AAO JYOTISH SEEKHEIN
65 pages
Hindi

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Description

Renowned astrologer Tilak Chand Tilak first book written like this, which easily astrology reading can be learned well. You also teach astrology by learning from this book, others by giving them information Havishyafal Acmatkrih can.


Sujets

Informations

Publié par
Date de parution 01 juillet 2011
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352150137
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 2 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

आओ ज्योतिष सीखें

तिलक चन्द 'तिलक' योग्य एवं अनुभवी ज्योतिष तथा हस्तरेखा विशेषज्ञ हैं। वह हमेशा अनुसंधान में लगे रहते हैं । तभी प्रचलित मान्यताओं से आगे नई पद्धतियों का निर्माण कर रहे हैं।
ज्योतिष एक ऐसी चमत्कारी विद्या है, जिसे लाखों लोग सीखना चाहते हैं, परन्तु सिखाने वली प्राथमिक पुस्तके कुछ ऐसी जटिल हैं कि जिज्ञासु पाठक उलझ कर रह जाते हैं।
अनगिनत पाठकों की मांग पर तिलक चन्द 'तिलक' ने सरल एवं रोचक शैली में ज्योतिष की प्रथम पुस्तक की रचना की है। आओ ज्योतिष सीखें एक ऐसी पुस्तक है, जिसे पूरी लगन के साथ पढ़कर अभ्यास करने के बाद केवल 5 मिनट में ही कुण्डली बनाना और भविष्यफल बताना सीख सकते हैं।
इस पुस्तक में उन्होंने प्रयत्न किया है कि इसे उन दोषों से मुक्त रख सकें, जो प्राय: दूसरी पुस्तकों में पाए जाते हैं । अत: यह व्यक्ति को पूरी तरह परिपक्व बनाने में सक्षम है। इसमें विषय की गहराई और बारीकियों को भी उन्होंने बहुत सहज ढंग से समझाया है।
आइए, आप भी ज्ञान के भण्डार की इस अनूठी पुस्तक से ज्योतिष सीखें और हर कहीं, हर किसी को भविष्यफल बता कर चमत्कृत कर दें।

 
आओ ज्योतिष सीखें
ज्योतिष सिखाने वाली प्रथम पुस्तक
 
 
 
तिलक चन्द 'तिलक'
 
 
 
 



प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
फ़ॉलो करें:
 
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-81-223000-0-0
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020
 
 
 

• जिनकी कृतियों ने मुझे ज्योतिष की गहराइयों में उतरने की प्रेरणा दी।
• जिनके सुन्दर वाक्य मेरे ह्रदय पटल पर अंकित हैं।
• बोलना कष्टकारी होते हुए भी, जो मुझे रहस्य की बातें बताते रहे।
• जिनको मैंने ह्रदय की गहराइयों से, पूर्ण श्रद्धा से, गुरु माना।
• जिनका आशीर्वाद पाकर मैंने स्वयं को ज्योतिष के प्रति समर्पित कर दिया।
ऐसे क्रान्तिकारी महामहिम ज्योतिष कलानिधि, दैवज्ञ शिरोमणि। स्वर्गीय पण्डित गोपेश कुमार ओझा जी को सादर समर्पित।
भूमिका
अ पना भविष्य जानने की इच्छा किसे नहीं होती अर्थात् सभी को होती है। और जिस विद्या द्वारा भविष्य जाना जा सकता है, उसका नाम है ज्योतिष।
ज्योतिष में इतना आकर्षण है कि लाखों करोडों लोग इसे सीखना चाहते हैं , किन्तु सीखने के साधन सुगमता से जुटा नहीं पाते। इस विषय को प्राथमिक पुस्तकें भी प्राय: ऐसी हैं कि नया पाठक, जो ज्योतिष के विषय में थोड़ा-सा भी नहीं जानता, इनमें उलझ कर रह जाता है।
एक तो ज्योतिष जैसा गहन विषय है फिर कठिन शब्दावली, जटिल भाषा और शैली भी नीरस होने के कारण पाठक बेचारा भूल- भुलैया में पड़ जाता हैं । उसके पल्ले कुछ भी नहीं पड़ता। परिणामत: वह पुस्तक का अध्ययन ही छोड़ देता है।
‘पुस्तक महल' द्वारा प्रकाशित मेरी अन्य पुस्तक 'फलित ज्योतिष रेडी रेकनर' (जिसका छह मास के अन्दर दूसरा और फिर दस मास के अन्दर तीसरा संस्करण छप चुका है ) की सफलता पर मुझे पाठकों के ढेरों प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं। प्राय: उन सभी में अधिक प्रशंसा इस बात की की गई है कि पुस्तक अत्यन्त सरल एवं रोचक शैली में है। अनगिनत पाठकों ने यह भी आग्रह किया है कि मैं ज्योतिष में रुचि रखने वाले नए पाठकों के लिए भी इसी प्रकार की सरल एवं रोचक शैली में एक पुस्तक लिखूं
पाठकों के इस आग्रह का सम्मान करते हुए मैं यह पुस्तक मुख्यत: उन लोगों के लिए लिख रहा हूं, जो ज्योतिष के बारे में बिल्कुल कोरे हैं, यानी कुछ भी नहीं जानते।
यद्यपि एक नया पाठक मेरी यह पुस्तक पढ़ लेने के पश्चात ज्योतिषी तो नहीं बन पाएगा, तथापि मैं यह बात पूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कोई व्यक्ति इसे लगन एवं निष्ठा से पढ़ लेने के पश्चात् इस योग्य अवश्य हो जाएगा कि वह पांच मिनट के अंदर जन्म कुण्डली बना सके और जन्म कुण्डली से भविष्य फल कथन भी इतना कर पाने में समर्थ होगा, जो सड़कों पर बैठे कई ज्योतिषियों के स्तर से अच्छा होगा।
इस पुस्तक में मैंने यह प्रयत्न भी किया है कि इसे उन दोषों से मुक्त रखूं, जिनके कारण बाजार में बिकने वाली ज्योतिष की प्राथमिक पुस्तकें पाठकों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाई हैं।
मुझे आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि मेरी यह पुस्तक भी फलित ज्योतिष रेडीरेकनर की भांति ज्योतिष के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी।
इस पुस्तक में रह गई त्रुटियों एवं मौलिक सुझावों के लिए आपके पत्रों की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।
114-ए गांधी नगर, ज़म्मू-180 004
तिलक चन्द 'तिलक', ज्योतिषी


