Rajiv Ratan Gandhi
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Description

Rajiv Gandhi was reluctant to enter politics. He was accustomed to a 'high flying' routine as he used to fly aeroplanes in the lofty skies as a pilot. But by quirk of fate he was compelled to occupy the 'cockpit' of Indian politics and steer the destiny of India, where he could reach still higher realms of eminence. Through his dedication and sincerity he hoisted India on the path of progress. He attained the pinnacles of glory in the service of his motherland and brought rare honour and fame to the country. He used to say that he always cherished a dream which he wanted all Indians to cherish with him to make India a land of prosperity and excellence through the dedicated and selfless work of each Indian, in every aspect of life and profession.

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Informations

Publié par
Date de parution 01 janvier 0001
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352785971
Langue English

Informations légales : prix de location à la page 0,0118€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

“आइए, हम ऐसे भारत का निर्माण करें जो एकता के सूत्र में बँधे हुए; जाति, धर्म और क्षेत्रीयता की दीवारों से परे हो; गरीबी, सामाजिक एवं आर्थिक विषमता के बंधनों से उन्मुक्त हो।”
‒ राजीव गांधी
राष्ट्रीय जीवन माला
राजीव रत्न गांधी
 

 
eISBN: 978-93-5278-597-1
© प्रकाशकाधीन
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली- 110020
फोन : 011-40712100
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
संस्करण : 2016
Rajiv Ratan Gandhi
By - Meena Agarwal
अपनी बात
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू–श्री राजीव गांधी के नाना थे। बालक राजीव के जन्म के समय वे जेल में थे। उन्होंने इंदिरा जी को लिख भेजा कि बालक का नाम उसकी नानी के नाम पर रखा जाए। तब विचार-विमर्श कर नाम रखा गया‒राजीव रत्न गांधी। राजीव का अर्थ होता है कमल और रत्न का अर्थ जवाहर! इस प्रकार नानी कमला और नाना जवाहर का धेवता राजीव रत्न गांधी कहलाया। लेकिन लोगों ने उन्हें राजीव गांधी नाम से ही सम्बोधित किया। जब पंडित नेहरू का स्वास्थ्य दिन पर दिन गिरता जा रहा था तो उस समय समाचार पत्रों में निरंतर यह चर्चा चलती रहती थी कि ‘नेहरू के बाद कौन?’
हालांकि इंदिरा गांधी के बाद की स्थिति वैसी नहीं थी। ‘इंदिरा गांधी के बाद कौन?’ इस प्रकार का प्रश्न कभी उत्पन्न नहीं हुआ। साधारणतया यह समझा जाने लगा था कि इंदिरा गांधी के बाद राजीव रत्न गांधी ही भारत के प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित करेंगे। किंतु इंदिरा गांधी की निर्मम हत्या के बाद जो प्रश्न उठा वह था–‘इंदिरा के बाद क्या?’ भारत के भविष्य की आशा की किरण कहाँ दिखाई देती थी? भारत में विनाश, विघटन और हत्या का एक प्रकार से ताण्डव-सा दिखाई देने लगा था। अतः ‘इंदिरा के बाद क्या’ जो सवाल उठा, उसका अभिप्राय यही था कि वह रास्ता कहाँ है, जो हमें इस सबसे उबार कर शांति और प्रगति के मार्ग पर ले जाए।
