HASTH REKHA VIGYAN (Hindi)
88 pages
Hindi

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HASTH REKHA VIGYAN (Hindi) , livre ebook

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Description

Hasthrekha shastra pracheen hrishi-muniyo dwara vishwa ko diya gaya uphar hai. Hasthrekha ka sambandh bhartiye samudrik shastra, hastha samudrik shastra tatha falit-jyotish se hai. Prastut pustak ka pradayan khyatilabdh vidwan hasthshastri shri surendra nath saxena dwara kiya gaya hai. iss pustak mein hasthrekha ki baarikiyon par prakash daala gaya hai. pustak sakaratmak evam sahayak hogi. prastut pustak mein griho ke haanikarak prabhavo ko dur karne ke uppayo ka vistrit vivechan kiya gaya hai. bhavishya ki jaankari se durghatnaon evam appatiyon se bachav ke tariko evam savdhaniyon ke vishey mein upaaye bataaye gaye hain. pustak padhne ke baad pathak apni khubiyon ke saath-saath apni kamiyon ko jaan paayega. isse usse apni khubiyon ko nikharne tatha kamiyon ko dur karne mein atyadhik sahayta prapt hogi.


Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 01 juin 2015
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573570
Langue Hindi

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

हस्तरेखा विज्ञान
हाथ की रेखाओं से भविष्य कथन




लेखक
सुरेन्द्र नाथ सक्सेना
पॉमिस्ट एण्ड न्यूमरलॉजिस्ट
(हस्तरेखा और अंकविद्या शास्त्री)









प्रकाशक
F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002
23240026 , 23240027 • फैक्स: 011-23240028
E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com

शाखा: हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद-500 095
040-24737290
E-mail: info@vspublishers.com

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© कॉपीराइट:
ISBN 978-93-505735-7-0
संस्करण: 2012


भारतीय कॉपीराइट एक्ट के अन्तर्गत इस पुस्तक के तथा इसमें समाहित सारी सामग्री (रेखा व छायाचित्रों सहित) के सर्वाधिकार प्रकाशक के पास सुरक्षित हैं। इसलिए कोई भी सज्जन इस पुस्तक का नाम, टाइटल डिजाइन, अन्दर का मैटर व चित्र आदि आंशिक या पूर्ण रूप से तोड़-मरोड़ कर एवं किसी भी भाषा में छापने व प्रकाशित करने का साहस न करें, अन्यथा कानूनी तौर पर वे हर्जे-खर्चे व हानि के जिम्मेदार होंगे।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020


प्रकाशकीय
यह सत्य है कि भारतवर्ष को विश्व गुरु की संज्ञा दी गयी है। भारतवर्ष के प्राचीन ॠषि-मुनियों ने विश्व को जो अनमोल उपहार भेंट किये हैं उनमें से एक हस्तरेखा विज्ञान भी है। महर्षि वाल्मीकि ने आज से 6-7 हजार वर्ष पूर्व हस्तरेखा शास्त्र पर 567 श्लोकों का एक ग्रन्थ लिखा था। भारत से ही यह ज्ञान तिब्बत, चीन, मिस्र और यूनान पहुँचा।
आधुनिक काल में हस्तरेखा ज्ञान को लोकप्रिय बनाने का श्रेय सुप्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री कीरो (Cheiro) को जाता है। कीरो ने अपनी पुस्तक ‘Language Hand’ में लिखा है कि वह भारत आये थे तथा भारत के पण्डितों से हस्तरेखा का ज्ञान सीखे थे।
हस्तरेखा विज्ञान एक गहन और दुरूह शास्त्र है। आवश्यकता है श्रद्धा के साथ मनन और अभ्यास की। प्रस्तुत पुस्तक ‘हस्तरेखा विज्ञान’ इन्हीं सब समस्याओं को दूर करने के लिए प्रामाणिक रूप में तैयार की गयी है। पुस्तक की भाषा सरल, सहज एवं बोधगम्य है जिससे प्रत्येक वर्ग का पाठक विषय को आसानी से समझ सके। जगह-जगह पर अँग्रेजी शब्दों का प्रयोग भी दिया गया है जिससे किसी शब्द के विषय में कोई संशय न रहे। पुस्तक की प्रस्तुति में पाठकों की जिज्ञासाओं एवं ज्ञान की व्यापकताओं को भी ध्यान में रखा गया है। पुस्तक नवीनतम ज्ञान (Latest Knowledge) पर आधारित है। यह हस्तरेखा विज्ञान की पहली ऐसी पुस्तक है जिसमें हस्तरेखाओं के फलों की व्याख्या करते हुए ग्रहों के बुरे व हानिकारक प्रभावों से बचने के अचूक मनोवैज्ञानिक उपायों पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के लेखक सुरेन्द्र नाथ सक्सेना जाने-माने हस्तरेखा शास्त्री और अनेक मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक पुस्तकों के लेखक हैं।
यदि कुछ त्रुटियाँ रह गयी हों तो आप इन त्रुटियों के तरफ हमारा ध्यान आकर्षित कर अपना सत्परामर्श देंगे। आपके सत्परामर्श से ही हम ऐसी त्रुटियों का निराकरण कर सकेंगे। आपके सहयोग की अपेक्षा है।
हमें आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप इस पुस्तक को पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे।

