Personality
95 pages
English

Vous pourrez modifier la taille du texte de cet ouvrage

Découvre YouScribe en t'inscrivant gratuitement

Je m'inscris

Personality , livre ebook

-

Découvre YouScribe en t'inscrivant gratuitement

Je m'inscris
Obtenez un accès à la bibliothèque pour le consulter en ligne
En savoir plus
95 pages
English

Vous pourrez modifier la taille du texte de cet ouvrage

Obtenez un accès à la bibliothèque pour le consulter en ligne
En savoir plus

Description

Kisee bhee manushy kee sapaphalata ya asapaphalata meen usakee vyaktitv kee aham bhuumika hootee hai. Samaaj meen sapaphal hoonee kee liee loog apanee vyaktitv koo nikhaarana caahatee hain. Vyaktitv hee unakee pahacaan hootee hai. Apanee vyaktitv kee dam par hee vyakti aam loogoon meen kuch khaas nazar aata hai. Pratyeek vyakti jeevan meen kuch khaas tatha kuch khaas banana caahata hai karana caahata hai. Aam aadamee kee aavashyakata koo dhyaan meen rakhakar yah pustak noo yoor parsanailitee koors prakaashit kee gayee hai.Prastut pustak noo yoor parsanailitee meen, aapaka vyaktitv aur baaedee laingveej vishay par vistaarapuurvak carca kee gaee hai. Yah pustak aapakoo samaaj meen paripakv pahacaan banaanee meen puurnaruup see sahayoog kareegee.(Personality of a person plays a significant role in his success and failure. People want to make their personality attractive and presentable in order to be successful, adorable and acceptable in society. A person''s personality also oozes out from his body language - in the manner of speaking, standing, gesture, cheerfulness and overall mannerisms. The book explains the measures to improve your personality and helps you in discovering yourself better. ) #v&spublishers

Informations

Publié par
Date de parution 15 février 2016
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350576571
Langue English
Poids de l'ouvrage 3 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0225€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002
Ph. No. 23240026, 23240027• फैक्स: 011-23240028
E-mail: info@vspublishers.com Website: https://vspublishers.com
Online Brandstore: https://amazon.in/vspublishers
 
शाखाः हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद-500 095
Ph. No 040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
 
 
शाखा: मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रिअल इस्टेट, 1st फ्लोर-108, तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल, मुम्बई - 400 034
Phone No.:- 022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
 
फ़ॅालो करें
*
https://www.facebook.com/vspublishers
https://linkedin.com/company/1819054/admin/
https://twitter.com/vspublishers
https://www.youtube.com/user/vspublishes/videos
https://instagram.com/vandspublishers/
*
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505765-7-1
संस्करण 2021
 
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गयी सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उद्धरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोत के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक या प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धृत बेवसाइट हटा दी गयी हो। इस पुस्तक में उल्लिखित विशेषज्ञ के राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिये गये विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जायेगा।
उचित मार्गदर्शन के लिए पुस्तक को माता-पिता एवं अभिभावक की निगरानी में पढ़ने की सलाह दी जाती है। इस पुस्तक के खरीददार स्वयं इसमें दिये गये सामग्रियों और जानकारी के उपयोग के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। इस पुस्तक की सम्पूर्ण सामग्री का कॉपीराइट लेखक / प्रकाशक के पास रहेगा। कवर डिजाइन, टेक्स्ट या चित्रों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन किसी इकाई द्वारा किसी भी रूप में कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा और इसके परिणामों के लिए जिम्मेदार समझा जायेगा।
मुद्रक : परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली- 110020
 
