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Description
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 22 mars 2016 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789350576939 |
Langue | English |
Poids de l'ouvrage | 3 Mo |
Informations légales : prix de location à la page 0,0225€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
प्रकाशक
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505769-3-9
संस्करण 2021
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
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उचित मार्गदर्शन के लिए पुस्तक को माता-पिता एवं अभिभावक की निगरानी में पढ़ने की सलाह दी जाती है। इस पुस्तक के खरीददार स्वयं इसमें दिये गये सामग्रियों और जानकारी के उपयोग के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। इस पुस्तक की सम्पूर्ण सामग्री का कॉपीराइट लेखक / प्रकाशक के पास रहेगा। कवर डिजाइन, टेक्स्ट या चित्रों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन किसी इकाई द्वारा किसी भी रूप में कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा और इसके परिणामों के लिए जिम्मेदार समझा जायेगा।
प्रकाशकीय
मानव नव जीवन में खुशियों के मूल कारणों में 'सेक्स' का महत्त्व किसी से छिपा नहीं है। सेक्स वास्तव में एक प्राचीन कामकला है जिसके माध्यम से मनुष्य की शारीरिक तृप्ति होने के साथ उसे मानसिक तनावों से भी मुक्ति मिलती है। अकसर ऐसा देखा गया है हमारे समाज में बहुत से किशोर एवं किशोरियाँ काम-कला के अधूरे ज्ञान के कारण गलत आदतों का शिकार होकर अपना बहुमूल्य जीवन बर्बाद कर बैठते हैं।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए जनहित एवं आत्म-विकास की पुस्तकों के प्रकाशक ‘वी एण्ड एस पब्लिशर्स' ने नवीनतम पुस्तक 'सेक्स के रंग' प्रकाशित की है। प्रस्तुत पुस्तक में सेक्स के सभी जरूरी तथ्यों एवं बारीकियों को चित्रों सहित जानकारी दी गई है।
निश्चित रूप से यह पुस्तक सेक्स के विषय में समाज में फैली तमाम भ्रांतियों एवं निराशा को दूर करने में सहायक सिद्ध होगी।
हमें पूर्ण विश्वास है, हमारे पाठकगण हमारी अन्य पुस्तकों की भांति इस पुस्तक को भी अपनायेंगे। यह पुस्तक वास्तव में आपकी पारिवारिक खुशियों की नींव रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
विषय-सूची
कवर
मुखपृष्ठ
प्रकाशक
प्रकाशकीय
विषय-सूची
1. काम (Sex) का महत्व
बच्चों में सेक्स शिक्षा का महत्त्व
2. विवाह और परिवार
मीठे बोल कितने अनमोल
3. कुण्डली मिलान से अधिक आवश्यक मेडिकल चेकअप व पृष्ठभूमि
4. तैयारियाँ मधुर मिलन की
मिलन कक्ष (Goldennight Room )
सुहागरात और मिलन रात्रि में अन्तर
विवाह और लिव इन रिलेशनशिप
लिव इन रिलेशंस के कारण
5. प्यार के मोहक रंग
प्राकक्रीड़ाएँ (Fore play) और प्रणय क्रीड़ाएँ (Sex games)
चुम्बन करने की बाजी लगाना
प्रणय क्रीड़ा और सम्भोग हेतु की जाने वाली मालिश
मालिश के प्रकार
स्वास्थ्यप्रद मालिश का क्रम
अगल-बगल का भाग
मक्खनी मालिश
मक्खन में मिली मदिरा
साबुन की मालिश (Soapy massage)
प्रेम युद्ध या प्यार भरी लड़ाई
ना! ना! करके प्यार...
