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Description
Sujets
Informations
Publié par | Diamond Books |
Date de parution | 10 septembre 2020 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789390287260 |
Langue | English |
Informations légales : prix de location à la page 0,0158€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
नास्त्रेदमस की अचूक भविष्यवाणियां
eISBN: 978-93-9028-726-0
© लेखकाधीन
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली- 110020
फोन : 011-40712200
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
संस्करण : 2020
NOSTRADAMUS KI ACHOOK BHAVISHYAVANIYAAN
By - Ashok Kumar Sharma, D.Phil
पूर्वकथन नास्त्रेदमस का अभिशाप
2020 के आरम्भ में, जब संसार के 208 देश कोरोना महामारी की सुनामी की चपेट में आते चले गये, तब सोशल मीडिया, विभिन्न समाचार पत्रों की वेब साइटों और यूट्यूब पर कई लोगों ने तीन दशक पहले ‘डायमंड बुक्स’ द्वारा प्रकाशित मेरी पुस्तक ‘नास्त्रेदमस की सम्पूर्ण भविष्यवाणियाँ’ में प्रकाशित मेरे उस विश्लेषण की चर्चा करनी शुरू की जिसमें मैंने निष्कर्ष निकाला था कि चीन पूरी दुनिया में एक रहस्यमयी महामारी फैलाएगा।
बहुत से लोग नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को भविष्य के बारे में बेतुकी पहेलियां मानते हैं। अपने इस विश्वास के पक्ष में वे दलीलें देते हैं कि नास्त्रेदमस ने अपने किसी भी भविष्यकथन में घटनाओं, स्थान, समय और उनके होने का वक्त साफ साफ नहीं बताया है। ऐसी आपत्ति करते समय वे भूल जाते हैं कि भविष्यपुराण, नारद संहिता, पवित्र बाइबिल, कुरआन-पाक, सिखों के पवित्र श्री दशम-ग्रन्थ तथा चीन के प्राचीन ग्रंथों में भी ठीक इसी प्रकार की सांकेतिक भाषा है। आस्था का विषय होने के कारण लोग पवित्र ग्रंथों पर कोई सवाल नहीं उठाते।
प्राचीनकाल से हर देश में ज्योतिष के किसी ना किसी विद्वान का कोई ना कोई ग्रन्थ लोकप्रिय रहा है। ज्योतिष की दुनिया में ऐसे लोग भी अनेक हैं, जिनका दूसरे देशों में भी वही सम्मान हो, जो खुद उनके अपने देश में हो। फ्रांस में जन्मे यहूदी मूल के कैथोलिक ईसाई मिशेल द नास्त्रेदमस भी एक ऐसी शख्सियत थे।
मानवता के इतिहास में नास्त्रेदमस जैसा कोई दूसरा व्यक्ति मिलना बहुत ही दुर्लभ है। विश्व में कोई भी महत्वपूर्ण घटना हो, तो उसके बारे में नास्त्रेदमस की कोई ना कोई भविष्यवाणी लोगों को उस घटना के बाद ही समझ आती है। इसके बावजूद पिछले करीब साढ़े चार सौ सालों में नास्त्रेदमस पर यकीन करने वालों की तादाद हर देश में बढ़ी है। नास्त्रेदमस ने अपने खुद के धर्म, ईसाई धर्म समेत दुनिया के प्रत्येक धर्म के बारे में बिना पक्षपात के भविष्यवाणियाँ की हैं। उन्होंने तो अपने ही देश फ्रांस में सम्राट के एक द्वंद्व युद्ध में घायल होकर मरने तथा फ्रांस में खूनी क्रांति में राज शाही के अंत की बेहद सटीक भविष्यवाणी की थी।
