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Description
Just as Confidence is a measure of a person’s potential, in the same manner, Courage generates energy within a person. All your decisions are cantered around these two qualities. Your qualifications, experience and talent, all are prevalent through these only. This book is a helpful directory for growth and success.
Sujets
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 21 juillet 2012 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789352151615 |
Langue | Hindi |
Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
रोमी सूद "उपमाश्री"
प्रकाशक
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-814486-4-9
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
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पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020
इम्प्रूव योर मेमोरी पॉवर 100.00
खुशी के 7 कदम 88.00
आत्म-समान क्यों और कैसे बढायें? 96.00
जीत निश्चित है! 96.00
हां, तुम एक विजेता हो! 96.00
जीवन में सफल होने के उपाय 96.00
भयमुक्त कैसे हों 72.00
धैर्य एवं सहनशीलता 96.00
व्यवहार कुशलता 60.00
निराशा छोडो सुख से जिओ 60.00
खुशहाल जीवन जीने के व्यावहारिक उपाय 96.00
सार्थक जीवन जीने की कला 96.00
मानसिक शान्ति के रहस्य 80.00
सफल वक्ता एवं वाक प्रवीण कैसे बनें 96.00
मन को उलझनें कैसे सुलझाएं 80.00
अपना व्यक्तित्व प्रभावशाली कैसे बनायें? 88.00
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अनुक्रम
आत्मविश्वास की जरूरत
आत्मविश्वास में बाधक आलोचनाएं
तनाव को दूर भगाएं
हीन भावना
निराशा के भाव
मन से जीतें आत्मविश्वास
दृढ़ संकल्प का अभाव
सफलता के लिए सफलता पर विश्वास करना जरूरी
दृष्टि साध्य पर
सकारात्मक दृष्टिकोण
संघर्ष आत्मविश्वास की जरूरत
आत्मविश्वास बढ़ाती है तत्काल निर्णय लेने की शक्ति
परिश्रम को दिशा दें
चिंता नहीं चिंतन कीजिए
सुप्त शक्तियों को जमाए
आत्मविश्वासी छवि बनाएं
कुछ बाधक भ्रांतियां
बाते छोटी मगर जरूरी
आत्मविश्वास के लिए संचित शक्ति जरूरी
साहस बनाम विश्वास
कुछ आत्मविश्वास हस्तियां
प्रार्थना
संकल्पों का घोषणा-पत्र
आत्मविश्वास की जरूरत
अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको सफलता प्राप्ति के लिए अपेक्षित गुणों का मूल्यांकन करना होगा । तत्पश्चात् उन गुणों का स्वयं में विकास करना होगा, तभी आप कह सकते हैं कि आप ही सफलता के असली हकदार हैं। सफल होना चाहते हैं तो आपका स्वयं की पात्रता सिद्ध करनी पड़ेगी। आज तक सफल हुए महान् व्यक्तियों के जीवन का विश्लेषण कीजिए। गौर कीजिए कि उनके आचरण में ऐसा क्या था, जिसने मंजिल तक पहुंचने में सीढ़ियों का कार्य किया। उस गुण को खोजने का प्रयास कीजिए, जिसके अभाव में आज का असाधारण माना जाने वाला व्यक्ति संभवत: एक साधारण व्यक्ति ही रह गया होता है । निश्चय ही यह आत्मविश्वास की ही शक्ति है, जो एक साधारण और सामान्य व्यक्ति की प्रतिष्ठित और सफल बना देती है । आत्मविश्वास के अभाव में आपका सारा ज्ञान, आपकी सारी योग्यताएं व्यर्थ हैं । इसके बिना न तो आपका ज्ञान काम आएगा और न ही योग्यताएं आपका साथ देंगी।