प्रकाशकीय
प्रकाशक की इच्छा होती है कि अधिक से अधिक पाठक उनकी पुस्तकों को पढ़ें। वी एण्ड एस पब्लिशर्स अधिक टाइटल्स छापने की प्रतिस्पर्धा में शामिल होना नहीं चाहता। कारण यह है कि किसी भी पुस्तक को छापने से पहले हम काफी विचार-विमर्श करते हैं तथा यह निश्चित करना चाहते हैं कि पुस्तक समाज में प्रेरणा का आधार बने।
हमारी अधिकांश पुस्तकें जनरुचि और समय की माँग के अनुरूप होती हैं। शोध के आधार पर हमने महसूस किया कि इन दिनों आवश्यकता है सरल एवं सटीक पुस्तकों की जो सही जानकारी से परिपूर्ण हो। किन्तु दुःखद पहलू यह है कि राष्ट्रभाषा हिन्दी में ऐसी पुस्तकों का प्रायः अभाव है। जीवनोपयोगी पुस्तकें प्रायः अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध हैं, जिससे आबादी का बहुमत भाग इस प्रकार की पुस्तकें पढ़ने से वंचित रह जाता है और इससे वंचित हो जाना उनके जीवन में कठिनाई का कारण बन जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की अपने व्यक्तित्व को निखारने की लालसा व बाजार में इस विषय पर उत्कृष्ट पुस्तकों के अभाव ने हमें पर्सनैलिटी पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया।
प्रस्तुत पुस्तक का लेखन सामान्य व्यक्ति के सामर्थ्य और समय के अनुसार किया गया है जिससे मस्तिष्क में स्थायी छवि बन सके और सम्पूर्ण आत्मविकास में सहायक हो सके। यह पुस्तक आपको समाज में परिपक्व पहचान बनाने में पूर्णरूप से सहयोग करेगी
पुस्तक का लेखन व सम्पादन जानकार विशेषज्ञों द्वारा किया गया है। यथा सम्भव प्रयास किया गया है कि पुस्तक में कहीं कोई गलती न रह गयी हो फिर भी यदि कोई त्रुटि रह गयी हो तो अपने सुझाव सहित उससे अवगत अवश्य कराएँ।
 
सूचना
सभी पाठकों को विनम्र रूप से यह सूचित किया जा रहा है कि पुस्तक में दी गयी विषय-वस्तु को शत्-प्रतिशत पत्थर की लकीर की भाँति न मानें। लेखक एवं प्रकाशक के सम्पूर्ण प्रयासों एवं विशेषज्ञों के सलाह के अनुसार पुस्तक का लेखन किया गया है, परन्तु पुस्तक में दी गयी सूचना के गलत प्रयोग या व्याख्या के लिए पाठक स्वयं ही जिम्मेदार होंगे।
पाठकों से एक विनम्र निवेदन यह है कि पुस्तक में दिये गये सलाह या उपाय लेखक के अपने व्यक्तिगत अनुभव एवं विचार हैं। इसके लिए न तो लेखक, न तो प्रकाशक को जिम्मेदार ठहराया जाये। पुस्तक आपके व्यक्तित्व विकास में सहयोग अवश्य करेगी किन्तु इसे रामबाण न समझें। यह एक मनोवैज्ञानिक पहलू है जो अलग-अलग लोगों पर अलग–अलग ढंग से प्रभाव डालेगा। आवश्यकतानुसार किसी व्यावसायिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
-प्रकाशक


