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Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 01 avril 2016 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789350577035 |
Langue | English |
Poids de l'ouvrage | 17 Mo |
Informations légales : prix de location à la page 0,0300€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
प्रकाशक
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505770-3-5
संस्करण 2021
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
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प्रकाशकीय
वी एण्ड एस पब्लिशर्स पिछले अनेक वर्षों से जनरुचि, शैक्षणिक तथा सामान्य ज्ञान की पुस्तकें प्रकाशित करते आ रहे हैं। पुस्तक प्रकाशन की अगली कड़ी में हमनें बच्चों के ज्ञानवर्द्धन के लिए 'यूनिवर्स' पुस्तक प्रकाशित किया है ।
सामान्यतः बच्चों की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए पाठ्य पुस्तकें तो हैं, फिर भी ये उनकी असीम जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए पर्याप्त नहीं होती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष, तारे, सौरमण्डल, बुध, पृथ्वी की उत्पत्ति, चट्टानें, भूकम्प, पर्वतों का निर्माण, मौसम और जलवायु आदि का चित्रों सहित वर्णन किया गया है ।
हमें विश्वास है कि यह पुस्तक बच्चों एवं उनके अभिभावकों को पसंद आएगी। पुस्तक में पायी गई किसी त्रुटि या आपके बहुमूल्य सुझाव हेतु आपके पत्र हमारे पते पर सादर आमंत्रित हैं ।
विषय सूची
कवर
मुखपृष्ठ
प्रकाशक
प्रकाशकीय
विषय सूची
01 ब्रह्माण्ड (Universe)
1.अन्तरिक्ष (Space)
2.तारे (Stars)
3. पल्सर, ब्लैकहोल तथा क्वासर (Pulsars, Black Holes and Quasars)
4. मन्दाकिनियाँ (Galaxies)
5. सूर्य (The Sun)
6. सौरमण्डल (Solar System)
7. बुध (Mercury)
8. शुक्र (Venus)
9. पृथ्वी (Earth)
10. चन्द्रमा (Moon)
11. मंगल (Mars)
12. बृहस्पति (Jupiter)
13.शनि (Saturn)
14. यूरेनस (Uranus)
15. नेप्च्यून (Neptune)
16. प्लूटो (Pluto)
17. छुद्र ग्रह (Asteroids)
18. उल्का और उल्कापिण्ड (Meteors and Meteorites)
19. धूमकेतु ( Comets)
20. अन्तरिक्ष - अन्वेषण (Exploring Space)
21. चन्द्रमा की यात्रा (Journey to the Moon)
02 पृथ्वी (Earth)
1. पृथ्वी की उत्पत्ति (Origin of the Earth)
2.पृथ्वी और वायुमण्डल (Earth and Atmosphere)
3. स्थलमण्डल या भू-पर्पटी (Lithosphere or Crust)
4. महाद्वीप (Continents)
5. चट्टानें (Rocks)
6. भूकम्प (Earthquake)
7. पर्वतों का निर्माण (Mountain-Building)
8. वलन तथा भ्रंश (Folds and Faults)
9. ज्वालामुखी (VolcUnoes)
10. मरुस्थल (Deserts )
11. गीजर (Geyser)
12. गरम चश्मे (Hot Springs)
13.क्रेटर झील (Crater Lake)
14. अपरदन (Erosion )
15. महासागर (The Oceans )
16. नदियाँ (Rivers)
17. जल-प्रपात (Water Falls)
18. भूमिगत जल (Underground Water)
19. गुफाएँ और कन्दराएँ (Caves and Caverns)
20. मौसम और जलवायु (Weather and Climate)
21. कुहरा और हिमपात ( Fog and Snowfall)
22. बादल (Clouds)
23. वर्षा (Rain)
24. चक्रवात (Cyclones)
25. ग्लेशियर या हिमानी ( Glacier)