समर्पण
यह पुस्तक सादर समर्पित है
विश्वप्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री
जॉन वार्नर ‘कीरो’ को
(उन्हें काउण्ट लुइस हेमन भी कहते हैं।)
जिन्होंने भारतीय हस्तसामुद्रिक शास्त्र को
पूरे विश्व में प्रतिष्ठित किया।

दो शब्द
“आप निश्चय ही जीवन में सफलता व सुख पायेंगे। दिली कोशिश करने पर आप जो चाहेंगे, वह उचित रूप में, उचित समय पर आपको अवश्य मिलेगा।
प्रिय पाठक! यह भविष्यवाणी मैं आपके इस एक्शन को देखकर लिख रहाहूँ कि आपने इस पुस्तक को उठा लिया है और पढ़ रहे हैं। यह भविष्यवाणी उसी तरह सच्ची है जैसे एक रसोइया चावल का एक दाना परखकर पूरे चावलों के बारे में बता देता है कि वे पक गये हैं, तैयार हो चुके हैं।
जी हाँ, आप सफलता पाने के लिए तैयार हो चुके हैं। क्यों?
क्योंकि आपके अन्दर उचित ज्ञान पाने की चाह है और इस चाह में ही वह इच्छाशक्ति (Will Power) है जो बड़ी-बड़ी समस्याओं और नाकामियों को महान सफलता में बदल देती है।
आपमें यह इच्छाशक्ति है तभी आप इन पंक्तियों को पढ़ रहे हैं।
ज्ञान शक्ति है और इस शक्ति का जो सदुपयोग करता है वही सफलता के सिंहासन का स्वामी बनता है। आलसी नहीं।
इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप अपनी खूबियों को भली प्रकार जान सकेंगे और कमियों को भी।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सफलता का छोटा-सा सूत्र है,
अपनी कमियों को जानो और उन्हें दूर करो!
अपनी खूबियों को जानो, बढ़ाओ और उनका उपयोग करो।
आप अपनी कमियों को दूर कर, परमात्मा द्वारा दिये अपने स्वभाव व रुचि के अनुसार व्यापार, व्यवसाय या नौकरी कर ऊँची से ऊँची कामयाबी पाने की कोशिश करेंगे।
जहाँ दिली कोशिश है, वहीं कामयाबी है।
फिर देर कैसी? “शुभस्य शीघ्रम”
आपकी जीवन यात्रा आनन्दपूर्ण हो! शुभ हो!
-सुरेन्द्र नाथ सक्सेना


