध्यसागर में एक दुर्घटना में डूब चुके थे। उनके युद्धपोत -विक्टोरिया में पानी भर चुका था और सर ट्रायन 22 अफसरों तथा 36 नौसैनिकों के साथ सैकड़ो फूट गहरे पानी में समा चूकै थे। उनके साथ गये सिर्फ 25 अफसर और 259 नौसैनिक बचे थे, जिन्होंने किनारे पहुंचकर सारी घटना बतायी। एक अफसर मैलविल ने बताया कि विक्टोरिया के डूबते वक्त, सर ट्रायन एक ओर जहाज की रेलिंग पकड़े दृढ़ता से खड़े थे। वह दूर कहीं देख रहे थे। शायद उन्हें अपनी बीवी की याद सता रहीँ थी।
सर ट्रायन को पता ही नहीं चला होगा कि वह कब मरे और कब भूत बन गये।
इसी तरह का मामला न्यूहैंपटनशायर में करीब 60 साल बाद हुआ। वहां बैस स्मिथ के परिवार ने 98 साल पुराना एक जर्जर मकान खरीदा था। उस मकान में सारा सामान जर्जर हो चुका था। इसलिए उन्होंने मकान की मरम्मत करानी शुरू की। शुरुआत में तो सब ठीक -ठाक रहा। मगर जेसे ही मकान के एक कोने में बने बाथरूम से, लोहे का एक जंग लगा बाथटब हटाया गया, मानो कयामत आ गयी। उस दिन के बाद, मकान में एक बूढे का भूत लगातार र्रदखायी देने लगा।
लीबिया के निकट जलपोत विक्टोरिया (ऊपर) में दुर्घटना (नीचे) घाटी। मृत्यु के उपरांत भी सर ट्रायन (मध्य) को बिश्वास नहीं हुआ कि वे मर चूकै हैं।
भूत की सबसे पहली शिकार स्मिथ परिवार की बड़ी लड़की 14 वर्षीया मैरी हुई।
अपने कमरे में गहरी नींद में सो रही मैंरी को एक रात अचानक ही यह लगा, जैसे उसे दो मजबूत हाथों ने पकड़ लिया हो। उसकी घिग्घी बंध गयी। डरकर उसने चीखना शुरू कर दिया। मगर उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकली। फिर वह बेहोश हो गयी। बेहोश होने से पहले उसने देखा, ड्रेसिंग गाउन पहने एक बूढा व्यक्ति, उस जगह, जहा पुराना बाथरूम था, दीवार में घुस रहा था।
अगले ही दिन मैरी की 4 वर्षीया बहन ट्यूलिप ने उसी बूढे को देखा। वह अपने बिस्तर से भागकर अपनी मां के कमरे में घुसकर बेहोश हो गयी। होश आने पर उसने कहा, “डैडी, उस बूढे को भगा दीजिए। वह हमारे कमरे की दीवार में छिपा बैठा है ।“बाद में तो इसी तरह की रोमांचक घटनाओं की बाढ़ ही आ गयी। स्मिथ परिवार ने डरकर प्रख्यात परामनोवैज्ञानिल नार्मन गाथियर से संपर्क किया। वह भूत-प्रेत भगाने में भी माहिर थे।
गाथियर अपने साथ दो व्यक्तियों को लेकर स्मिथ के घर गये। उन दो व्यक्तियों में एक पादरी था और दूसरा प्रेतात्माओं से संपर्क के माध्यम (Medium) का काम करता था।
उन लोगों ने घर में घुसते ही बता दिया कि वहां वाकई किसी प्रेतात्मा का निवास है।
गाथियर ने स्मिथ को बताया कि वह प्रेतात्मा एक बूढे व्यक्ति फिलिप की है, जिसके 6 3 साल की आयु में, अचानक ही दिमाग अथवा दिल की कोई नस फटने से मौत हो गयी थी। वह मरते वक्त बाथटब में नहा रहा था। अत: उसकी अचानक हुई मौत मेँ, फिलिप को पता ही नहीं चला कि वह मर कर भूत बन गया है और लोग उसके भूत से डर कर ही मकान छोड़ गये हैं। सालों वह अपने मकान में, इधर से उधर मंडराता रहा। जब स्मिथ परिवार ने वह मकान खरीदकर उसमें रद्दोबदल करनी शूरू की हैं तो वह चौंका उसे क्रोध भी आया कि ये लोग, उसके मकान में क्या कर रहे हैं। जब उसका प्रिय बाथटब हटाकर नया टब लगाया गया, तो फिलिप के क्रोध की कोई सीमा ही नहीं रही।