मनुष्य की शारीरिक शक्तियां इतनी प्रबल नहीं होती, जितनी आत्मविश्वास की शक्ति । आत्मविश्वास बहुत बडी शक्ति है । कई बार व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्षम होता है, किन्तु मानसिक रूप से बलवान नहीं होता । आत्मविश्यास की इस कमी के कारण वह अपनी शारीरिक शक्तियों का भी समुचित उपयोग नहीं कर पाता । यदि आप अपनी शारीरिक शक्तियों का भरपूर उपयोग करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपनी मानसिक शक्ति, जिसे आत्मविश्वास से पूरित किया जाता है, का विकास करना होगा ।
जिस व्यक्ति ने आत्मविश्वास के महत्त्व की जानकर इस गुण का विकास कर लिया, उसकी सफ़लता में संशय का स्थान ही नहीं बचता । कई बार हम किसी असाधारण से व्यक्ति से मिलते हैं और उसे नजरअंदाज कर देते हैं, मगर कुछ ही वर्षों बाद हमें ज्ञात होता है कि वह आज अपने क्षेत्र का सबसे सफल व्यक्ति बन गया है, तो हम बरबस उसके भाग्य की सराहना करने लगते हैं। हम यहीं मात खा जाते हैं और मात्र उसके भाग्य की प्रशंसा करके बात खत्म कर देते हैं तथा यह विचार करना भूल जाते हैं कि अमुक व्यक्ति के जीवन की इस चमत्कारिक सफलता का मूल कारण क्या है ? अगर उस कारण को खोजने का प्रयास करें, तो निश्चय ही उसकी सफलता का रहस्य, उसका आत्मविश्वास ही पाएंगे ।
आईजैक न्यूटन का नाम तो आपने सुना ही होगा।हां, वही आइजैक न्यूटन, जिन्होंने गति के सिद्धांतों' को परिभाषित किया, गुरुत्व के नियमों' की व्याख्या की प्रकाश के वर्णक्रम को खोजा और गणित' की नींव रखी। उनकी जीवन गाथा-पढ़ कर देखें। उनके जन्म से तीन माह पूर्व ही उनके पिता चल बसे थे। उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली। सौतेले पिता ने उन्हें नानी के घर भेज़ दिया। माता-पिता के प्यार के अभाव ने आईजैक के मन में हीन 'भावना भर दी, मगर इसी बीच छात्र-काल में" ही एक घटना घटी कहते हैं की वह घटना तो मामूली थी, मगर आइजैक के जीवन में आत्मविश्वास भर गई। उसी आत्मविश्वास का चमत्कार हमें उनके अनुसंधानों में देखने को मिलता है।
साधारणता से असाधारणता की ओर ले जाने वाली एकमात्र शक्ति आत्मविश्वास ही है। जीवन के महान् उदेश्यों में सफलता का मूल मंत्र आत्मविश्वास ही है। बिना आत्मविश्वास के एक कदम चलना भी कठिन है और अगर आत्मविश्वास की शक्ति साथ है तो जीवन के तमाम ऊबड़-खाबड़ रास्तों की यात्रा भी सरलता से पूरी हो जाती है।
देखने में जो लोग आयोग्य लगते हैं, कभी-कभी वे ही आत्मविश्वास की शक्ति द्वारा अपने से अधिक योग्य समझे जाने वाले लोगों से भी बड़े और चकित कर देने वाले कार्य कर दिखाते हैं।
युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों' की हार-जीत उनके आत्मविश्वास पर ही निर्भर करती है। ऐसे असंख्य उदाहरण ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में उपलब्ध हैं, जब हारती हुई सेना को एकाएक सेनापति के द्वारा दिए गए आत्मविश्वास से पूरित भाषण ने विजयी बनाया सेना हार रही है। सामने वाले का पलड़ा भारी है। जीतने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। सैनिकों के मन में समर्पण के भाव उठ रहे हैं, लेकिन तभी सेनापति की वाणी ने सैनिकों में विश्वास की शक्ति पैदा कर दी। देखते-ही-देखते हारती हुई सेना ने विजय प्राप्त कर ली। युद्धभूमि में लड़ने वाले एक सैनिक के यह शब्द इस संदर्भ में नि:संदेह उत्साहित करने" वाले हैं। उसने कहा था, “युद्ध में बंदूक नहीं, बल्कि उसको पकड़ने वाला सिपाही लड़ता है, उसका हृदय भी नहीं, बल्कि उसमें भरा प्रबल आत्मविश्वास ही लड़ता है।" आत्मविश्वास एक ऐसा कवच है जो किसी भी तरह की विपत्तियों में समान रूप से रक्षा करता हैं। आत्मविश्वास की शक्ति के सहारे ही पियरे ने उत्तरी ध्रव की खोज की थी। उसके साथियों ने उससे बगावत कर दी थी। जहाज भी धोखा दे गया। सभी परिस्थितियां उसके प्रतिकूल थीं। उसके साथ देने वालों में आत्माविश्वास के अतिरिक्त और कोई भी न था। उस पर कुछ करने का जुनून सवार था। कोई भी बाधा उसे उसके मार्ग से विचलित न कर सकी और वह अपनी मंजिल पर पंहुच ही गया।
