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Description
Informations
Publié par | Diamond Books |
Date de parution | 19 juin 2020 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789352781775 |
Langue | English |
Informations légales : prix de location à la page 0,0132€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
मैरिज मैनुअल
(युवा दंपतियों के लिए सैक्स गाइड)
eISBN: 978-93-5278-177-5
© प्रकाशकाधीन
प्रकाशक: डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि .
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली-110020
फोन: 011-40712100, 41611861
फैक्स: 011-41611866
ई-मेल: ebooks@dpb.in
वेबसाइट: www.diamondbook.in
संस्करण: 1998
मैरिज मैनुअल
लेखक : डॉ सतीश गोयल
यौन-शिक्षा का अर्थ है-प्रत्येक व्यक्ति को-विशेषकर युवक और युवती को यौन- सम्बन्धी प्रत्येक उस आवश्यक बात का ज्ञान प्राप्त हो जिसे ग्रहण कर वह अपने भावी जीवन को सफल समृद्ध एवं सुखमय बना सके ।
स्त्री-पुरुष का परस्पर मिलन ही ‘सैक्स' है । जीवन का मुख्य आधार है उत्पत्ति और सैक्स के बिना उत्पत्ति असंभव है ।
वस्तुतः सैक्स को दाम्पत्य जीवन की नींव कहा जा सकता है इसलिए जीवन की उत्पत्ति सुख और विकास के लिए इसे अनिवार्य मानना होगा । सैक्स के नाम पर संकोच लज्जा भय अथवा घृणा का दृष्टिकोण उचित नहीं ।
सैक्स विषयक एक अत्यन्त उपयोगी पुस्तक
विषय-सूची यौन-शिक्षा परिचय यौनाचरण कितना उचित कितना अनुचित सहवास-सुख और शरीर-रचना कामोदीप्ति (संभोग-कला) सम्पूर्ण सम्भोग (स्त्री-पुरुष सम्मिलन) चुम्बन कला सम्भोग के बाद के क्षणों का महत्व स्त्री-पुरुष समागम में विलक्षणता लाने हेतुसहायक आसन सम्भोग-सम्बन्धी नियमों की जानकारी स्त्री और पुरुषों के भेद सैक्स तकनीक नारी की मनोभावनाएं विवाहित जीवन सैक्स, सहवास और दाम्पत्य जीवन सर्वोच्च व सर्वश्रेष्ठ दाम्पत्य धर्म सुहागरात पति-पत्नी सैक्स और क्षरण-सुखानुभूति सैक्स की अंधेरी गली और गुमराह स्त्री-पुरुष आदर्श दिनचर्या अपनाएं : यौन-क्षेत्र में आगे बढ़े सैक्स की समस्याएं और समाधान आत्मरति : किशोरियों की एक प्रमुख समस्या सैक्स : समस्याएं और समाधान
यौन-शिक्षा परिचय
यौन-शिक्षा का अर्थ है-प्रत्येक व्यक्ति को-विशेषकर युवक और युवती को यौन- सम्बन्धी प्रत्येक उस आवश्यक बात का ज्ञान प्राप्त हो जिसे ग्रहण कर वह अपने भावी जीवन को सफल समृद्ध एवं सुखमय बना सके ।
स्त्री-पुरुष का परस्पर मिलन ही ‘सैक्स' है । जीवन का मुख्य आधार है उत्पत्ति और सैक्स के बिना उत्पत्ति असंभव है ।
वस्तुतः सैक्स को दाम्पत्य जीवन की नींव कहा जा सकता है इसलिए जीवन की उत्पत्ति सुख और विकास के लिए इसे अनिवार्य मानना होगा । सैक्स के नाम पर संकोच लज्जा भय अथवा घृणा का दृष्टिकोण उचित नहीं ।
