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Description
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 01 juin 2015 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789350573440 |
Langue | English |
Poids de l'ouvrage | 2 Mo |
Informations légales : prix de location à la page 0,0225€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
एक्युप्रेशर चिकित्सा
किसी भी प्रकार के दर्द तथा अन्य रोगों से प्रभावी आराम दिलाने के लिए प्रेशर डालने वाली सुरक्षित विधियों पर एक लाभदायक पुस्तक। बिना औषधि या बिना किसी ऑपरेशन के रोगों से छुटकारा दिलाने वाले सरल तरीके | इसके द्वारा बहुत-से रोगों को सदा-सदा के लिए दूर रखा जा सकता है। अपनी चिकित्सा आप करना सिखायें। एकदम तकनीकि यानी सर्जिकल पद्धति, जो अभ्यास करने पर पारंगत बनाये। कोई खर्च नहीं और दस गुना तथा स्थायी आराम। 120 रेखाचित्रों में बताये गये प्रेशर प्वाइंट्स द्वारा ढेरों रोगों का आसान इलाज।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें योग और भोजन द्वारा रोगों का इलाज स्वस्थ रहने के 51 सुझाव सर्वसुलभ जड़ी-बूटियों द्वारा रोगों का इलाज लेडिज हेल्थ गाइड सफल घरेलू इलाज हृदयरोगः क्या है, क्यों होता है और कैसे बचें? रोग पहचाने उपचार जाने किस बीमारी में क्या खायें क्या न खायें रीढ़ का दर्द समस्याएँ एवं यौगिक उपचार स्वास्थ्य सम्बन्धी गलतफ़हमियाँ योगासन एवं साधना
वी एण्ड एस पब्लिशर्स की पुस्तकें
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505734-4-0
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
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अपनी तरफ़ से
य ह ज़माना तरह-तरह के भयानक प्रदूषणों, अफ़रा-तफ़री, भाग-दौड़, अस्वास्थ्यकरं परिस्थितियों, संकर और मिलावटी वस्तुओं का है। इससे हर तरह के संकट खड़े हो रहे हैं, तो घर-घर में तरह-तरह की नई बीमारियां फैलती जा रही हैं। अनेक तरह के इलाज, बचाव के तरीक़ों और परहेज़ों के बावजूद इन जानलेवा बीमारियों से निदान नहीं। उधर विश्वव्यापी खोजें और अनुसंधान भी हैं, जो चिकित्सा विज्ञान को निरंतर शीर्ष पर ले जा रही हैं, फिर भी मनुष्य कष्ट में है, व्याकुल है। इसीलिए परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों की ओर से उदासीन होकर नई वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों की ओर दौड़ने लगा है। एक्युप्रेशर चिकित्सा इसी तरह की एक पद्धति है, जो अपने कई गुणों के कारण निरंतर लोकप्रिय हो रही है।
कहते हैं कि रोगों को दूर करने की शक्ति शरीर के भीतर ही विद्यमान होती है । ज़रूरत है उसकी कमजोरी को दूर करने की, ताकि वह पूरी क्षमता के साथ युद्ध लड़ सके। एक्युप्रेशर एक ऐसी तकनीक यानी सर्जिकल तरीका है , जिसमें कोई दवाई नहीं पिलाई जाती, न लेप लगाया जाता, न कहीं किसी चीर-फाड़ की आवश्यकता होती। वास्तव में हमारे शरीर के सभी भागों में प्रेशर पाइंट्स होते हैं। इन पर विधिवत दबाव डाला जाता है। इससे रोग ग्रस्त हिस्सा या रोग उद्वेलित होने लगता है और वह क्रमशः ठीक होता जाता है। अत: यह पद्धति रोग को दूर करती है , रोग से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाती है। यह विधि कोई भी दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट्स) नहीं डालती। इसलिए बेहद सुरक्षित और हानि रहित है।