26. आर्कटिक प्रदेश (Arctic Regions)
27. पेट्रोलियम (Petroleum)
01 ब्रह्माण्ड (Universe)
1.अन्तरिक्ष (Space)
अन्तरिक्ष (Space) अन्तरिक्ष सभी दिशाओं में अनन्त तक फैला हुआ है
अन्तरिक्ष एक वायु रहित खाली विस्तृत क्षेत्र है, जिसकी सीमाएँ सभी दिशाओं में अनन्त (Infinity) तक फैली हुई हैं। सौरमण्डल, असंख्य तारे, तारकीय धूल और मन्दाकिनियाँ सभी अन्तरिक्ष के अवयव हैं। इसमें किसी प्रकार की हवा नहीं है, और न ही बादल हैं। दिन हो या रात, अन्तरिक्ष सदा काला ही रहता है। अन्तरिक्ष में कोई प्राणी नहीं रहता। निर्वात होने के कारण वहाँ कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता है ।
अन्तरिक्ष कहाँ से शुरू होता है, इस तथ्य की कोई जानकारी नहीं है। अन्तरिक्ष हमें चारों ओर से घेरे हुए है। समझने के लिए हम इतना ही कह सकते हैं कि अन्तरिक्ष वहाँ से शुरू होता है, जहाँ पृथ्वी का वायुमण्डल समाप्त होता है ।
आज का मानव शक्तिशाली रेडियो दूरबीनों, रॉकेटों, उपग्रहों, अन्तरिक्ष यानों और प्रोबों द्वारा अन्तरिक्ष पिण्डों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में लगा हुआ है। नये आविष्कारों से अन्तरिक्ष सम्बन्धी नये तथ्य हमारे सामने आये हैं।
* * *
1974 में अन्तरिक्ष प्रोब 'मैरिनर 10' द्वारा शुक्र और बुध सम्बन्धी
महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई
2.तारे (Stars)
शाम होते ही, अन्धेरा घिरने लगता है और धीरे-धीरे आसमान पर तारे दिखने लगते हैं। तारे चमकीले बिन्दुओ की तरह नजर आते हैं, क्योंकि ये बहुत दूर हैं। सूर्य भी एक तारा है लेकिन यह दूसरे तारों जैसा नहीं लगता, क्योंकि यह दूसरे तारों की तुलना में हमारे बहुत निकट है। यदि हम तारों के कुछ नजदीक पहुँच जायें, तो वे भी सूर्य की भाँति दिखायी देंगे। तारे चमकती हुई गैस के विशाल पिण्ड हैं। इनमें से कुछ सूर्य से बहुत बड़े और चमकीले हैं तथा दूसरे कुछ छोटे और धुँधले हैं। रीगल, नीले-सफेद दानव (Rigel, blue-white giant) का व्यास सूर्य से 80 गुना अधिक है। इसकी चमक सूर्य की अपेक्षा 60,000 गुना अधिक है।
तारे सफेद दिखायी देते हैं, लेकिन सभी तारे सफेद नहीं होते। कुछ नारंगी, लाल या नीले रंग के भी होते हैं। अत्यधिक गरम तारों का रंग नीला होता है और ठण्डे तारों का लाल। सूर्य पीला तारा है। नीले तारों का तापमान 27, 750° सें., सूर्य का 6000° सें. तथा लाल तारों का तापमान 1650° सें. होता है। इसलिए कोई भी अन्तरिक्ष यात्री कभी भी किसी भी तारे पर नहीं उतर सकता ।
अन्तरिक्ष यान को चन्द्रमा तक पहुँचने में तीन दिन का समय लगता है। सूर्य तक जाने में कई महीने चाहिए। अन्तरिक्ष यान को सबसे नजदीकी तारे तक पहुँचने में हजारों वर्ष लग सकते हैं। इतनी लम्बी दूरी को कि.मी. में मापना एक कठिन समस्या है। इसलिए वैज्ञानिक तारों की दूरी मापने के लिए प्रकाशवर्ष (Light year) और पारसेक (Parsec - Pc) इकाइयों का इस्तेमाल करते हैं। प्रकाशवर्ष वह दूरी है, जिसे प्रकाश तीन लाख कि. मी. प्रति सेकेण्ड की रफ्तार से चलकर एक वर्ष में तय करता है यानी 9.4607×102 कि.मी.। एक पारसेक (Pc) 3.26 प्रकाशवर्ष के बराबर होता है यानी 30.857×1012 कि.मी.।