अनुक्रम

1. ज्योतिष क्या है?
ज्योतिष की उत्पत्ति एवं महत्व • ज्योतिष की उपयोगिता • ज्योतिष शास्त्र के भेद • आकाश परिचय • सौर मण्डल की उत्पत्ति • ग्रह परिचय • नक्षत्र एवं राशि परिचय 'तिथियां • शुक्ल पक्ष की तिथियां अंशों अहित • कृष्ण पक्ष की तिथियां अंशों सहित • करण • वार • योग • पंचांग परिचय

2. जन्म कुण्डली क्या है?
जन्म कुण्डली का महत्व • जन्म कुण्डली के बारह भाव • जन्म कुण्डली के प्रकार • जन्म राशि जानना • जन्म कुण्डली बनाने की विधि • जन्म पत्रिका के रूप • चन्द्र कुण्डली बनाना • चन्द्र लग्न कुण्डली का महत्व • कौन ग्रह किसका अधिष्ठाता? • वस्तुओं के स्थिर कारक ग्रह • ग्रहों का शरीर के आंतरिक भागो पर आधिपत्य • ग्रहों का शरीर के बाह्रा अंगों पर आधिपत्य • ग्रहों के पारस्परिक बल • ग्रहों का राशि स्वामित्व • ग्रहों का उच्च-नीचादि ज्ञान चक्र • ग्रहों का अस्त होना • ग्रहों को अवस्था • ग्रहों का प्रभाव दिखाने का विशेष समय ( भाग्योदय काल) • ग्रहों के तत्व • ग्रहों से संबंधित रोग • ग्रहों के बल • ग्रह मैत्री चक्र • नैसर्गिक मैत्री चक्र • तात्कालिक मैत्री • पंचधा मैत्री • शुभ ग्रह एवं अशुभ ग्रह • वक्री एवं मार्गी ग्रह • ग्रहों की दृष्टि • ग्रहों के गुण • ग्रहों के स्वभाव • ग्रहों की दिशाएं • ग्रहों की ऋतुएं • ग्रहों के रंग • ग्रह दोषापहरन • ग्रहों की दस अवस्थाएं और उनके फल • सूर्य की बारह राशियों में स्थिति का फल • चन्द्रमा की बारह राशियों में स्थिति का फल • मंगल की बारह राशियों में स्थिति का फल • बुध की बारह राशियों में स्थिति का फल • बृहस्पति का बारह राशियों में स्थिति का फल • शुक्र की बारह राशियों में स्थिति का फल • शनि की बारह राशियों में स्थिति का फल • राहु की बारह राशियों मेँ स्थिति का फल • केतु की बारह राशियों में स्थिति का फल • ग्रहों की विभिन्न भावों में स्थिति का फल • जन्म नक्षत्र फल • जन्म राशि फल • मेष राशि या मेष लग्न में जन्म का फल • वृष राशि या वृष लग्न में जन्म का फल • मिथुन राशि या मिथुन लग्न में जन्म का फल • कर्क राशि या कर्क लग्न में जन्म का फल • सिंह लग्न या सिंह राशि मेँ जन्म का फल • कन्या राशि या कन्या लग्न में जन्म का फल • तुला राशि या तुला लग्न में जन्म का फल • वृश्चिक राशि या वृश्चिक लग्न में जन्म का फल • धनु राशि या धनु लग्न में जन्म का फल • मकर राशि अथवा मकर लग्न में जन्म का फल • कुम्भ राशि अथवा कुम्भ लग्न में जन्म का फल • मीन राशि अथवा मीन लग्न में जन्म का फल

