LAL KITAB (Hindi)
160 pages
Hindi

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Description

Prastut pustak ''Lal Kitab'' ko ek vishishth granth ke roop mein prastut kiya gaya hai. Ismein jyotish evam hasthrekha shastra ka mishran hai. Inn dono kalaaon ka nichodh ismein diya gaya hai. Ismein-1. Griho ke bure prabhav. 2. nakshatron ke bure prbhav. 3. maanglik dosh. 4. kaalsarp dosh tatha kundli dosh, ko dur karne ke upaaye vistaar mein samjhaaye gaye hain. Aise anek dosh jo manushya ki janam kundli mein paaye jaate hain jiske kaaran manushya ki pragati mein badhayein aati hain, durghatnayen hoti hain, aadi se bachne ke upaaye sujhaye gaye hain. Yeh ek atyant pathneeye pustak hai.


Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 01 juin 2015
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573631
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 2 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0750€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

अम्बिका प्रसाद पाराशर
सुरेश चन्द्र पाराशर







प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002
23240026 , 23240027 • फैक्स: 011-23240028
E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com

क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद-500 095
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com

शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com

फॉलो करें:
© कॉपीराइट:
ISBN 978-93-505736-3-1

डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020



प्रकाशकीय

वैदिक ज्योतिष के क्षेत्र में लाल किताब का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस लाल किताब में दो भिन्न कला ज्योतिष (Astrology) एवं हस्तरेखा विज्ञान (Palmistry) का सम्मिश्रण है। सबसे पहले यह पुस्तक लाल पक्की जिल्द वाले कवर के रूप में प्रकाशित की जाती थी। इसी लिए इसका नाम लाल किताब पड़ा।
लाल किताब का पहला लेखक कौन था, यह एक विवादास्पद विषय है फिर भी पण्डित रूप चंद जोशी (१८९८-१९८२) को इस विज्ञान के जानकार के रूप के याद किया जाता है जिन्होंने १९३९ से १९५२ के बीच इस किताब के पाँच खण्ड लिखकर तैयार किये थे। कुछ लोगों के मतानुसार वैदिक ज्योतिष के वह पहले मौलिक लेखक थे तथा पण्डित रूप चंद जोशी द्वारा लिखे गये ५ खण्ड को ही लाल किताब के नाम से जाना जाता है। सन् १९३९ में प्रकाशित ‘लाल किताब के फरमान’ (The Edicts of Lal Kitab), १९३९, ३८३ पेज, की एक प्रति लाहौर म्यूजियम में सुरक्षित है।
हमारे देश में यह परम्परा रही है कि व्यापारी वर्ग का बहीखाता का कवर लाल ही होता है। हिन्दू धर्म में लाल को बहुत ही शुभ माना जाता है तथा गणेश एवं लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। हिन्दू धर्म में सभी शुभ अवसरों पर लाल कुमकुम का प्रयोग किया जाता है। लाल किताब पर भी लाल जिल्द चढ़ाई जाती है क्योंकि इसमें दुनियावी हिसाब-किताब (the ledger book of one’s life) होता है लाल किताब जन्म कुण्डली की व्याख्या एक नये तरीक़े से पेश करती है तथा ग्रह नक्षत्रों के प्रभावों को दूर करने के लिए पहुँच के अन्दर उपाय (Remedies) भी बताती है।
कुछ लोगों के अनुसार लाल किताब फारसी में लिखा गया एक विशिष्ट ग्रन्थ है जो ज्योतिष के फलित पक्ष जैसे सन्तान, विवाह, स्वास्थ्य, आयु जीवन निर्वाह की विधि तथा साधन आदि के बारे में चर्चा करता है तथा अद्भुत टोटके और उपायों द्वारा अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रयत्न भी बतलाता है।
प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य इस ज्ञान को समाज में बाँटना तथा उसे आगे बढ़ाना है। आशा है इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले पाठक इससे अवश्य लाभान्वित होंगे।