सैक्स वह सब कुछ है जिससे आपके जीवन का निर्माण होता है, जिससे आपका शारीरिक व मानसिक विकास होता है । सैक्स आपको प्रेम करना सिखलाता है आपके लिए मनोरंजन का साधन भी बनाता है और आप पर उत्तरदायित्वों का बोझ भी डालता है । इसलिए सैक्स जैसे महत्त्वपूर्ण एवं अनिवार्य विषय पर प्रत्येक दृष्टि से-सामान्य भावात्मक एवं वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त होनी चाहिए। जिससे आपके जीवन में कोई अभाव न रहे और आप अपनी सन्तान के भावी जीवन का सुखद निर्माण कर सकें । स्मरण रहे सैक्स की जानकारी का अभाव आपके जीवन का सबसे बड़ा अभाव है । सैक्स एवं रतिक्रिया के विषय में विचार करने से भी जीवन में सैक्स के महत्व का परिचय मिलता है । रतिक्रिया सैक्स का ही एक अंग है । यदि मानव-जीवन में सैक्स का उद्देश्य मात्र सन्तानोत्पत्ति ही होता और इसके साथ प्रेम आनन्द तृप्ति एवं मनोरंजन आदि भावनायें न जुड़ी होती तो स्त्री-पुरुष रतिक्रिया तभी करते जबकि उन्हें सन्तान की आवश्यकता महसूस होती । किन्तु क्या आप तभी रतिक्रिया का सम्पादन करते हैं जबकि आपको सन्तान की इच्छा होती है? तब आप संतति-निरोध के उपाय ग्रहण क्यों करते हैं? निश्चय ही सैक्स का यह रूप है प्रेम का स्नेह एवं आत्मसंतोष का।
आप में से कितने ही स्त्री-पुरुष इस बात की शिकायत करते हैं कि आनन्दमय रतिक्रिया का उनके जीवन में प्रायः अभाव ही रहता है । युवक वर्ग की तो यह एक आम समस्या है कितने ही पुरुष यह शिकायत करते है अपने बारे में कि उनमें यौन-शक्ति का अभाव है वे अपनी स्त्री को सन्तुष्ट नहीं कर पाते; शीघ्र स्खलित हो जाते है लिंग प्रवेश से पूर्व ही स्खलित हो जाते है यौन उत्तेजना ही नहीं होती एक से अधिक बार संभोग की इच्छा नहीं होती । प्रथम मिलन के क्षणों से भय है नपुंसकता की शिकायत है-आदि ऐसे कारणों से रतिक्रिया आनन्दमय नहीं हो पाती । आनन्दहीन रतिक्रिया की समस्या से पीड़ित इतने पुरुष हैं कि कहना संभव नहीं किन्तु अपनी लज्जा संकोच और भय आदि के कारण वे नीम-हकीम लोगों से गुमराह किये जा रहे हैं । इससे समस्या का समाधान नहीं होगा बल्कि वे और अधिक चिंतित और परेशान हो उठेंगे । जानकारी के अभाव के कारण उनके लिये ऐसा संभव नहीं है । किन्तु ऐसे अधिकांश पुरुषों की यह समस्या उनकी अपनी उत्पन्न की हुई है जो वास्तव में कोई समस्या नहीं है । सैक्स तकनीक की जानकारी का अभाव ही इस समस्या की उत्पत्ति का प्रधान कारण है ।
रतिक्रिया क्या है इसका सफल व सही सम्पादन किस प्रकार हो स्त्री-पुरुष का एक दूसरे के प्रति क्या कर्त्तव्य हो एवं सम्भोग के बारे में ऐसी दूसरी बातों की जानकारी न होने पर आप सफल सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाते और परिणाम यह होता है कि आपको कई तरह की शिकायतें उत्पन्न हो जाती हैं और आप सुखकर संभोग से दूर ही रह जाते हैं । अतः आपके लिये सैक्स-तकनीक का पूर्ण परिचय प्राप्त होना आवश्यक है । सैक्स के प्रति अज्ञानता ही इन सभी समस्याओं का मूल है ।
अनेक व्यक्तियों की यह धारणा गलत है कि जैसे-जैसे आयु बढ़ती है वैसे ही सैक्स समाप्त होता जाता है । संभव है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में एवं विशेष कारणों से कुछ व्यक्तियों के साथ ऐसी बात हो किन्तु प्रायः देखा गया है कि अधिक आयु में भी अनेक स्त्री-पुरुषों में अधिक यौनेच्छा पाई जाती है । कुछ मनोविनोद एवं सामाजिक कारणों से भी हम स्वयं ही अपना ध्यान सैक्स की ओर से हटाने लगते है और यदि ये कारण बीच में न रहें तो निश्चय ही सैक्स की भावना जीवन भर एक सी बनी रहे । जीवन और सैक्स का अत्यन्त निकट का सम्बन्ध है जो आरम्भ से अन्त तक जिन्दगी के साथ-साथ चलता है ।
