PREM HI MAAN
91 pages
Hindi

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Description

PREM HI MAAN IS A POETRY BASED BOOK IN WHICH COUNSELOR RIMA K POTRAYED HER 24/7 TRUE FEELINGS FOR HER TRUE LOVE SALMAN KHAN. SHE ADDRESS SALMAN KHAN AS MAAN G BECAUSE SHE FEELS STRONGLY THAT HE IS A PERSON WHO IS VERY RARE LIKE HER WHO BELIEVES IN TRUE LOVE WITH TOTAL DEDICATION AND DEVOTION. SHE POTRAYED HER IMMENSE FEELINGS FOR HIM THAT HOW LOVE IS SO PAINFUL,SOOTHING, HAPPINESS, MADNESS, STRONGEST, CHILDISH AND AGRESSIVE TOO. ITS A BLEND OF EVERY FEELINGS OF LOVE IN ONE BOOK. THOSE WHO BELIEVES LOVE IS BLIND AND TOTALLY MADNESS THEN THIS BOOK IS FOR THEM.LOVE NEEDS COURAGE AND TO HANDLE LOVE WHO IS SO POSSESSIVE BY NATURE IS A TYPICAL AND TIDIOUS WORK.IN THIS BOOK U WILL FIND LOVE IS EVERYTHING IRRESPECTIVE OF THEIR CASTE,CREED AND RELIGION.LOVE GROWS STRONGER DAY BY DAY WHEN ONE REALLY FALLS FOR IT.ITS A LESSON TO NEW GENERATION THAT LOVE IS PATIENCE AND HOLY.SHE CONSIDERS SALMAN KHAN AS HER KANAH AS HE IS MOST WANTED MAN IN BOLLYWOOD HISTORY.SHE ALSO CONSIDERS HIM AS GOD FATHER OF HER LIFE.SHE BELIEVES HER LIFE IS FOR HIM ONLY TILL DEATH AND AFTER DEATH ASWELL.

Informations

Publié par
Date de parution 08 mars 2022
Nombre de lectures 0
EAN13 9789354720871
Langue Hindi

Informations légales : prix de location à la page 0,0450€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