विषय-सूची
लाल किताब एवं भारतीय ज्योतिष सम्बन्धी नवीन अनुभव
कुण्डली देखते समय प्रत्येक घर से फलादेश का आँकलन
लाल किताब के अनुसार ग्रह कैसे फल करते हैं?
लाल किताब और ज्योतिष में बदलाव की आवश्यकता
लाल किताब और प्राचीन ज्योतिष से कष्ट निवारण
लग्नेश का प्रथम घर से बारहवें घर तक का सफर तथा फल
नक्षत्रों से सम्बन्धित व्यवसाय
नक्षत्रों से महादशा निकालने की आसान विधि
लाल किताब के अनुसार कुण्डली के भाव तथा उनमें स्थित ग्रहों का फल
लाल किताब से शादी का विचार
प्रेम विवाह/अन्तर्जातीय एवं एक से अधिक विवाह के योग?
जन्म कुण्डली से भाई बहन तथा सन्तान का विचार
निवास सम्बन्धी नियम एवं सावधानियाँ
कालसर्प योग पर सघन विचार
मांगलिक दोष तथा निवारण
नवग्रह तथा उनका विभिन्न भावों में प्रभाव
दो ग्रहों का फलादेश
जातक के जीवन में नवग्रहों की विशेष स्थिति
राशियों की जाति और उनका परिचय
हस्तरेखा द्वारा भविष्य का ज्ञान



लाल किताब एवं भारतीय ज्योतिष सम्बन्धी नवीन अनुभव

यह निश्चित नहीं है कि प्राचीन काल में किस युग से हमारे महर्षियों ने अपनी साधना तथा गहरे अनुभव द्वारा ज्योतिष सम्बन्धी सिद्धान्त प्रतिपादित किये, किन्तु जो भी व्यक्त किया, वह ग्रहों के सूक्ष्म अवलोकन तथा उनके गहरे अधययन के आधार पर ही निर्भर था। उसी ज्ञान को महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों में समेट कर आगे आने वाले समय के लिये एक धरोहर के रूप में प्रस्तुत किये जिससे भारतीय ज्योतिष सारे संसार में प्रख्यात हुई। लाल किताब भी एक ऐसा ही विशिष्ट ग्रन्थ है जो फ़ारसी में लिखा गया था तथा जो ज्योतिष के फ़लित पक्ष जैसे सन्तान, विवाह, स्वास्थ्य, आयु, जीवन निर्वाह की विधि तथा साधन आदि के बारे में चर्चा करता है और समस्याओं के समाधान हेतु अद्भुत टोटके और उपायों द्वारा अशुभ फ़ल प्रदान करने वाले ग्रहों के प्रभाव को घटाने हेतु प्रयत्न भी बतलाता है।
हमने भी कुछ ऐसे टोटकों का समय-समय पर वर्णन किया है, किन्तु हमारा झुकाव भारतीय ज्योतिष की विशेषताओं की ओर अधिक रहा है। इसी कारण हमने मांगलिक दोष, कालसर्प योग तथा हस्त रेखाओं द्वारा फ़लादेश के महत्त्व को दशार्ते हुए इस ज्ञान को आगे बढ़ाने की चेष्टा की है, जिसके द्वारा ज्योतिष सीखने व समझने वालों को लाभ हो सकता है तथा भारतीय ज्योतिष के महत्त्व को समझने का अवसर मिल सकता है।
आशा है पाठक हमारे विनम्र प्रयत्न से लाभ उठाकर जीवन को सुखमय बनायेंगे।



कुण्डली देखते समय प्रत्येक घर से फलादेश का आँकलन
हमारे विचार में यह नितान्त आवश्यक है कि ज्योतिष सीखने से पूर्व कुण्डली के बारह घर जातक की किन-किन विशेषताओं तथा सम्बन्धों आदि को दशार्ते हैं, उन्हें ठीक तरह से समझ लेना चाहिए। आप की सुविधा हेतु वह सब हमने निम्न चार्ट में अंकित किया है।

ग्रहों की उच्च नीच राशि में स्थिति के पीछे यह तथ्य है कि जब ग्रह उच्च राशि में बैठा होता है तब उसकी किरणें अच्छी तरह से प्राप्त होती हैं और जब नीच राशि में होता है तब उसकी किरणें अच्छी तरह से प्राप्त नहीं होती हैं उच्च एवं नीच राशि के बारे में कुछ विद्वानों का मत है कि जब ग्रह उच्च राशि में स्थित होता है और वक्री हो जाता है तब अच्छा फल नहीं देता। अगर ग्रह नीच राशि में है फिर भी वक्री है तो अच्छा फल करेगा। हमारे अनुभव से वक्री ग्रह अच्छा फल नहीं देते हैं। नीचे अंकित है कौनसा ग्रह किस राशि में उच्च एवं नीच का होता है:-