इस पद्धति में अपने चिकित्सक आप स्वयं हो सकते हैं। आप घर-परिवार के सदस्यों का इलाज भी करना सीख सकते हैं। यदि चाहें तो सेवाभावी बनकर समाज की सेवार्थ अपनी सेवाएं हर किसी के लिए अर्पित कर सकते हैं, अपना एक्युप्रेशर सेंटर खोलकर । यह पुस्तक आपको पूर्ण चिकित्सक बनाने में सक्षम है। इसमें दिए गए 120 रेखाचित्रों में ढेरों प्रेशर पाइंट हैं, जो एक तरह से आपके शरीर में प्रेशर पाइंट्स का सम्पूर्ण नक्शा ही हैं। इनको पढ़ने, सीखने और समझने के बाद निरंतर अभ्यास करने से निश्चय ही एक्युप्रेशर चिकित्सा में पारंगत हुआ जा सकता है। यह सचमुच चमत्कारी प्रभाव छोड़ने वाली सस्ती और आसान प्रणाली है तथा पूरी तरह प्राकृतिक है।
विद्वान लेखक तथा चिकित्सक डॉ. आर. एस. अग्रवाल ने यह पुस्तक श्रमपूर्वक लिखी है। वह स्वयं प्रतिदिन रोगियों का उपचार करते हैं। इसका उन्हें लम्बे समय का अनुभव है। इस कारण यह पुस्तक अधिक व्यावहारिक (प्रैक्टिकल) बन गई है और चिकित्सकों के लिए ही नहीं, आम पाठकों के लिए भी सहज ग्राह्य बन पड़ी है। इस तरह यह हर किसी को पारंगत बनाने वाली सरल निर्देशिका है।
-सम्पादक
अंदर के पृष्ठों में...
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मुखपृष्ठ
प्रकाशक
अपनी तरफ़ से
अंदर के पृष्ठों में...
1 एक्युप्रेशर का इतिहास तथा सिद्धांत
2 एक्युप्रेशर द्वारा रोग निवारण के सिद्धांत
3 प्रेशर संबंधी आवश्यक नियम
4 पेट के रोग
1. कब्ज़
बवासीर
भगन्दर
2. पेट का दर्द
3. अजीर्ण
अपच या बदहजमी
पेट की गैस
4. नाभि की विचलितता (नाभि चक्र का रोग )
5. यकृत (जिगर), पित्ताशय और अंतड़ियां
पीलिया या कामला (Jaundice )
जिगर का सिरोसिस (Cirrhosis)
6. पित्ताशय एवं इसके रोग
पथरी
पित्ताशय की सूजन
7. अन्य रोग
5 गुर्दे के रोग
1. गुर्दे में पथरी
2. गुर्दे की सूजन
3. मूत्राशय की पथरी
4. पौरुष ग्रंथि (Prostate Gland) का बढ़ जाना
5. सोते समय पेशाब निकल जाना
6.मधुमेह या शुगर ( Diabetes)
6 गर्दन, कंधा, पीठ आदि के रोग
1. रीढ़ की हड्डी का दर्द
2. पीठ, कंधा तथा कमर के दर्द
3. गरदन, पीठ, टांगों, कुहनी आदि के दर्द के लिए आवश्यक निर्देश
7 आंख, नाक तथा कान के रोग आंखों के रोग
1. आंखों के ये रोग
रतौंधी (Night-blindness)
दिन में कम दिखाई देना (Day - blindness)
आंखों का आ जाना (Conjunctivitis )
2. नाक के रोग नाक
नज़ला-जुकाम
साइनोसाइटिस
3. कान के रोग
बहरापन
8 श्वास - संस्थान संबंधी रोग
1. दमा
2. निमोनिया
3. एलर्जी
4. खांसी
5. हिचकियां या हिक्का
6. पसलियों में दर्द
9 मस्तिष्क से संबंधित रोग
1. लकवा या पक्षाघात
2. मानस रोग या वहम
3. स्मृति की दुर्बलता
4. अनिद्रा का रोग