विषय-सूची
कवर
मुखपृष्ठ
प्रकाशक
प्रकाशकीय
सूचना
भाग – 1
जाने अपने बारे में Know Yourself
पर्सनैलिटी डेवेलपमेंट क्लासरूम
कितने सकारात्मक (Positive) हैं आप?
कितने सन्तुलित (Balanced) हैं आप?
कितने सम्वेदनशील (Sensitive) हैं आप?
कितने मिलनसार (Sociable) हैं आप?
कितने धैर्यवान (Patient) हैं आप?
आपका नज़रिया (View ) कैसा है ?
कितने तनहा ( Lonely ) हैं आप?
कितने शिष्टाचारी (Well-mannered) हैं आप?
कितने दुश्चरित्र (Bad Character) हैं आप?
कहीं आप मज़ाक के पात्र (Laughing-stock) तो नहीं?
क्या आप तनाव से मुक्त (Tension-free) हैं?
कितने व्यस्त ( Busy ) हैं आप?
क्या आप अंधविश्वासी (Superstitious) हैं?
कितने फिट (Fit) हैं आप?
क्या आपकी दोस्ती (Friendship) प्यार (Love) है?
अपने सौन्दर्य को लेकर कितनी चिन्तित ( Beauty-conscious) हैं आप?
कितनी साहसी (Bold) हैं आप?
कितने टेबल मैनर्स (Table-manners) हैं आपमें?
क्या आप नर्वस (Nervous) पर्सनैलिटी हैं?
आपका व्यवहार (Behaviour) कितना सही है?
भाग – 2
बॉडी लैंग्वेज (शारीरिक भाषा) और आपका व्यक्तित्व Body Language and Your Personality
संवाद करने के नियम
सुनने का तरीक़ा
बैठने का ढंग
बात करने का ढंग
चलने के ढंग
पढ़ने के ढंग
कपड़ों से जानें व्यक्तित्व का राज
हमारी आदतें
क्या कहती है आपकी लिखावट
मोबाइल फ़ोन से जानें व्यक्ति का व्यक्तित्व
हाथ उठाकर बात करना