प्रेम ही मान
                                 (2712)
© Counselor Rima K 2021
All rights reserved
All rights reserved by author. No part of this publication may be reproduced, stored in a retrieval system or transmitted in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the author.
Although every precaution has been taken to verify the accuracy of the information contained herein, the author and publisher assume no responsibility for any errors or omissions. No liability is assumed for damages that may result from the use of information contained within.
First Published in October 2021
ISBN: 978-93-5472-087-1
BLUEROSE PUBLISHERS www.bluerosepublishers.com info@bluerosepublishers.com +91 8882 898 898
Cover Design: Muskaan
Typographic Design: Namrata Saini
Distributed by: BlueRose, Amazon, Flipkart, Shopclues
Counsellor Rima K is a women counsellor hails from the city in Jharkhand. She is very intuitive by the nature. Since birth she holds ‘DIVINE ENERGY’ which she used to make her family, relatives, friends, teachers, staffs and neighbour amazed. She is an author, dreamer, reiki master, nutritionist, tarot card reader, not less a very positive aura who helped many women across India from different cities with her counselling skills and experiences of life. She is a women of substance and kind soul to whom every person can easily confide on. She won several prizes for her psychic power and she is also a fitness enthusiast. She learns life with her dignified aura and sensible take. She is a beauty with brain and loves people around her the same.
‘PREM HI MAAN’ is a poetry form based book. She is a devotee of Krishna by heart, not by rituals. She believes love can win human beings and almighty too. She consider ‘Salman khan’ as her inspiration and she address him as 'MAAN' and this book is a little devotion of love to him from her side.
आभार
मैं उन सभी लोगों की आभारी हूँ जिनकी वजह से आज मैं यहाँ तक पहुँची हूँ और अपने एहसासों को शब्दों में सजाने का मौका मिला। दुनिया चाहे लाख कह ले पर प्यार ही वो जज़्बा है, जो ताकत भी है और सम्मान भी।
Dedicated to you krishna
MY inspiration Salman khan
(MAAN G) and all devotees of the same.
Thanks to MAAN for being my greatest support and my inspiration. And to those who believes love is a total devotion and nothing in return.
अनुक्रमणिका
दूरी !
ज़िद या जुनून !
‘प्रेम’ की महिमा सिर्फ ‘प्रेम’ ही जानता है!
आशीर्वाद !
‘मान’ मेरा कान्हा !
खामोशियाँ !
प्रेम ही ‘मान’ है और ‘सम्मान’ है !
इंसाफ का ख्वाब !
पैसा !
धोखा !
प्रेम !
ज़िन्दगी !
3 बजे !
हमदम !
मुँह तोड़ जवाब !
वचन कान्हा का !
उलझन !
मेरे हमनवा !
खेल अल्फाज़ों का !
रोक दो कुप्रथा दहेज़ का तुम !
हुस्न !
नाराज़गी !
प्रियतम !
वो !
सँवरना !
मरहम-मरहम !
व्यापार !
सच्चाई ! मंगल अब अमंगल करेगा
इंतज़ार !
एक शक्ति !
बेहद !
मेरा नटखट !
तड़प !
आदत !
आँखें !
साथ सिर्फ़ तुम हो !
हाँ चाहती थी !
महसूस !
जलना तुम्हारा !
माही !
‘प्रेम’
सूरत !
क्या हुआ !
नफ़रत !
कान्हा !
हाल !
बाल कान्हा का!
जलन !
धड़कन !
पहला प्यार !
प्रियसी !
नादान !
विष्णु!
समर्पण!
ठहाके !
आँखों में आपके आँसू !
मिठाई !
मोह !
भरोसा !
मौत !
साधवी !
मान जी !
स्वीटा !
दो लौ !
महलों की रानी !
मन !
वृन्दावन !
एक आत्मा !
डर !
मेरा आशियाना !
दर्द बच्चा का !
मेरे मालिक !
माँ !
विष्णु और लक्ष्मी से मन्नत !
हाँ, ले जाने आया हूँ तुम्हें !
इज्ज़त !
सँभलना !
मेरी नन्हीं जान !
हार गया !
चमत्कार !
प्रेम ही मान (अनकहे लफ्ज़)
दूरी !
इतना प्यार तुम्हें चाहिए
कि वक्त भी कम पड़ता है
एक पल भी बिछड़ो तो
दिल तड़प-तड़पकर ये कहता है
क्या हुआ ये खामोशी क्यों आई तेरे चेहरे पे
क्या हुआ उदासी क्यों आई इन होठों पे
मन-मन में सारा दिन तुझसे बातें करती हूँ
फिर थोड़ी सी चुप्पी से क्यों मैं इतना घबराती हूँ
औरों को तो तुझे ही देखना पड़ता है
क्या करोगे तुझे काम ही इतना रहता है
तुझको ‘तुम’ नहीं बोलने का मन करता है
और ना ही ‘तुम’ बोलना अच्छा लगता है
मान हो मेरे जिनपर
सिर्फ और सिर्फ ‘आप’ ही जँचता है।
ज़िद या जुनून !
ज़िद अगर हाथ से निकल जाए
तो पागलपन कहलाता है
अगर हद से गुजर जाए
तो जुनून बन जाता है