5. मांसपेशियों का लकवा
6. पोलियो
7. मिर्गी (Epilepsy) का रोग
10 मुंह तथा कंठ के रोग
1. टांसिल
2. गले का दर्द
3. कंठमाला या गलगंड (Goitre)
4. दांत दर्द, मसूड़ों का सूज जाना तथा मुंह की खुश्की
11 हृदय के रोग तथा रक्त संचार की व्याधियां
1. उच्च रक्तचाप (High blood Pressure)
2. निम्न रक्तचाप (Low blood Pressure)
3. सामान्य हृदय शूल (Angina Pectoris)
4. हृदय का दौरा (Heart Attack)
12 अस्थियों के जोड़ों और मांसपेशियों के रोग
1. घुटनों का दर्द।
2. गठिया का रोग
3. जोड़ों के रोग
रूमैटाइड अर्थराइटिस
हड्डी जोड़ की सूजन
एंकीलेसिंग स्पांडिलाइटिस
4. कोमल तंतु का दर्द
5. रूमैटिक फीवर
6. किशोरों को अर्थराइटिस
13 मानसिक रोग
1. बेचैनी होना (Anxiety )
2. अवसाद (Depression)
3. फोबिया
4. हिस्टीरिया
14 पुरुषों के सेक्स संबंधी रोग
1. नपुंसकता
2. शीघ्र पतन
3. शुक्रमेह
4. प्रजनन क्षमता की कमी
5. अंडकोषों की बीमारियां
6. स्वप्नदोष
7. हस्तमैथुन
15 स्त्रियों के असामान्य रोग
1. प्रथम ऋतुस्राव में विलम्ब
2. रज का कम होना
3. अति रज का रोग
4. अनियमित ऋतुस्राव
5. ऋतु का बंद होना: रजोरोध
6. जरायु या गर्भाशय प्रदाह
7. श्वेत प्रदर
8. योनि प्रदाह
9. स्तन में दर्द
10. गर्भाशय की स्थान भ्रष्टता
11. गर्भ न ठहरना
16. शरीर के अन्य सामान्य रोग
1. लू लगना
2. विषपान कर लेना
3. आंत उतरना ( हर्निया)
4. त्वचा के रोग,
5. आंखों में गर्मी का प्रभाव
6. मुंहासे निकलना
7. बिजली का झटका लगना
8. सांप का डसना
9. घाव या जख़्म
10. घबराहट या दम घुटना
11. कद का छोटा होना
12. तुतलाना तथा हकलाना
13. याददाश्त की कमजोरी
14. किसी मादक पदार्थ का नशा
15. शियाटिका
17 कुछ साधारण किंतु महत्त्वपूर्ण रोग
1. तेज सिर दर्द
2. मोटापा
3. शरीर सुन्न होना
1 एक्युप्रेशर का इतिहास तथा सिद्धांत
ए क्युप्रेशर शब्द का साधारण अर्थ है सूई से शरीर पर दबाव डालना, शरीर में स्थित > विभिन्न एक्युप्रेशर के बिन्दु गुप्त होते हैं तथा हाथ व पैरों के तलवों व शरीर के अन्य भागों में केंद्रित होते हैं, इन पर दबाव देकर बीमारी को जड़ से दूर करने का प्रयास किया जाता है।
- डॉ. केनीआन
एक्युप्रेशर प्रणाली क्या है?
आयुर्वेद में एक्युप्रेशर चिकित्सा को 'मर्म-ज्ञान चिकित्सा' के नाम से लिखा गया है। हमारे देश में ऋषि-मुनि तथा संत मर्म-ज्ञानी भी होते थे, जो शरीर के मर्मस्थानों को पहचानकर उनको स्पर्श करते थे और इस प्रकार रोगी ठीक हो जाते थे। ऐसा कहा जाता है कि एक्युप्रेशर चिकित्सा प्रणाली का प्रादुर्भाव भारत में आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व हुआ था। यहां से यह प्रणाली चीन पहुंची। वहां से यह विश्व के अन्य देशों में फैली।
गांवों में यह प्रणाली अन्य अनेक रूपों में आज भी प्रचलित है। ग्रामीण छोटे-मोटे रोगों को दूर करने के लिए शरीर के स्थान विशेष पर अंगूठे से दबाव देते हैं। कुछ स्त्री-पुरुष गोदना गुदवाते हैं। कुछ अंग विशेष पर हाथ फेरते हैं। ये सारे कार्य एक्युप्रेशर चिकित्सा प्रणाली के ही अंग हैं। लड़कियों