संसार की हर भाषा में और हर देश में विख्यात फ्रांसीसी भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की रहस्यमयी भविष्यवाणियों पर काम हुआ है। भारत में डायमंड प्रकाशन समूह को ही सर्वप्रथम मार्च 1991 में मेरी व्याख्याओं के साथ नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का श्रेय जाता है। इस प्रकरण का उल्लेख मैंने आगे किया है।
मेरे जीवन में नास्त्रेदमस का आगमन नितांत अप्रत्याशित घटना है। पत्रकारिता के दिनों के आरम्भ में, मैंने दिल्ली प्रेस की प्रसिद्ध पत्रिकाओं ‘सरिता’, ‘मुक्ता’, ‘गृहशोभा’, ‘कैरेवान’, ‘वीमेंस एरा’ तथा ‘चंपक’ के विभागीय लेखक और वरिष्ठ उपसंपादक के रूप में काम किया। ज्योतिष और खासतौर से हिन्दुओं में किसी भी प्रकार के धार्मिक अंधविश्वास का विरोध करने की संस्थान की नीति के कारण, मैंने इन विषयों की असरदार आलोचना करने के लिए उनका खूब अध्ययन किया। इसके बावजूद ना जाने क्यों, कैसे और कब मेरी रूचि फलित ज्योतिष में हो गयी। पेशे से नास्त्रेदमस की ही तरह एक आधुनिक चिकित्सक, संसार के सबसे सफल पूर्वजन्म-पुनर्जन्म तथा अलौकिक मामलों के विश्व विख्यात विशेषज्ञ डॉ. वाल्टर सेम्किव ( reincarnationresearch.com ) इसे मेरे पिछले जन्मों से जोड़ते हैं।
दिल्ली प्रेस के बाद मुझे उस समय भारतीय पत्रकारिता के सफलतम संस्थान मित्र प्रकाशन की प्रचंड लोकप्रिय पत्रिकाओं ‘माया’, ‘मनोहर कहानियां’, ‘सत्यकथा’, ‘मनोरमा’ और ‘प्रोब इण्डिया’ में अधिक वेतन पर उपसंपादक और विशेष प्रतिनिधि के रूप में नियुक्ति की पेशकश की गयी, तो वहां भी देश के नामचीन ज्योतिषियों की भविष्यवाणियों में खोट तलाशने का एक आलेख मुझे तैयार करने के दौरान ज्योतिष को खूब पढ़ना पड़ा। उन्हीं दिनों आर्थिक कारणों से मैं देश की अनेक पत्र पत्रिकाओं जैसे ‘सूर्या इण्डिया’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘सांध्य टाइम्स’, ‘रविवारीय हिन्दुस्तान’, ‘नंदन’, ‘कादम्बिनी’ और ‘सारिका’ में भी विभिन्न विषयों पर लेखन, अनुवाद तथा विभिन्न छद्मनामों से लेखन करता रहता था। पत्रिकाओं द्वारा अलग और अनोखे विषयों की मांग तथा इन मुद्दों पर लिखने से मिलनेवाले आकर्षक पारिश्रमिक ने मुझे अंतत: ज्योतिष पर भी निरंतर लेखन करने को प्रेरित किया। बहुत कम लोगों को मालूम था कि ज्योतिषीय गणनाओं में मैं अन्तः प्रेरणा (इन्ट्यूशन) का भी इस्तेमाल करता रहता था। मेरे मन में किसी व्यक्ति, धर्म और देश के प्रति पूर्वाग्रह ना होने के कारण मेरे अधिकांश विश्लेषण सही होते थे। इस पुस्तक में मैंने अपनी शैली और विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को तर्कसंगत व्याख्या के आधार पर सचित्र प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। नास्त्रेदमस की प्रत्येक भविष्यवाणी की सर्वमान्य व्याख्या ही स्वीकार की गयी है। कुछ अनसुलझी भविष्यवाणियों को भविष्य के लिए छोड़ दिया गया है। उनका उल्लेख सम्बन्धित अध्यायों में किया गया है।