अनुकूल परिस्थितियां भले ही आपका साथ छोड़ दें मगर आत्मविश्वास का साथ नहीं छूटना चाहिए । यह एक ऐसा साथी है, जिससे अच्छा आपका कोई मार्गदर्शक नहीं हो सकता। जिस तरह समुद्र में तेज तूफान से दिशासूचक यंत्र नाविकों का मार्गदर्शन करता है, उसी तरह मन में विपरीत भावों के बवंडर उठ रहे हों और आपके सामने विपरीत परिस्थितियों के झंझावात खड़े हों, तो उस समय आत्मविश्वास ही दिशा सूचक की भांति उचित मार्ग दिखाने का कार्य करता है।
मान लिया, आज आप असफल हैं, पूर्णत: अयोग्य माने जाते हैं, लेकिन विश्वास किजिए अगर आपने आत्मविश्वास का विकास कर लिया, तो आने वाले कल में आपका नाम सफल व्यक्तियों की श्रेणी में अवश्य होगा । जीवन तो संघर्ष का दूसरा नाम है । विपरीत परिस्थितियों का सामना किसे नहीं करना पड़ता। सदा अनुकूल परिस्थितियां ही बनी रहें, ऐसा सभंव नहीं । इसलिए प्रतिकूल समय में भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए, बल्कि यह समझना चाहिए कि यही वह समय है, जब हमें आत्मविश्वास की सबसे अधिक आवश्यकता है । विकट परिस्थितियां ही हमें अपने भीतर सोई हुई शक्तियों की पहचानने का अवसर देती हैं । अनेकानेक ऐसे लोग मिल जाएंगे, जिन्हें अपनी शक्तियों का ज्ञान ही नहीं होता, लेकिन जब विकट परिस्थितियां आती हैं और उनकी सुप्त शक्तियां जागती हैं, तो वे स्वयं ही चकित रह जाते हैं।
विंस्टन चर्चिल को सभी लोग मुर्ख समझते थे। वह युवावस्था में भी बुरी तरह हकलाते थे। यहां तक कि मित्रों के द्वारा उनका मजाक उड़ाया जाता था, मगर ऐसी परिस्थितियों में भी उन्होंने हार नहीं मानी। लगातार अच्छा वक्ता बनने के लिए अभ्यास किया और आज वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और सफल वक्ता के रूप में याद किए जाते हैं।
सोचिए, जब चर्चिल के मित्र उनका मजाक उड़ाते थे, अगर तब चर्चिल हीन भावना से ग्रस्त हो जाते, मित्रों में जाना छोड़ देते और अन्य लोगों से इस वजह से कट जाते कि कोई उनका मजाक न उड़ाए, तो सफ़ल वक्ता के रूप में वह कभी प्रसिद्धि नहीं पा सकते थे। लोगों का मजाक भी उनके आत्मविश्वास को क्षति नहीं पहुंचा पाया। आत्मविश्वास हमारी शक्तियों को दोगुना कर देता है।
एक छोटे से राज्य कुन्दनपुर का राजा अपने शत्रु नवाब से युद्ध हार गया था। वह मरणासन्न अवस्था में युद्धभूमि में पड़ा था। तभी नवाब हाथी पर सवार होकर वहाँ आया औऱ कुटिल मुस्कान के साथ बोला “क्यों परेल, अब भी लड़ोगे?" यही नहीं नवाब ने मुर्छित परेल के माथे पर जोर से ठोकर भी लगाई इस पर स्वाभिमानी परेल ने पूरे विश्वास से कहा "हां, अब भी लड़ेगें। जिएगें तो जरुर लड़ेंगे।" परेल मर गया, परतुं उसका यह वाक्य पूरे महाराष्ट्र को झकझोर गया। परेल के आत्मविश्वास से कहे शब्द असंख्य युवकों' का हृदय साहस और आत्मविश्वास से भर गए और तब इतनी भयकंर लड़ाई हुई कि महाराष्ट्र के प्रत्येक घर ने इस युद्ध रूपी यज्ञ में अपना योगदान किया।
अगर हमने जीवन में कुछ करने का ठान लिया और पूरी शक्तियां अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु लगा दी हैं, तो सफलता हमसे अधिक समय तक दूर नहीं रह सकती । आज जिस भूषण को महान् कवि के रूप में याद किया जाता है, उन्हें भाभी के कटाक्ष ने दिशा दी थी । भाभी का निकम्मा देवर भूषण पहले छत्रसाल के दरबार में और बाद में शिवाजी के दरबार में रहा।
'अभिज्ञान