चन्द्रमा से आने वाले प्रकाश को हम तक पहुँचने में 1.3 सेकेण्ड का समय लगता है। सूर्य से चलने वाला प्रकाश हम तक 8 मिनट 18 सेकेण्ड में पहुँचता है। लेकिन सूर्य के बाद सबसे नजदीकी तारे प्रोक्सिमा सेण्टोरी ( Proxima Centauri) से आने वाले प्रकाश को हम तक पहुँचने में 4.2 प्रकाश वर्षों का समय चाहिए। हमारी मन्दाकिनी में सबसे दूर के तारे की दूरी लगभग 63,000 प्रकाशवर्ष (19.325 Pc) है। सभी तारों का जन्म गैस और धूल के बादलों से हुआ है। सभी तारों में संगलन (Fusion) क्रियाओं से प्रकाश और गरमी पैदा होती है ।
* * *
3. पल्सर, ब्लैकहोल तथा क्वासर (Pulsars, Black Holes and Quasars)
पल्सर ( Pulsars )
'पल्सर' घूर्णन करते हुए ऐसे तारे हैं, जिनसे नियमबद्ध रूप से विकिरण स्पन्द आते रहते हैं। 'पल्सर' शब्द पल्सेटिंग रेडियो स्टार के लिए प्रयुक्त होता है ।
जब किसी बड़े तारे में विस्फोट होता है, तो उसका बाहरी भाग छिटककर नेबुला (Nebula) का रूप धारण कर लेता है और क्रोड घटकर छोटा सघन तारा बन जाता है, जिसे 'न्यूट्रॉन तारा' (Neutron Star) कहते हैं। इनमें न्यूट्रॉन बहुत ही पास-पास होते -हैं तथा इनका घनत्व भी बहुत अधिक होता है। ये छोटे और बहुत धुँधले होते हैं। एक न्यूट्रॉन तारे का औसत व्यास 10 कि.मी. होता है। न्यूट्रॉन तारे ही 'पल्सर' कहलाते हैं I
रेडियो दूरबीन पर पल्सर से आता किरणपुंज (Beams ) 'टिक' जैसी आवाज पैदा करता है | तेजी से घूमते हुए ये न्यूट्रॉन तारे अन्तरिक्ष में लाइटहाउसों की तरह हैं। साधारण पल्सरों की फ्लैश के बीच का अन्तराल 1 या 1/2 सेकेण्ड होता है। अति तीव्रता से स्पन्दन करने वाला पल्सर NP 0532 है, जो 'क्रेब नेबुला' में स्थित है। यह 1 सेकेण्ड में 30 बार स्पन्दन करता है। सबसे पुराना और मन्द गति से घूर्णन करने वाला पल्सर NP 0527 है, जिसकी स्पन्दनों के बीच का अन्तराल 3.7 सेकेण्ड है। सभी पल्सर 0.03 सेकेण्ड से 4 सेकेण्ड की अवधि में एक स्पन्द पैदा करते हैं ।
सामान्यतः पल्सरों को प्रकाशीय दूरबीन से नहीं देखा जा सकता। इन्हें खोजने के लिए रेडियो दूरबीनों की आवश्यकता होती है। केवल दो पल्सर ऐसे हैं, जिन्हें प्रकाशीय दूरबीनों से देखा जा सकता है। पहला NP 0532 क्रेब नेबुला में है और दूसरा PSR 0833-45 गम नेबुला में है। अब तक वैज्ञानिक 100 से अधिक पल्सरों का पता लगा चुके हैं।
ब्लैकहोल (Black Hole )
सूर्य से भी तीन गुने विशाल तारों के समाप्त होने पर अन्तरिक्ष में काले क्षेत्र बच जाते हैं जिन्हें 'ब्लैकहोल' कहते हैं। इनका कुछ गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि कोई भी वस्तु जो ब्लैकहोल में चली जाती है, बाहर नहीं आ सकती। यहाँ तक कि में प्रकाश भी गुरुत्वाकर्षण के कारण बाहर नहीं आ पाता ।
सन् 1972 में सबसे पहले ब्लैकहोल की पहचान की गयी थी। यह सिग्नस (Cygnus) एक्स-1 के दुहरे तारे में था। यह दुहरा तारा एक्स-किरणों का स्रोत है। यह उसका एक छोटा साथी है, जो बिल्कुल काला है। यह न्यूट्रॉन तारा नहीं है, इसलिए इसको 'ब्लैकहोल' कहते हैं। सामान्यतः ब्लैकहोल
जब तारे में हाइड्रोजन कम हो जाती है, उसका बाहरी क्षेत्र फूलने लगता है और वह
लाल हो जाता है, तो यह तारे के जीवन के अन्तिम दिन होते हैं। एक विस्फोट के बाद
तारा अदृश्य हो जाता