1982 में पहली बार मैंने उस समय के नामचीन पत्रकार धर्मवीर गांधी (समाचार भारती न्यूज एजेंसी दिल्ली के पूर्व मुख्य संपादक) के प्रसिद्ध साप्ताहिक ‘खास खबर’ के लिए वार्षिक भविष्यवाणियाँ लिखीं, पहली ही भविष्यवाणी में मैंने संजय गाँधी की पत्नी श्रीमती मेनका गांधी द्वारा कांग्रेस से अलग होकर एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का उल्लेख किया था। यह भविष्यवाणी सच हुई और ऐसी भविष्यवाणी किसी ने भी नहीं की थी, इसलिए मेरी चर्चा दूसरे पत्र-पत्रिकाओं में भी हुई। इसके फौरन बाद 1983 में मुझे देश के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक ‘अमर उजाला’ के निदेशक (अब दिवंगत) अतुल महेश्वरी ने अपने समाचार-पत्र में विभिन्न आलेखों के साथ ही नियमित रूप से वार्षिक भविष्यफल लिखने का भी मौका दिया। अपनी भविष्यवाणियों में अनोखापन लाने के लिए पहली बार मैंने नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों का इस्तेमाल भी किया।
इस पुस्तक की प्रेरणा और नए संदर्भों के साथ इसे लिखने का अवसर देने के लिए मैं डायमंड प्रकाशन समूह के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार वर्मा, निदेशक-द्वय मनीष वर्मा एवं अंकुर वर्मा का अत्यंत आभारी हूं। सदा की तरह इस पुस्तक लेखन में भी मैंने अपनी पत्नी रंजना के अधिकार के समय का उपयोग किया है। वह ही मेरी जीवन भर मेरा ध्यान रखती आयी हैं। मेरे जीवन में उनके योगदान के लिए कृतज्ञता और आभार किसी भी तरह के शब्दों से व्यक्त करना असंभव है। डायमंड प्रकाशन समूह के कला-विशेषज्ञ संजय भारद्वाज ने इस पुस्तक के सभी तरह के कवर अनेक बार डिजाइन किये और साज सज्जा को भी बहुत गरिमा प्रदान की है। उनका भी अत्यंत आभार। यह पुस्तक मैं अपनी स्वर्गीय माता लक्ष्मी देवी और दिवंगत पिता यज्ञदत्त शर्मा की स्मृतियों को समर्पित करता हूं, मैं आज भी मानता हूँ कि उनका आशीर्वाद आज भी मेरी शक्ति बना हुआ है।
पाठकों के पत्रों और सुझावों का सदा की तरह स्वागत रहेगा। इस पुस्तक को मैंने बिना किसी पूर्वाग्रह के बहुत सतर्कता से तैयार किया है। नास्त्रेदमस संग्रहालय के चित्र (सर्वाधिकार पर्यटन कार्यालय, सैलों) को छोड़ कर इस पुस्तक में प्रयुक्त अधिकांश चित्र इन्टरनेट पर विभिन्न पब्लिक डोमेन से लिए गए हैं परन्तु उनका संपादन मैंने अपने तरीके से किया है। यदि इस पुस्तक के आगामी संस्करणों में किसी को भी किसी तरह के उचित या तार्किक संशोधन की जरूरत नजर आती है, तो आगामी संस्करणों में उस सुझाव का लेखकीय वक्तव्य में उल्लेख के साथ ही उसे निश्चित रूप से स्थान दिया जायेगा।
लखनऊ
20 अप्रैल, 2020
-अशोक कुमार शर्मा admin@ashokkumarsharma.com
विषय सूची
अध्याय-एक: भविष्य का तिलिस्म
द्वितीय अध्याय: नास्त्रेदमस कौन था?