 
भाग – 1
जाने अपने बारे में Know Yourself

 
पर्सनैलिटी डेवेलपमेंट क्लासरूम
पर्सनैलिटी डेवेलपमेंट क्लासरूम में आपका स्वागत है।
आज सबसे पहले आप 'व्यक्तित्व' का अर्थ समझें। जब आप किसी नये व्यक्ति से मिलते हैं और उसके विषय में जो छवि (image) आपके मन में बनती है, उसे उस व्यक्ति का 'व्यक्तित्व' कहा जाता है।
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व दो भागों में बँटा होता है- पहला 'बाहरी व्यक्तित्व ' जो कि हमें दिखायी देता है और दूसरा व्यक्तित्व 'आन्तरिक व्यक्तित्व' होता है, जो कि हमें दिखायी नहीं देता। बाहरी व्यक्तित्व को जहाँ हम अपनी वेशभूषा और व्यवहार के तरीकों में बदलाव करके आकर्षित बना सकते हैं, वहीं हमारा आन्तरिक व्यक्तित्व हमारे स्वभाव, गुण तथा आदतों से सम्बन्धित होता है। कोशिशें करने पर हम इसमें थोड़ा-बहुत तो बदलाव ला सकते हैं, लेकिन पूरे तौर पर नहीं। क्योंकि हमारे जो जन्मजात गुण हैं, उसमें हम कोशिशें करके भी बदलाव नहीं ला सकते। उदाहरण के तौर पर मैं आपके सामने अपना ही उदाहरण रखता हूँ। मेरी बचपन से यही आदत रही है कि मैं झूठ नहीं बोल पाता। जब कभी मुझे मजबूरन झूठ भी बोलना पड़ता है, तो मेरी जुबान लड़खड़ाने लगती है, और सामने वाला फ़ौरन ताड़ लेता है कि मैं झूठ बोल रहा हूँ, जबकि मैंने ऐसे कई लोग देखे हैं जो बड़े से बड़ा इतनी सफाई से बोलते हैं कि सामने वाला उसे पूरे तौर पर सच मानने लगता है।
यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि अगर मैं ज़रा सा भी झूठ नहीं बोल पाता, तो यह मेरे जन्मजात गुण है। इसे मैं अपनी पुरज़ोर (भरपूर ) कोशिशों के बावजूद भी नहीं बदल सकता। यहाँ आन्तरिक व्यक्तित्व के बारे में मैं एक बात ख़ास तौर पर कहना चाहूँगा कि मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में उसके बाह्य व्यक्तित्व से ज्यादा आन्तरिक व्यक्तित्व का योगदान होता है। उदाहरण के तौर पर आप 'गंगा नदी को ही देखिये, उसका बाहरी रूप भी और नदियों के समान ही है, लेकिन उसके जल में पाये जाने वाले औषधीय गुणों का भारत ही नहीं संसार की कोई भी नदी समानता नहीं कर सकती। यही कारण है गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता है। हिन्दुओं के लिए तो यह माँ समान है। उनके प्रत्येक धार्मिक कार्य में इसके जल का उपयोग किया जाता है।
आप कौआ और कोयल को देखिये। दोनों एक से रंग के हैं, लेकिन अपने गुणों के कारण अच्छे और बुरे समझें जाते हैं। इन्हीं उदाहरणों को सामने रखते हुए हम कह सकते हैं कि एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए बाह्य तथा आन्तरिक दोनों गुणों का ही होना आवश्यक है।
आपकी आसानी के लिए पुस्तक को 8 भागों में बाँटा गया है। भाग - 1 (जानें अपने बारे में ) में उन प्रश्नावलियों को जगह दी गयी है, जो आपके गुण-दोषों के बारे में बतायेगी। ज़ाहिर है कि अपने गुण-दोष जानकर आप अपने गुणों में और बढ़ोतरी तो करेंगे ही, साथ - साथ अपने दोषों को पहचान कर उन्हें इस पुस्तक के माध्यम से दूर करने में कामयाब होंगे। भाग - 2 ( आपका व्यक्तित्व और बॉडी लैंग्वेज) में यह बताया गया कि किसी भी व्यक्ति के सुनने, बैठने, चलने, बोलने, पढ़ने, तथा लिखने के अन्दाज़ से उसके व्यक्तित्व की पहचान कैसे की जा सकती है। भाग 3 ( कैसे करें व्यक्तित्व का विकास ) में व्यक्तित्व विकास के बारे में वैज्ञानिक तरीकों से बताया गया है कि व्यक्तित्व विकास की सरंचना कैसे होती है, व्यक्तित्व विकास के क्या-क्या अवयव है, व्यक्तित्व विकास में आने वाली बाधाएँ कौन-कौन-सी है तथा इन्हें कब शुरू करना चाहिए, इत्यादि। भाग - 4 ( आपका व्यक्तित्व निखारे शिष्टाचार ) इस भाग में शिष्टाचार के माध्यम से बाहरी व्यक्तित्व विकास के बारे में बताया गया है। जानें अपने बारे में! भाग - 5 ( आपका आन्तरिक व्यक्तित्व ) इस भाग में आन्तरिक व्यक्तित्व से सम्बन्धित ख़ास ख़ास बातों और विधियों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। भाग - 6 ( व्यक्तित्व विकास एवं करिअर ) इस भाग में करिअर के लिए किस तरह का व्यक्तित्व विकास करना चाहिए, उन बातों का जिक्र किया गया है। भाग - 7 ( व्यक्तित्व विकास के 7 आध्यात्मिक नियम ) इस भाग में व्यक्तित्व विकास के 7 नियमों की विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी है, जिससे पाठक अपने व्यक्तित्व का आध्यात्मिक विकास बड़ी आसानी से कर सकते हैं। भाग - 8 (क्या कहता है मनोविज्ञान व्यक्तित्व के बारे में) इस भाग में मनोवैज्ञानिक तरीकों से व्यक्तित्व विकास की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है। और अन्त में इस भाग में इस बात की विस्तृत जानकारी दी गयी है कि जब आपका व्यक्तित्व विकास हो जाये तो आप किस तरह अपने व्यक्तित्व विकास को कायम रख सके।
आपके बाहरी और आन्तरिक गुण-दोष कैसे हैं, यह जानने के लिए मैं आपको कुछ प्रश्नावलियाँ दे रहा हूँ। इन प्रश्नावलियों से आप बड़ी आसानी से जान जायेंगे कि आप में क्या-क्या गुण-दोष है।
जैसे-जैसे हम अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते जायेंगे, अपने गुणों में और बढ़ोत्तरी करते जायेंगे और दोषों को जड़ से मिटाते जायेंगे, तो

  • Univers Univers
  • Ebooks Ebooks
  • Livres audio Livres audio
  • Presse Presse
  • Podcasts Podcasts
  • BD BD
  • Documents Documents