विषय-सूची
परिचय प्राचीन भारत का अनमोल उपहार विज्ञान की कसौटी पर हाथों का विकास हस्तरेखा शास्त्र और परामनोविज्ञान (Palmistry & Parapsychology) हस्तरेखा शास्त्र की उपयोगिता (Utility of Palmistry) बुरे ग्रहों के प्रभाव से बचने के उपाय भविष्य की जानकारी से दुर्घटनाओं व आपत्तियों से बचाव हस्तरेखाओं का अध्ययन और भविष्यवाणी सम्बन्धी सावधानियाँ भविष्य बताने में सावधानियाँ पुस्तक पढ़ने की विधि
अध्याय-1 हाथ का आकार-प्रकार हाथ (Hand) हाथ का पृष्ठभाग (Back of the Hand) हाथों पर बाल (Hair on the Hand) लम्बी अँगुलिया (Long Fingers) हथेली (Palm) हाथ के प्रकार (Types of Hands) हाथों को देखते समय की सावधानियाँ स्त्री और पुरुष के हाथ हथेली और हाथ की अन्य विशेषताएँ छोटे और बड़े हाथ
अध्याय-2 हाथ का अँगूठा और अँगुलियाँ हाथ का अँगूठा हथेली और अँगूठा अँगूठे की स्थिति (Position of the Thumb) अँगूठे की लम्बाई (Length of the Thumb) अँगूठे की बनावट (Formation of the Thumb) कठोरता या लचीलापन (Hard or Supple) अँगूठे के पर्व अँगूठे के अन्य प्रकार व गुण प्राचीन भारतीय हस्तसामुद्रिक के अनुसार गुण-दोष अँगूठों के झुकाव के आधार पर भाग्य वर्गीकरण
अध्याय-3 अँगुलियाँ और उनके गुण-दोष अँगुलियों के सन्धिस्थल और गाँठे (The Joints of Fingers & their Knots) तर्जनी अँगुली (Index Finger)/पहली अँगुली/बृहस्पति की अँगुली मध्यमा अँगुली (Middle Finger) शनि की अँगुली अनामिका अँगुली (Ring Finger) सूर्य की अँगुली कनिष्ठिका अँगुली (Little Finger) बुध की अँगुली अन्दर की ओर मुड़ी अँगुलियाँ अँगुलियों के बीच खाली स्थान हाथ का प्रकार और अँगुलियों के फल अँगुलियों के पोरों पर चिह्न और उनके फल नाखून (Nails) और स्वास्थ्य रंगो की दृष्टि से पूरे हाथ का वर्गीकरण ताप (गरमी) की दृष्टि से हाथों का वर्गीकरण रेखाओं की दृष्टि से हाथ का वर्गीकरण
अध्याय-4 ग्रह क्षेत्र या पर्वत उनकी स्थिति तथा फल अधिक उठे/दबे ग्रह क्षेत्र हाथ के दो प्रमुख भाग मंगल का बड़ा त्रिकोण तथा चतुष्कोण एवं उसके फल सूर्य रेखा से बना त्रिकोण ऊपरी कोण मध्य कोण निचला कोण चतुष्कोण (Quadrangle)
अध्याय-5 हाथ की मुख्य रेखाएँ हाथ की मुख्य रेखाओं का संक्षिप्त विवरण टिप्पणी
अध्याय-6 रेखाओं के प्रकार तथा शुभ-अशुभ फल रेखा का टूट जाना श्रृंखलाबद्ध या जंजीरदार रेखा फुँदनी दो रेखाएँ
अध्याय-7 हाथ के विशेष चिह्न 1. सितारा (Star) 2. क्रॉस (Cross) 3. चतुष्कोण 4. द्वीप (Island) 5. मछली या मत्स्य रेखा (Fish) 6. त्रिकोण (Triangle) 7. त्रिशूल (Trident) या वाण की नोक 8. जाली (Grill) 9. क्रास बार (Cross Bar) 10. गोला (Circle) टिप्पणी रहस्यमय क्रॉस (La Croix Mystique)
अध्याय-8 आपका जीवन और आपका स्वास्थ्य जीवन रेखा (The Line of Life) जीवन रेखा का प्रारम्भ जीवन रेखा तथा मंगल रेखा जीवन रेखा तथा स्वास्थ्य रेखा जीवन रेखा का अन्त विज्ञान और हस्तरेखाएँ
अध्याय-9 आयु जानने की विधियाँ जीवन रेखा से आयु पता लगाना भाग्य रेखा से आयु पता लगाना
अध्याय-10 जीवन में शुभ-अशुभ यात्रएँ और दुर्घटनाएँ दुर्घटनाएँ (Accidents)
अध्याय-11 सबसे महत्त्वपूर्ण रेखा-मस्तिष्क रेखा मस्तिष्क रेखा सम्बन्धी सामान्य लक्षण द्वीप चतुष्कोण मस्तिष्क रेखा का हाथ के आकार-प्रकार से सम्बन्ध
अध्याय-12 हत्या करने की सम्भावना बताने वाले लक्षण आत्म हत्या की सम्भावना बताने वाले लक्षण पागलपन की सम्भावना बताने वाले लक्षण टिप्पणी
अध्याय-13 आपकी हृदय रेखा (The Line of Heart)
अध्याय-14 हृदय, मस्तिष्क और विवाह रेखाएँ विवाह की आयु सन्तान रेखाएँ
अध्याय-15-धन-सम्पत्ति और कैरियर भाग्य रेखा (The Line of Fate) भाग्य रेखा का अन्त
अध्याय-16 सूर्य या विद्या रेखा (The Line of Sun or Apollo)
अध्याय-17 प्राचीन प्रमुख हस्तरेखा-योग
उपसंहार - सफलता और सकारात्मक जीवन शैली