6. काम का सिंहासन
मिलन स्थल
स्वीमिंग पूल में सम्भोग
शिश्न प्रवेश प्रहार तथा घर्षण की मुख्य विधियाँ
वैवाहिक जीवन में भरें नये रस-रंग
1. काम (Sex) का महत्व
सुहागरात के मधुर सपनों को सजोता हुआ वह अत्यन्त स्वस्थ - सुन्दर युवा अपनी पत्नी के मिलन कक्ष में पहुँचा तो द्वार अन्दर से बन्द था। उसने द्वार खटखटाया, पत्नी को प्रेम भरी वाणी में पुकारा, परन्तु कोई उत्तर नहीं मिला। पुकार - पुकार कर जब वह थक चुका तब उसकी पत्नी ने द्वार के पीछे से क्रोधित स्वर में कही, 'तुम जैसे मूर्ख के साथ मैं नहीं रह सकती। लौट जाओ और उस समय तक मेरे पास नहीं आना जब तक तुम मेरे योग्य विद्वान नहीं बन जाओ।' और वह युवक घोर निराशा से भरा हृदय लेकर वापस लौट आया। पत्नी की चुनौती उसके हृदय को चीरती हुई प्राणों तक पहुँच गयी थी। उस अशिक्षित युवक के दृढ़ निश्चय किया कि वह एक दिन इतना महान विद्वान बन कर दिखाएगा कि पत्नी उसे स्वीकार किये बिना नहीं रह सकेगी। वह रात-दिन अध्ययन, मनन और लेखन में जुट गया। और कुछ वर्षों बाद वह अपने समय का महान् कवि तथा विद्वान बन कर प्रतिष्ठित हुआ। आप भी अवश्य जानते होंगे उस महान् कवि का नाम संस्कृत साहित्य के उस महान् कवि तथा नाटककार का नाम था - कालिदास। आज उसक रचनायें भारत में ही नहीं विश्व के अनेक देशों की भाषाओं में अनुवादित या रूपान्तरित हो चुकी हैं।
किसी भी क्षेत्र के महान् पुरुष या महिला का नाम लीजिए चाहें वह विज्ञान, साहित्य, राजनीति या कला का हो उसक सफलता के पीछे काम ऊर्जा का ही चमत्कार होता है। इसीलिए अंग्रेजी में कहा जाता है - There is always a woman behind every succeseful man. अर्थात् हर सफल पुरुष के पीछे हमेशा एक महिला होती है। आज नारी स्वतन्त्रता के युग में हम इसमें एक पंक्ति और जोड़ सकते हैं कि-There is always a man behind every successful woman अर्थात् हर सफल नारी के पीछे सदैव एक पुरुष होता है। संस्कृत में 'काम' को मनोज भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है मन का ओज या मन की आन्तरिक ऊर्जा।
यह एक गहरा रहस्य है कि किस प्रकार मन का यह ओज, प्रेम की यह आन्तरिक शक्ति स्त्री या पुरुष में रूपान्तरित होकर उससे ऐसे महान् कार्य करा देती है कि संसार आश्चर्य चकित रह जाता है।
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक फ्रॉयड व्यक्ति में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण से उत्पन्न भावनात्मक ऊर्जा को लिबिडो (Libido) कहा करते थे और उसे सबसे अधिक महत्त्व देते थे। इसे हम व्यावहारिक भाषा में यौन सम्बन्धी इच्छाएँ और आवेग कह सकते हैं।
हमारे पूर्व आर्यों द्वारा 'काम' (Sex) और उसके देवता 'कामदेव' को सबसे अधिक पूज्य माना गया है। कामदेव के समान कोई देवता नहीं है। काम नहीं हो तो मानवजाति नष्ट हो जाये। काम से ही हमारा जन्म होता है, यह जीवन मिलता है। जीवन न हो तो सब बेकार है। भारतीय संस्कृत कोष- लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा संकलित संपादित अथर्ववेद में प्रथम देवता के रूप में कामदेव को 'श्रद्धा' का और हरिवंश पुराण में लक्ष्मी का पुत्र कहा गया है। सच है व्यक्ति के ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा हो तभी उसे काम की सन्तुष्टि के लिए योग्य संगी या संगनी प्राप्त होती है और इसके साथ ही दोनो युवक तथा युवती में परस्पर श्रद्धा हो तभी काम (Sex) का आनन्द परमानन्द की झलक दिखाता है।
“सातिरेकमद कारणं रहस्तेन दत्तम मिलेषु रङगना.:
तामिर धुपहन्तं मुखासवं सोऽपि कुलतुल्य दोहद:"