सैक्स ही वह भावना है जो स्त्री-पुरुष के आकर्षण का केन्द्र है और जिस पर सृष्टि का विकास टिका है । सृष्टि का विकास सन्तानोत्पादन की क्रिया पर निर्भर करता है और यह क्रिया सैक्स द्वारा ही सम्पादित होती है । प्रकृति ने स्त्री-पुरुष दो भिन्न लिंगों का सृजन किया है । दोनों में भिन्न विशेषताएं भरी हैं और दोनों में एक-दूसरे के प्रति आकर्षण की भावना को जन्म दिया है तथा दोनों के शारीरिक मिलन को सृष्टि के विकास का आधार बनाया है । प्रकृति ने सैक्स की भावना प्रदान कर मानव को इस योग्य बनाया है कि सन्तानोत्पादन कर सृष्टि के विकास में सहयोगी सिद्ध हो सके । प्रकृति का यह उद्देश्य ही सैक्स के महत्व को उजागर करता है । हम कह सकते हैं कि सैक्स के बिना मानव जीवन अपूर्ण एवं महत्त्वहीन है ।
मानव-जीवन में सैक्स का उद्देश्य मात्र सन्तानोत्पत्ति ही नहीं है बल्कि मनोरंजन का भी एक विशिष्ट साधन है । स्त्री-पुरुष सैक्स द्वारा जो मनोरंजन प्राप्त करते है वह मन एवं मस्तिष्क को शान्ति प्रदान करने वाला होता है । आज के उलझे हुए संसार में इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है । प्रत्येक स्त्री-पुरुष के जीवन में सैक्स महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और अन्य क्रियाओं के साथ-साथ मनोरंजन की बहुमूल्य घड़ियां प्रदान करता है । सैक्स मनोरंजन के सभी साधनों में सर्वोपरि है । स्त्री-पुरुष एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं प्रेम करते हैं इसलिये कि सैक्स मानव-जीवन में प्रेम अंकुरित करता है सुख एवं सन्तोष उपलब्ध कराता है तथा जीवन को रुचिपूर्ण एवं रसमय बनाता है । स्त्री-पुरुष का प्रेम सैक्स का प्रतीक है । सैक्स के बिना स्त्री पुरुष का प्रेम अपूर्ण है नीरस है ।
सैक्स ऐसी अद्भुत और सुखद अग्नि है जो बिना बताए ही भड़क उठती है और जिसमें मनुष्यत्व परम आनन्द प्राप्ति की आकांक्षा से प्रवेश करके तृप्त हो उठता है । सैक्स की भावना के उदय होने में मनुष्य की अन्त -भावना ही मुख्य स्रोत है । यदि कोई व्यक्ति हीनभावनाओं से त्रस्त है तो वह सैक्स के विषय में आगे नहीं बढ़ सकता ।
प्राणिमात्र में कामोत्तेजन का अनुभव यौवन आगम के समय होने लगता है । काम वासना स्वाभाविक विकास है । स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध भौतिक पहले है-सामाजिक पीछे । भिन्न लिंगी होने के कारण दोनों को एक दूसरे की भूख है । दोनों एक दूसरे के पूरक हैं । दोनों को एक दूसरे की भूख शान्त करनी होती है । पारस्परिक शारीरिक उत्तेजना होने पर जब स्त्री-पुरुष की ज्ञानेंद्रियां परस्पर मिलकर घर्षण करने लगती हैं तो यह सम्भोग क्रिया कहलाती है । ‘सम्भोग' ही वह महत्त्वपूर्ण एवं प्रकृत क्रिया है जो स्त्रीत्व और पुरुषत्व की पारस्परिक भूख और आकांक्षा को तृप्त करती है । वास्तव में यही एक प्रधान प्रमुख क्रिया है जिसके लिए स्त्री और पुरुष का नर-नारी का जोड़ा मिलाया जाता है । संभोग-क्रिया सिखाई नहीं जाती यह तो स्वाभाविक और प्रकृति प्रदत्त है । शरीर