परिचय
प्राचीन भारत का अनमोल उपहार
भारतवर्ष के प्राचीन ॠषि-मुनियों ने विश्व को जो अनमोल उपहार भेंट किये हैं उनमें से एक हस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) भी है। इन महान ॠषियों में भृगु, कार्तिकेय, गर्ग, गौतम और वाल्मीकि के नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय हैं। महर्षि वाल्मीकि ने आज से लगभग 6. 7 हजार वर्ष पूर्व पुरुष हस्तरेखा शास्त्र पर 567 श्लोकों का एक ग्रन्थ लिखा था। भारत से यह ज्ञान तिब्बत, चीन, मिस्र और यूनान पहुँचा। प्राचीन यूरोप में यह ज्ञान वहाँ की घुमन्तू जाति जिप्सियों द्वारा फैला। जिप्सी आर्यों के वंशज माने जाते हैं जो भारत के निवासी थे।
ऐसा उल्लेख मिलता है कि यूनान (ग्रीस) के प्रसिद्ध व्यक्ति हिजानुस (Hispanus) को हर्मज (Hermes) की वेदी पर हस्तरेखा शास्त्र की पुस्तक मिली थी जो उसने सिकन्दर को भेंट की थी। ऐलोपैथिक चिकित्सा के जन्मदाता हिप्पोक्रेटस् अपने रोगियों की बीमारियों के मूल कारणों को जानने के लिए उनके हाथों और रेखाओं का भी अध्ययन करते थे।
हस्तरेखा शास्त्र का सम्बन्ध भारतीय सामुद्रिक शास्त्र, हस्तसामुद्रिक और फलित ज्योतिष से भी है। सामुद्रिक शास्त्र में व्यक्ति के पूरे शरीर के आकार-प्रकार व उन पर पड़े चिह्नों द्वारा उसका भाग्य जाना जाता है। फलित ज्योतिष में ग्रहों की गतियों व्यक्ति के जन्म का समय व स्थान के आधार पर ग्रहों की स्थितियों के अनुसार उसका भविष्य जानते हैं। इन शास्त्रों के साथ सम्बन्ध होते हुए भी ‘हस्तरेखा शास्त्र’ अपने आपमें एक स्वतन्त्र शास्त्र है।
आधुनिक काल में हस्तरेखा शास्त्र को लोकप्रिय बनाने का श्रेय सुप्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री (Palmist) कीरो (Cheiro) को जाता है। उनका जन्म आयरलैण्ड में हुआ था। उनका वास्तविक नाम जान वार्नर था। वह काउण्ट लुइस हेमन (Count Louis Hamon नाम से जाने जाते थे। कीरो ने अपनी पुस्तक ‘लैंग्विज ऑफ हैण्ड’ (

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