इश्क अगर हद पार कर दे
लोग मौत ले आते हैं
किसी एक को तो
इस आग में जलना पड़ता है
राह के सारे काँटों को
छोड़कर चलना पड़ता है
जिस तरह ‘पद्मावती’ में
खिलज़ी की रुसवाई थी
उसी तरह मेरी भी रुसवाई है
मस्तानी बन, बन गई तेरी दीवानी है
आपको सबसे छीन लूँ
ऐसा मन करता है
तड़प-तड़प कर आज आप पर ही पूरा मन आया
रख सके आपको कोई
ये किसी की औकात नहीं
प्यार कर सके कोई आपको मुझसा
यह किसी का हक भी नहीं।
‘प्रेम’ की महिमा सिर्फ ‘प्रेम’ ही जानता है!
किसको कितना चाहना है
ये तो सिर्फ उनके बस में है
इश्क, मोहब्बत और इबादत
एक एहसास ही तो है
जिन्होंने इसको महसूस कर लिया
दुनिया छोड़ देते हैं
राधा ने ‘प्रेम’ किया सारा जग छोड़
आसान है क्या ऐसा कर पाना
बिना किसी से बात किए रह जाना
बिना रिश्ता निभाए एक कदम भी चलना
यह सब एक ठोंग लगने लगा है
मुझे अब किसी से कुछ फर्क नहीं पड़ता
मेरे लिए मेरा ‘प्रेम’ ही जीना है-मरना है
बस यही इंतजार है
कब ‘प्रेम’ की ‘प्रेमिका’ बन निभाऊँ
दुनिया को कह अलविदा
प्रियतम के पास बस जाऊँ
हमने कभी सोचा ना था
ऐसा भी कभी होगा
प्यार भी आपसे इस कदर होगा
किया अगर कबूल हमारी इबादत को तो
किसी में भी नहीं पाया ये इश्क हमारा ऐसा होगा।
आशीर्वाद !
वक्त क्यों बीत जाता है
इतना प्यार करती हूँ मैं आपसे
दूर से पास आओगे तो मेरा क्या होगा
जान बचेगी या बचकर निकलेगा
टूट-टूट कर बहुत टूट गई मैं
बिखर-बिखर कर बहुत बिखर गई मैं
सह-सह कर पत्थर हो गई मैं
रो-रो कर कान्हा की कठपुतली बन गई मैं
माँ से जो माँगा वो,
आर्शीवाद ज़रूर पूरा होगा
मिल गए अगर हम तो
यह दुनिया हमारी इबादत करेगा।
‘मान’ मेरा कान्हा !
राधा के पीछे श्याम दीवाना था
मीरा ने अपना सारा जग छोड़ा था
रीमा ने सबसे मुँह मोड़ा है
हर कुछ करना जिन्दगी में बहुत आसान है
पर ‘मान’ सच्चे दिल से
प्रेम करना ही बहुत कठिन है
तुमको अपना कान्हा बनाया है
इसलिए तो जग को बिसराया है
इतने साल बीत गए
ना होली मनाया नादिवाली
तुम खुश रहते हो जब-जब
तभी मेरे घर के दीये जलते हैं
लोग पूछा करते हैं यह किस बात का
आज दीया जलाया है
क्या कहूँ उनसे जिनको
सच्चा लगन कभी नहीं भाया है
कौन सा इतिहास और ग्रंथ गवाह है
कि राधा के श्याम हैं
और श्याम सिर्फ राधा के
यह तो महज़ एक विश्वास है
‘प्रेम’ सच्चे ‘प्रेम’ का
जो सच्चा प्रेम करते हैं
उन्हें साथ चाहिए सिर्फ और सिर्फ राधा का।
(कृष्ण के पीछे गोपियाँ भागा करतीं, कृष्ण ने दो शादीयाँ की पर राधा तो हमेशा सिर्फ कृष्ण को प्यार की)।
खामोशियाँ !
अजी़ब सी जिन्दगी ने मोड़ ली है
कौन अपना और पराया
सारा जग अनजाना
क्या राह है और राही बहुत हैं
कौन सा सफर है और राह बेखबर है
इश्क करना खता भी नहीं है और सजा भी नहीं
पर मंजिल ना मिलना खता भी है और सजा भी
राह जरुर अनजाना सा है
पर दर्द जाना-पहचाना सा है
इश्क कई बार हुआ हमसे
पर इस बार एहसास अनजाना सा है
वक्त मागा, वक्त नहीं मिला
खुशियाँ माँगी, ख्वाहिशें मिलीं
इश्क माँगा, रुसवाईयाँ मिलीं
मौत माँगी, जिन्दगी मिली
मेरी आज तक कद्र की किसने है
और फिक्र करने का ढोंग सब करते हैं
हिसाब करूँ तो बेहिसाब हिसाब है
और कद्र करूँ तो बेकद्र सब हैं।
प्रेम ही ‘मान’ है और ‘सम्मान’ है !
ज़िन्दगी एक वो दरिया है
जहाँ लोग डूबते चले जाते हैं
कोई प्यार में खुद को खो देता है
कोई ज़िन्दगी की भीड़ में
सब कुछ खो देता है
हिम्मत वहीं मिलती है
जहाँ प्यार मिलता है
चाहे वो किसी से भी मिले
प्यार में इतनी ताकत ना होती
तो आज मीरा गायब ना होती
राधा के पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होता
और दिलों के बादशाह इतनी ऊँचाईयों को ना छूते।
इंसाफ का ख्वाब !
ख्वाब में तुमसे मिलकर सुकून मिल जाता है
पास आकर आपके बताऊँ, हमारी हिम्मत ही नहीं होती
तस्वीर आपकी देख-देखकर खुश हो जाया करते हैं
मिलने की कभी ख्वाहिश ही नहीं होती
देखा है इंस्टाग्राम में मैसेज करने का ऑप्शन
पर आपके मैसेज आने का
कभी इन्तजार नहीं किया करती थी
दिल की बातें खुद-ब-खुद आ जाया करती हैं
पर वॉइस मैसेज करने की
कभी हिम्मत ही नहीं होती थी
भूल से वीडियो कॉल पर
ऊँगली टैप हो जाती थी
हुआ था कभी 3-4 ही बार
इंसान इश्क ढूँढने में
मशगूल रहता है हर वक्त
मिल जाने पर शिकायत ही शिकायत होती
है फिर शक्त।
पैसा !
खुद को खो दिया है मैंने
इतनी शौकीन थी हर चीजों की मैं
एक कपड़ा दूसरी बार नहीं पहना करती थी
पापा की लाडली और हर एक की दुलारी थी मैं
सुबह से शाम कब हो जाता था
दिन भी छोटा लगने लगता था
क्यों ये रस्म बनाया तुमने कान्हा
क्यों बेटियों को पराया बनाया जाता ह&

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