तृतीय अध्याय: एक पत्र पुत्र के नाम
चतुर्थ अध्याय: सम्राट हैनरी को पत्र
पंचम अध्याय: भारत का भविष्य
छठा अध्याय: महाविनाशक महामारियां
सातवाँ अध्याय: 19 वीं से 21 वीं सदी की भविष्यवाणियाँ
आठवाँ अध्याय: तृतीय विश्वयुद्ध बेहद निकट
नौवाँ अध्याय: 21 वीं सदी तथा आगे की भविष्यवाणियाँ
अध्याय-एक भविष्य का तिलिस्म
हर इंसान अपना, अपने समाज और इस दुनिया के अनदेखे भविष्य का तिलिस्म समझना चाहता है। यही कारण है कि दुनिया में, भविष्य में झाँकने के सैकड़ों तरीके प्रचलित हैं। भविष्यकथन का कारोबार मानवता के इतिहास का ऐसा धंधा है, जिसमें लाखों करोड़ रूपये कमाए और खर्च किये जाते हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जिनको ज्योतिष और भविष्यवाणियों पर यकीन ही नहीं। इसके बावजूद भविष्यवाणियों की दुनिया इतनी फल-फूल रही है कि संसार में आज हर देश में ज्योतिष की कोई ना कोई विधा प्रचलित है। इस्लाम में भविष्यकथन को पाप माना गया है, इस्लामी कानूनों के मुताबिक भविष्य जानने में दिलचस्पी लेनेवाले को इस्लाम से बेदखल (निष्कासित) करने का प्रावधान है। इसके बावजूद कट्टर मुस्लिम राष्ट्रों में भी ज्योतिष का अस्तित्त्व इल्म-अन-नजूम, इल्म-अन-फलक और इल्म-ए-ज़फर के रूप में कायम है।
भविष्यवाणी विधियां
भविष्यवाणी करने की बहुत सी विधियां हर देश में कमोबेश प्रचलित हैं, यद्यपि यह स्पष्ट नहीं कि इन तरीकों का आधार कोई वैज्ञानिक तर्क है। आप लोगों में से कई लोग भी चेहरे, हाव-भाव और अपने अनुभव से लोगों के बारे में बहुत कुछ जान जाते होंगे। मोटे तौर पर भविष्यदर्शन के लिए निम्नलिखित प्रमुख तरीके आजमाए जाते हैं:
1. पक्षी ज्योतिष (एलेक्ट्रोमैंसी): इसमें पिंजरे में बंद प्रशिक्षित चिड़िया बाहर आकर वहां कतार में रखे अनेक भविष्य-लिखित कार्डों में से किसी को भी चुन लेती है। इसी आधार पर व्याख्या करके भविष्यवाणी की जाती है।
पक्षी ज्योतिष
2. उड़ान विश्लेषण (ऑगरी): आसमान में उड़नेवाले पक्षियों को देख कर किसी प्रकार का भविष्य कथन करना।
3. धर्म संकेत विज्ञान (बिब्लियोमैन्सी): किसी भी धर्म में आस्था रखनेवाले की श्रद्धा के मुताबिक चुने गए पवित्र धार्मिक ग्रंथ के किसी पृष्ठ को अचानक खोलकर भविष्य बताना।
4. अस्थि-आकृति ज्योतिष (बोन कॉस्टिंग): एक बड़े से बर्तन या झोले में पक्षियों या छोटे जानवरों की हड्डियों के विभिन्न आकृति वाले टुकड़े रख कर, उनको अचानक भूमि पर फेंकने पर निश्चित क्षेत्र में बने आकार से भविष्य बताया जाता है। इस तरीके में कुछ आदिवासी कौड़ियों, पंख, रंगीन चमड़ा, लकड़ी के टुकड़े और सींग से बने पासे भी इस्तेमाल करते हैं।
5. ताश ज्योतिष (कार्टोमैन्सी): टैरो कार्ड की तरह ताश के पत्तों से भविष्य बताना।
6. मोम-आकृति ज्योतिष (सेरोमैन्सी): पिघलते मोम से बननेवाले आकारों के आधार पर भविष्य बताना।
7. ची-ची (कौउ सिम): बांस की खोखली नली में धूप-बत्ती इत्यादि डालकर उनसे बने लिपिचिह्नों से भविष्य कथन की चीनी पद्धति।
8. हस्तरेखा शास्त्र (कीरोमैंसी): हाथ की रेखाओं से भविष्य बताने की इस प्राचीन कला को पामिस्ट्री भी कहते हैं। यह लम्बे समय से ज्योतिष की सबसे लोकप्रिय और सफल विधियों में गिनी जाती है।
9. शुभाशुभ कथन (क्रोनोमैंसी): किसी व्यक्ति के जीवन की प्रमुख शुभ-अशुभ घटनाओं, शुभ-अशुभ दिन, सप्ताह, माह और वर्ष के आधार पर भविष्यवाणी करना।
10. दूर-ज्योतिष (क्लेयरवॉयेन्स): आध्यात्मिक या अन्तर्दृष्टि द्वारा बहुत दूर से किसी व्यक्ति से मिले बिना ही उसके बारे में जानकर भविष्य बताना।
11. स्फटिक ज्योतिष (क्रिस्टलोमैंसी): बहुत ही प्राचीन समय से भविष्य बताने की यह पारम्परिक और लोकप्रिय कला अनेक घुमंतू जनजातियों में बहुत अधिक प्रचलित रही है। इसमें किसी स्फटिक