3. जन्म कुण्डली से भविष्य फल जानना
• कुण्डली फल कथन के कुछ मौलिक सिद्धान्त • स्त्री कुण्डली फल कथन • लग्नेशों की विभिन्न भावों में स्थिति का फल • लग्नेशों का नीच राशि में होने का फल • महादशा व अन्तर्दशा • विंशोत्तरी दशा चक्र • शनि की महादशा या अन्तरर्दशा में • भविष्य फल जानने की विधि

ज्योतिष क्या है?
ज्यो तिष उस विद्या का नाम है जिसके द्वारा आकाशीय ग्रहों के माध्यम से भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों आयामों का हाल जाना जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र का अपर नाम ज्योति: शास्त्र भी है। ज्योति :शास्त्र का अर्थ हुआ- प्रकाश देने वाला शास्त्र। अर्थात् वह शास्त्र, जो संसार के सुख- दुख, जीवन मरण एवं ब्रह्राण्ड के अंधकाराच्छन्न जैसे विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालकर उन्हें उजागर करने की क्षमता रखता हो।
सौर मण्डल में सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि ब्रह्राण्डीय पिण्डों को ज्योतिष या ज्योतिष्क कहा जाता है। जिस शास्त्र के द्वारा इन ग्रहों की गति एवं प्रभाव का ज्ञान प्राप्त हो, उसे ज्योतिष शास्त्र कहते हैं; यथा-
ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्
अर्थात् सूर्यादि ग्रहों के विषय में ज्ञान कराने वाले शास्त्र को ज्योतिष शास्त्र कहते हैं।
ज्योतिष की उत्पति एवं महत्व
ज्योतिष की उत्पति कब हुईं, इस विषय में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता । किन्तु, इसकी प्राचीनता इस बात से सिद्ध होती है कि संसार के सबसे प्राचीन ग्रंथ" वेद है माने जाते हैं; और ज्योतिष वेदों का अंग है।
वेद के छह अंग हैँ- 1. शिक्षा, 2 कल्प, 3. व्याकरण, 4. निरुक्त, 5. छन्द, 6. ज्योतिष।
एक मान्यता के अनुसार वेद ही सब विद्याओं का मूल उद्गम है। अत: यह स्पष्ट है कि ज्योतिष की उत्पत्ति उतनी ही प्राचीन है, जितनी वेदों की। यथा-
विफलान्य शास्त्राणि विवादस्तेषु केवलम्। सफल ज्योतिष शास्त्र चन्द्रार्को यत्र साक्षिणम्।।
अर्थात् अन्य सभी शास्त्र निष्फल हैं, क्योंकि उनमें वाद-विवाद के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलता, परन्तु सूर्य एवं चन्द्र जिसके साक्षी हैं, वह ज्योतिष शास्त्र ही पूर्ण सफल है।
ज्योतिष की उपयोगिता
संसार की प्रत्येक वस्तु तथा प्राणी ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव से पूर्ण प्रभावित है। भिन्न-भिन्न वर्णों में जन्म, सुन्दर एवं असुन्दर स्वरूप, तीव्र बुद्धि एवं मन्द बुद्धि, शुभाशुभ कृत्य, सुख-दुख आदि सभी बातें मनुष्य के पूर्व के कर्मों के अधीन होती हैं तथा प्रत्येक जातक की जन्म कुण्डली में विभिन्न भावों में स्थित ग्रह उसके भूत, वर्तमान तथा भविष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं। तथापि, जिस प्रकार औषधि के सेवन द्वारा प्रयत्न पूर्वक रोग को दूर या कम किया जा सकता है, उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र की सहायता से भूत, भविष्य एवं वर्तमान का ज्ञान प्राप्त कर अपने प्रयत्नों द्वारा वर्तमान तथा भविष्य के जीवन को प्रभावित एवं परिवर्तित भी किया जा सकता है। साथ ही अरिष्ट निवारक आश्रय लेकर संकटों से छुटकारा भी पाया जा सकता है। अत: यह शास्त्र जो होना है वह तो होगा ही पर आश्रित केवल "भाग्यवादी बने रहने के लिए नहीं कहता, अपितु भविष्य में घटने वाली घटन

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