फिलिप की बीवी एल्थिया भी मर चुकीं थी। मगर उसे मालूम ही नहीं था कि वह मर चुकी है। उसने गाथियर को बताया कि एल्थिया की आत्मा उसे कहीं नहीं मिली। जब गाथियर ने उससे पूछा कि क्या वह भूतों को मानता है? तो फिलिप ने कहा, ''मैं तो अपने घर में ही रहता हुं, बाहर क्या होता है, मुझे नहीं मालूम ।''
बूढे को यकीन ही नहीं आ रहा था कि वह मर चूका है ।
बहुत प्रमाणों के बाद उसे यकीन आया कि वह मर कर भूत बन चुका है। और जब उसे यह विश्वास हो गया, तो वह एक दरवाजे में घुसकर गायब हो गया।
फिर उस मकान में वह कभी नहीं दिखा। इसी प्रकार के एक और प्रसिद्ध मामले में भी कुछ दोस्ती को पता ही नहीं चला कि वे मर गये हैं।
ब्रिटेन की शाही वायुसेना द्वारा सन् 1914 में बनवाया गया एयरपोर्ट बिरशेम न्यूटन सन् 1948 के बाद से, छात्रों को भवन-निर्माण की शिक्षा देने के लिए प्रयोग किया जा रहा था। एक बार लंदन की एक व्यावसायिक संस्था ने छात्रों के लिए एक फिल्म बनवाने को कैमरा टीम वहां भेजी तो यूनिट के सदस्यों के साथ अजीब- अजीब हादसे हुए। सभी भाग आए। उस यूनिट का एक सदस्य टेनिस का शौकीन था। एयरपोर्ट के भीतर भवन में स्क्वाश के दो कोर्ट बने थे। एक वार वह वहीं खेल रहा था (स्क्वाश दीवार पर गेंद मारकर जल्दी -ज़ल्दी तथा ताकत से खेला जाता है), तभी अचानक ही उसे लगा कि उसे कोई देख रहा है। उसने देखा, हॅाल की ओर अपने वाली गैलरी मे, दूसरे विश्वयुद्ध की पोशाक में एक पायलट खडा था। वह उसे नाराजगी भरी नजरों से देखता हुआ एक दीवार में जा घुसा तो फिल्म यूनिट का वह सदस्य भी भाग आया।
इस घटना की खोजबीन प्रख्यात परामनोवेज्ञानिय पीटर क्लार्क ने की थी। बी.बी.सी. रेडियों ने भी उसमें मदद दी और पाया कि एयरपोर्ट के हॉल में अज्ञात सैनिकों की आवाजें और हवाई-जहाजों के उड़ने और उतरने की ध्वनियों भरी हुई थी।
कुछ समय बाद, सनृ 1972 में बी.बी.सी .की टेलीविजन टीम भी वहीं गयी। टीम के साथ यूरोप के प्रसिद्ध भूत-बाधा विशेषज्ञ जॉन सुटन भी थे। इस कार्यक्रम को लाखों लोगों ने टेलीविजन पर देखा। सुटन ने भृन-प्रेतों से संपर्क किया, तो पता चला कि वहां चार भूत थे। उनमें से एक वायुसेना का सिपाही विली था। विली ने दूसरे महायुद्ध के दौरान आत्महत्या की थी। विली जानता था कि वह मर चुका है। तीन भूत और भी थे, उनके नाम-गैरी (डस्टी), मिलर, पैट सुलिवन और गैरी आरनाल्ड थे-तीनों टेनिस पेमी थे। तीनों ही गहरे दोस्त थे और एक विमान दुर्घटना में अचानक ही मारे गये थे। अचानक हुए हादसे में, वह यह मान ही नहीं रहे थे कि उनके मृत्यु हो गयी है।
तीनों भूतो को यह अजीब-सा लगता था कि वे सबको देख सकते हैं, महसूस कर सकते है, मगर लोग उनसे बात करना ही नहीं चाहते। मजे की बात यह कि उनमें से कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि वह मर चुका था।
एयरपोर्ट के हॅाल में प्रार्थनाएं की गयीं, चा