महाकवि कालिदास द्वारा रचित 19वें सर्ग में वर्णन करते हुए कवि कहता है - जल में मनोरंजन करते समय राजा, यौवन की अधिकता से पगलाई विलासी युवतियों के उरोजों (स्तनों) से टकरा कर उनके साथ हिलते कमलों से भरे जल में विविध रीतियों से सम्भोग करता है। राजा मदहोश कर देने वाली मदिरा का घूँट भर कर उन सुन्दरियों के मुँह में डाल देता है। वे सुन्दरियाँ अपने मुँह में उस मदिरा को लेकर राजा के मुँह में डाल देती है और इस तरह राजा का वकुल (एक प्रकार का पौधा, पुरानी मान्यता के अनुसार इस पौधे में कली आने के बाद इस पर मुँह में मदिरा भर कर कुल्ला करने से पौधा फलता-फूलता है) दोहद पूरा होता है।
'मेघदूत' में महाकवि कालिदास कहते है, 'अलका नगरी के यक्ष बहुत रसिया है। काम की जल्दबाजी अर्थात् सम्भोग जल्दी से जल्दी करने की इच्छा के कारण वे काँपते हाथों से अपनी प्रेमिकाओं के नीवी बन्धन (कमर में पहने जाने वाले वस्त्र के नाड़े) को तोड़ देते हैं, फिर वे युवतियों के अधोवस्त्र (Undergarments) अलग कर देते हैं। तब लज्जा से सुन्दर ओठों वाली युवतियाँ घबड़ा कर रत्नदीपों के प्रकाश को बुझाने के लिए कुमकुम को मुट्ठी में भर कर उन पर फेंकती है ताकि अन्धेरा हो जाये और उनके उरोजों (स्तनों) और गुप्तांगो को उनका प्रेमी नग्न नहीं देख पाये।'
मनुष्य देह में काम का मूल केन्द्र कहाँ है इस बारे में अब विज्ञान पता लगा चुका है। लेकिन आज से कम से कम 6 या 7 हजार वर्ष पहले भी हमारे ऋषि-मुनियों को इस सम्बन्ध में ज्ञात था। इस बारे में भगवान शिव से सम्बन्धित एक पौराणिक कथा से ज्ञात होता है।
संक्षेप में यह कथा यों है-
शिवजी हिमालय पर तपस्या कर रहे थे। पार्वती जी ने सोचा कि वह उन्हें अपने हाव-भाव से मोहित कर लेंगी। वह कामदेव को लेकर शिवजी के पास पहुँची। कामदेव ने शिवजी की समाधि भंग कर दी। शिवजी ने नेत्र खोले तो उन्हें पुष्पवाण लिए कामदेव दिखायी दिये। उन्हें उस पर क्रोध आया जिससे उनका तृतीय नेत्र खुल गया और कामदेव भस्म हो गया। यह समाचार पाकर कामदेव की पत्नी रति शिवजी के पास पहुँची और बिलख-बिलख कर रोने लगी बोलीं! 'कामदेव ने तो अपना कर्तव्य पालन किया था, उसकी शिवजी से कोई शत्रुता नहीं थी।' इस पर भगवान शिव ने कहा कि कामदेव को अब शरीर तो नहीं मिल सकता परन्तु वह हर प्राणी के मनोमस्तिष्क में 'मनोज' रूप में रहेगा। इस प्रकार वह अमरत्व को प्राप्त कर लेगा।
संस्कृत में काम का अर्थ सेक्स (Sex) होता है। कामदेव को प्रणय का देवता माना जाता है। उसके पास भ्रमरों की पंक्ति से बनी प्रत्यंचा वाला धनुष और पुष्पों की वाण होते है। यूनान की प्राचीन कथाओं में कामदेव को क्यूपिड (Cupid) कहते हैं। उसको एक सुन्दर नग्न बालक के रूप में दिखाया जाता है। क्यूपिड के हाथों में भी धनुष तथा पुष्पों के वाण होते हैं। उसके शरीर पर पक्षियों जैसे पंख लगे दिखाये जाते है। क्यूपिड को वीनस (Venus) देवी का पुत्र माना जाता है। वीनस को सौन्दर्य और प्रेम की देवी के रूप में चित्रित किया गया है।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी सिर (मस्तिष्क) में स्थित पिट्यूटर ग्लैण्ड (Pituitary Gland), हाइपोथेलमस और फ्रंटल लाब सेक्स से सम्बन्धित अंगो के विकास और उनके कार्यों में मूल भूमिका निभाते हैं। वैसे भी यह एक सामान्य अनुभव की बात है कि जब स्त्री या पुरुष के मन किसी प्रकार के भय, चिन्ता, आतंक आदि भावों की प्रधानता होती है तो उसमें काम क्रियाओं या सम्भोग करने की इच्छा नहीं होती। सच्चा कामानन्द या सम्भोग सुख पाने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों के मन में प्रेम का भाव होना आवश्यक है। यह प्रेम जब स्त्री और पुरुष के बीच होता है उसे प्रणय कहते हैं। ऐसे प्रेम का आधार सेक्
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