भारत को जो सबसे अधिक खतरा था, वह था–साम्प्रदायिकता, धार्मिक पृथकतावाद, जातिवाद आदि से। भारत का स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए स्वतंत्र राज्य की नीति सदा धर्मनिरपेक्षता की रही है, किंतु यह मानना पड़ेगा कि इसके बावजूद नागरिकों के जीवन में धर्मनिरपेक्षता का वह रूप स्थान नहीं ले पाया जिसकी कि सरकार को अपेक्षा रही थी। यही कारण था कि इस क्षेत्र में सदा तनाव बना रहा। भिण्डरावाले आदि जो भी अलगाववादी तत्व थे, वे सब इसकी ही उपज थे।
भारतीय राजनीति में एक और जो कमी थी, बहुत बड़ी कमी–लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष। इस प्रकार दो दल अथवा दो विचारधारा के लोग होते हैं। मतदाता अथवा नागरिक भी इन दोनों में बँटे होते हैं। किंतु उस समय भारत में यह स्थिति नहीं थी। यद्यपि यहाँ सत्ता पक्ष के नाम से भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस थी। पिछले सैंतीस वर्ष से, केवल 30 मास का मध्यकाल छोड़कर, वही शासन कर रही थी। किंतु वह भी एक विचारधारा के व्यक्तियों का दल नहीं था। उसमें भी न केवल दक्षिण और वामपंथी सम्मिलित थे अपितु अन्य भी अनेक प्रकार और विचारों के व्यक्ति सम्मिलित थे। यही बात विपक्ष की थी। विपक्ष में कई मतों के अनेक दल थे और उन दलों की आंतरिक स्थिति भी राष्ट्रीय काँग्रेस की भाँति ही थी।
राजनीतिक भ्रष्टाचार भारत की जड़ों को खोखला कर रहा था। काँग्रेस के भीतर तो यह बहुत अधिक मात्रा में विद्यमान था। इस सबकी जड़ में हमारी नैतिकता थी। नए भारत के निर्माता के लिए यह चुनौती भरा समय था। नैतिकता को उभारकर भ्रष्टाचार को समाप्त करके ही परिणाम की आशा की जा सकती थी।
राजीव गांधी भले ही नेहरू खानदान से सीधे संबंधित न रहे हों, किंतु नेहरू परिवार से उनका घनिष्ठ संबंध था और नेहरू परिवार राज्य संचालन के मामले में नौसिखिया नहीं रह गया था। पंडित मोतीलाल नेहरू ने राज्य संचालन भले ही न किया हो, किंतु वे राज्य प्राप्ति के लिए संघर्ष करते रहे थे। इसी प्रकार राज्य संचालन की प्रक्रिया को वे भली-भाँति जानते थे। वे भारत के प्रसिद्ध बार-एट-ला थे। उनके बाद पंडित नेहरू भी उन्हीं की भाँति संघर्षरत रहे और अंत में राज्य की बागडोर सँभालने का दायित्व उन पर आया, जिसे उन्होंने बड़ी सुंदरता से निबाहने का यत्न किया। उनके बाद राजीव गांधी की माता श्रीमती इंदिरा गांधी को राज्य का दायित्व सँभालना पड़ा। इस प्रकार राजीव गांधी को परम्परा से राज्य संचालन प्रक्रिया प्राप्त हुई थी, वे नौसिखिया जैसे नहीं थे।
राजीव अपनी सौम्यता, सादगी, संतोष और सच्चरित्रता के लिए प्रसिद्ध थे। आधुनिकता और पाश्चात्य परम्परा से ओतप्रोत वातावरण में अपने जीवन के अधिकांश वर्ष व्यतीत करने पर भी आधुनिकता के दुर्गुण उनको स्पर्श नहीं कर पाए, यह उनके चरित्र की महानता ही थी और इस महानता का पालन वे विभिन्न पदों पर रहते हुए भी करते थे, इसमें कोई भी संदेह नहीं है।
राजीव नए भारत के निर्माता के रूप में देखे जाते थे। भारतवासियों को उनसे बहुत आशाएँ थीं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि राजीव गांधी के नेतृत्व में हमारे देश, हमारी स्वतंत्रता, हमारे लोकतंत्र, हमारी परंपराओं ने दिन.ब.दिन प्रगति की। यह पुस्तक उन्हीं के महान जीवन दर्शन पर आधारित है। इसके माध्यम से पाठक और अधिक निकट से राजीव गांधी के जीवन-वृत्त के दर्शन कर सकते हैं।
–लेखक
विषय-सूची जीवन की प्रमुख घटनाएँ बचपन प्रधानमंत्री के रूप में प्रशासनिक सक्रियता राजनीति का काकपिट भद्रपुरुष राजनीति में मिस्टर क्लीन इंदिरा के उत्तराधिकारी काँग्रेस के अध्यक्ष राष्ट्र के नाम पहला संदेश इंदिरा के बाद का भारत 21 मई, 1991 मुकदमा और फैसला एक करिश्माई व्यक्तित्व इक्कीसवीं सदी के महानायक राजीव की विदेश नीति क्या कहते हैं लोग सोनिया की चलती तो राजनीति में नहीं होता जीवन संगिनी सोनिया राजीव गांधी ने कहा था अमेठी की हर साँस में रची-बसी हैं राजीव की यादें