ग्रह
उच्च राशि
नीच राशि
सूर्य
मेष राशि
तुला
चन्द्रमा
वृष राशि
वृश्चिक
मंगल
मकर राशि
कर्क
बुध
कन्या राशि
मीन
गुरु
कर्क राशि
मकर
शुक्र
मीन राशि
कन्या
शनि
तुला राशि
मेष
राहु
कन्या राशि
मीन
केतु
धनु राशि
मिथुन

राहु-केतु छाया ग्रह हैं इसलिए इनकी कोई राशि नहीं है। राहु बुध के घर में अच्छा फल करता है, क्योंकि बुध एक शुभ ग्रह है और राहु महापापी है लेकिन राहु-केतु जिसकी राशि में बैठते हैं प्राय: वैसे हो जाते हैं। केतु मोक्ष देने वाला ग्रह है और गुरु धार्मिक ग्रह है इसलिए गुरु की राशि में केतु अच्छा फल करता है। ग्रहों के उच्च-नीच के बारे में विचार है कि जिस जातक ने पिछले जन्म मे पिता की सेवा की है या राजा के प्रति पूरा वफादार रहा है उसका सूर्य उच्च का होता है। अगर और विस्तार से देखें तो सूर्य ग्रह मेष राशि के १० अंश तक उच्च होता है। वह नक्षत्र केतु का है केतु को मोक्ष का कारक माना गया है। सूर्य आत्मा है इसलिए आत्मा का अन्तिम लक्ष्य परमात्मा से मिलना है। जिनका चन्द्रमा उच्च होता है उन्होंने पूर्व जन्म में माता की सेवा या बुजुर्गों की सेवा की है। चन्द्रमा वृष राशि में ३ अंश पर परम उच्च का होता है। वह नक्षत्र कृतिका है जो सूर्य का नक्षत्र है, चन्द्रमा मन माना गया है। मन जिस काम में जितना अधिक लग जाये व्यक्ति उतना अधिक तरक्की करता जाता है। इसलिए कृतिका नक्षत्र में जब चन्द्रमा आता है तब जातक संसार का सुख भोगते हुए परमात्मा की तरफ झुकाव हो जाता है अर्थात् मन, सत्य और रज दोनों की तरफ हो जाता है।
मंगल के बारे में कहा जाता है कि जिन्होंने पूर्व जन्म में अपने भाई बन्धु की बहुत सेवा की है उनका मंगल उच्च का होता है। मंगल मकर राशि में २८ अंश पर परमोच्च होता है। मंगल एक सेनापति ग्रह है और जब एक सेनापति दुश्मनों के बीच में फँस जाता है और अपना कला कौशल दिखा कर कामयाब हो जाता है तभी उसकी बहादुरी का पता चलता है। इसलिए मंगल मकर राशि में उच्च का होता है। बुध के बारे में कहा जाता है कि जिसने पूर्व जन्म में बहन, बुआ, मौसी की बहुत सेवा की है उनका बुध उच्च का होता है। बुध कन्या राशि के हस्त नक्षत्र में १५ अंश पर परमोच्च होता है बुध एक बुद्धि का ग्रह है और हस्त नक्षत्र चन्द्रमा का नक्षत्र है। जब जातक बहुत अधिक बुद्धिमान बन जाता है तो कई बार वह अपनी बुद्धि से ऐसी चीज बनाता है जिससे साधारण व्यक्ति को बहुत दु:ख उठाना पड़ता है। जैसे आज के युग में बहुत बड़े-बड़े खतरनाक हथियार एवं औजार बनाये गये हैं जो व्यक्ति के जीवन से सुख चैन छीन लेते हैं। लाल किताब कहती है कि व्यक्ति जितना अधिक ज्ञानवान तथा बुद्धिमान बनता गया है उतना भगवान से दूर होता गया है इसलिए आज मनुष्य सुख चैन से दूर है।
गुरु कर्क राशि में उच्च का होता है कहा जाता है कि वह जातक पूर्व जन्म में सन्त था या बहुत ही तपस्या करने वाला होगा और उसने तथा ब्राह्मणों की बहुत सेवा की होगी। गुरु को धन, जायदाद का कारक माना गया है। गुरु पुष्य नक्षत्र में अर्थात् कर्क राशि में ५ अंश पर परमोच्च होता है। शनि अभाव, रिक्तता, दु:ख, तकलीफ का ग्रह है और गुरु ज्ञान तथा धर्म का,

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