मन और आत्मा इन तीनों वस्तुओं की तृप्ति इसी सम्भोग-क्रिया से प्राप्त होती है । शारीरिक मानसिक और आत्मिक तीनों ही मूलाधारो पर स्त्री-पुरुष के जीवन की सफलता निर्भर है । इन्हीं आधारों पर स्त्री-पुरुष का प्रेम असाधारण रूप से स्थिर होता है । यह प्रेम शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक सम्पूर्ण चेतनाओं से ओत-प्रोत होना चाहिए । वैवाहिक जीवन में स्थायी सुख और उत्तम स्वास्थ्य पति-पत्नी के सम-सम्भोग पर ही निर्भर है । जहां सम्भोग की क्रिया ठीक-ठाक है वहां परस्पर एक-दूसरे के और भी निकट आने की तीव्र लालसा प्रतिदिन बढ़ती ही जाती है इससे यह स्पष्ट है कि सुख और प्रेम का अटूट सम्बन्ध ही सम्भोग है ।
स्त्री नारीत्व की देन से परिपूर्ण होती है । वह कोमल स्निग्ध आकर्षक और सुधावर्षक होती है । जो स्त्रियां गोरी और सुन्दर हैं वे तो सुखदात्री हैं ही परन्तु काली साँवली साधारण नाक-नक्श वाली स्त्री को भी यदि थोड़ा सा सजा-संवार दिया जाय तो वह भी काम-सुख प्रदान करने वाली हो जाती हैं । सैक्स का आनंद प्राप्त करने के लिए प्रायः पुरुष परनारी की ओर ताक-झाँक करते रहते हैं । चाहे वह परनारी से सम्बन्ध बना लेने के प्रयत्न में अपनी अप्रतिष्ठा अपने समय का अपव्यय अपने शरीर में यौन रोगों को बसा लेना तथा धन के अपव्यय आदि अनेकानेक दुरभिसन्धियों का शिकार हो जायें ।
क्या सहवास-सुख इतना अपवित्र है कि उसे प्राप्त करने के लिए सब खतरे और मुसीबतें उठाई जायें? स्थिर गृहस्थ जीवन, अक्षय और स्थाई-प्रेम गहरी आन्तरिक एकता तथा आनन्द के पारस्परिक समान आदान-प्रदान से बढ़कर संसार में दूसरी कोई उपलब्धि (नियामत) नहीं है ।
परनारी से सहवास करना व्यभिचार की सीढ़ियों चढ़ना है । सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते मनुष्य व्यभिचार की पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है । वहां पहुँचकर उसे शान्ति नहीं धधकती ज्वाला पश्चात्ताप और उमड़ते आँसुओं का समुद्र मिलता का यह दावा है कि वह संसार के समस्त चराचर प्राणियों में श्रेष्ठ है । उसने अपने बुद्धिबल से समस्त प्राणियों पर विजय भी प्राप्त कर ली है और वह समस्त अचर प्रकृति का स्वामी भी बन बैठा है फिर भी जो भौतिक तथा स्वाभाविक सुख प्रत्येक प्राणी को प्राप्त है वह सब उसे प्राप्त नहीं है इसका कारण व्यभिचार की प्रवृत्ति ही है ।
काम-विज्ञान के विषय में प्राचीन काल से ही बहुत अध्ययन किया गया है । काम-विज्ञान एक विज्ञान (Science) है जिसका सम्बन्ध मशीनों से नहीं शरीर की उपस्थ इन्द्रियों से है जो अत्यन्त कोमल हैं परन्तु जीवन की यथार्थता में सशक्त है । भारत में सर्वाधिक प्रामाणिक कामशास्त्री वात्स्यायन माने जाते हैं जो ईसा की पहली व छठी शताब्दी के बीच हुये थे । उनका मूल नाम मालिंगा या मृलाना था वात्सायन उनकी पारिवारिक उपाधि थी । बाधृष्य तथा अन्य प्राचीन ऋषियों के ग्रंथों के सार-स्वरूप अपने विद्यार्थी-जीवन के अध्ययन-काल में उन्होंने जन-साधारण के लिये ‘कामसूत्र' की रचना की थी । ‘कामसूत्र' में एक स्थान पर वे कुन्तल के राजा सतकर्णी सातवाहन के कामवेग की ए
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