1
जीवन की प्रमुख घटनाएँ
20 अगस्त, 1944 : मुम्बई में राजीव गांधी का जन्म। 1945 : इंदिरा गांधी अपने पति के साथ रहने के लिए आनंद भवन, इलाहाबाद आईं। 14 दिसम्बर, 1946 : छोटे भाई संजय गांधी का जन्म। 15 अगस्त, 1947 : देश आज़ाद हुआ और नाना पं. जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने। 29 जनवरी, 1948 : नन्हे राजीव बापूजी से मिले। 1954 : राजीव ने दून स्कूल में प्रवेश किया। 1956 : छोटे भाई संजय ने भी उसी स्कूल में प्रवेश किया। 1965 : कैम्ब्रिज में सोनिया माइनो से प्रथम भेंट। जनवरी, 1966 : माँ इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद का कार्यभार सँभाला; तब राजीव कैम्ब्रिज में ही शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। 25 फरवरी, 1968 : राजीव और सोनिया का विवाह। यह विवाह भारत में ही सम्पन्न हुआ। 1970 : राजीव गांधी ने विधिवत् विमान चालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 19 जून, 1970 : राजीव गांधी के पुत्र राहुल का जन्म। दिसम्बर, 1971 : पुत्री प्रियंका का जन्म। 23 जून, 1980 : छोटे भाई संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन। अपार शोक में डूबी माँ को राजीव ने सहारा दिया। 16 फरवरी, 1981 : राजीव गांधी ने दिल्ली में विशाल किसान रैली आयोजित किया। 30 अप्रैल, 1981 : भारतीय युवक काँग्रेस ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर राजीव गांधी से चुनाव लड़ने का आग्रह किया। 11 मई, 1981 : काँग्रेस महासचिव वसंत दादा पाटिल ने अमेठी से चुनाव लड़ने के लिए राजीव गांधी के नाम की घोषणा की। इसी दिन राजीव गांधी विधिवत् काँग्रेस के सदस्य बने और अमेठी से पर्चा भी भरा। 16 जून, 1981 : राजीव गांधी भारी बहुमत से संसद सदस्य चुने गए। 24 जून, 1981 : काँग्रेस कार्य समिति ने उन्हें विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल किया। 28 जून, 1981 : चीन के विदेश मंत्री से चीन आने का निमंत्रण मिला। 29 जुलाई, 1981 : इंग्लैंड के युवराज चार्ल्स के विवाह समारोह में शामिल हुए। 17 अगस्त, 1981 : राजीव गांधी ने संसद सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। 1982 : एशियाई खेलों के आयोजन में उल्लेखनीय भूमिका अदा की। 1983 : पार्टी के महासचिव चुने गए। 31 अक्टूबर, 1984 : माँ इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। नवम्बर, 1984 : आम चुनाव की घोषणा की गई। राजीव ने अमेठी से चुनाव लड़ने का इरादा व्यक्त किया। 29 दिसम्बर, 1984 : राजीव गांधी अमेठी से 3.14 लाख मतों के अंतर से विजयी। 31 दिसम्बर, 1984 : राजीव गांधी द्वारा 40 सदस्यीय मंत्रिपरिषद् का गठन। 27 दिसम्बर, 1985 : काँग्रेस के शताब्दी सम्मेलन में राजीव गांधी का ऐतिहासिक भाषण। 1987 : श्रीलंका में भारतीय शांति सेना भेजी गई। 1988 : बोफोर्स सौदे में नाम उछलने से प्रतिष्ठा को आघात। 1989 : काँग्रेस ने संसद में बहुमत खोया; राजीव ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दिया। 21 मई, 1991 : श्री पेरम्बुदूर में राजीव गांधी की हत्या। 1998 : राजीव गांधी के हत्यारों को सज़ा। 2004 : दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा स्व. श्री राजीव गांधीए बोफोर्स रिश्वत कांड से बरी।

 
2
बचपन

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुम्बई में हुआ था। उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू अहमदाबाद के कारागार में थे। उन्हें तुरंत ही राजीव के जन्म की सूचना दी गई। जब राजीव अपनी माँ के गर्भ में थे तभी पं. जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा गांधी से कहा था कि जब शिशु जन्म ले तो उसके जन्म के ठीक समय को नोट कर लिया जाए जिससे कि ठीक जन्मपत्री बनवाई जा सके। यही किया गया। राजीव का नामकरण उनकी नानी के नाम पर किया गया। यद्यपि कमला का अर्थ लक्ष्मी होता है और राजीव का कमल। तथापि उस समय जो सोचा गया वह ऐसा ही था कि राजीव का नाम उनकी नानी कमला के नाम पर रखा गया है।
इंदिरा गांधी अपने बच्चे के लिए जो कर सकती थीं, वे करती रहीं। वे जानती थीं कि बच्चे को सबसे अधिक माँ का ही प्यार और लालन-पालन चाहिए। माता ही उसकी प्रारम्भिक शिक्षक होती है। राजीव के जन्म के कुछ समय बाद इंदिरा जी बम्बई से प्रयाग आ गईं। वहाँ आने के कुछ समय बाद इंदिरा जी को विदित हुआ कि उनके पिता को नैनी जेल में लाया जा रहा है। वे पुलिस की कार से जाने वाले थे। इंदिरा जी अपने पिता को अपने पुत्र से मिलवाना चाहती थीं। अतः वे उसको लेकर उस मार्ग पर खड़ी हो गईं, जिधर से जवाहरलाल नेहरू कार द्वारा लाए जाने वाले थे। इंदिरा जी को बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ी। आखिरकार वह कार आती दिखाई दी। इंदिरा जी ने बच्चे को अपने हाथों में लेकर आगे कर दिया जिससे कि नेहरू जी उसको देख सकें। जब कार धीरे से उनके सामने से निकल गई तो इंदिरा जी को लगा कि नेहरू जी ने बच्चे को देख लिया है। वे उस ओर ही बैठे थे और बाहर की ओर देख रहे थे जिस ओर इंदिरा जी खड़ी थीं।
कुछ समय बाद 1945 में जवाहरलाल नेहरू को छोड़ दिया गया और इंदिरा जी अपने पति फिरोज गांधी और अपने पुत्र के साथ आनंद भवन में रहने के लिए आ गईं। उसी वर्ष जाड़ों में फिरोज गांधी को ‘नेशनल हैराल्ड’ समाचार पत्र, जो कि पं. जवाहरलाल नेहरू का अपना पत्र था, के संचालन के लिए लखनऊ जाना पड़ा। कुछ दिनों बाद इंदिरा जी भी राजीव को लेकर लखनऊ चली गईं। 14 दिसम्बर, 1946 को राजीव के छोटे भाई संजय गांधी का जन्म हुआ। उस समय तक वे दिल्ली में रहने लगी थीं।
15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री नियुक्त हुए। उस समय पिता को पुत्री की आवश्यकता अनुभव हुई। वे अपने पिता की देखरेख करने लगीं। उन दिनों गांधी जी भी दिल्ली में ही रह रहे थे। इंदिरा जी उनसे मिलने जाया करती थीं और कभी-कभी राजीव को भी अपने साथ ले जाया करती थीं। राजीव, गांधी जी के साथ उसी प्रकार खेला करते थे जिस प्रकार किसी जमाने में साबरमती में 4 वर्षीय उनकी माँ इंदिरा खेला करती थीं। एक दिन की बात है, राजीव कुछ फूल तोड़ लाए और उन्हें गांधी जी के चरणों में रख दिया। गांधी जी हँस पड़े और बोले–“राजीव! क्या तुम नहीं जानते कि जो व्यक्ति जीवित होता है, उसके चरणों में फूल नहीं चढ़ाए जाते?”
यह बात 29 जनवरी 1948 की थी। अगले ही दिन 30 जनवरी, 1948 को गांधी जी की हत्या कर दी गई।
तीन मूर्ति भवन, जहाँ इंदिरा जी अ

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