Karuna Ke Swar
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Description

If the late Dr Abdul Kalam shattered the palace intrigue of Rashtrapati Bhavan with his outreach initiatives as the People's President, Dr Bedi has transformed the functioning and perception of Raj Nivas in Puducherry. The Lt Governor's people-centric approach, reflected in surprise inspections at government offices or regular public interface, all captured on video, which have gone viral on the social media, has undoubtedly caught the fancy of the author, even as it has been resented by the elected government that views Dr Bedi's style as a violation of the Constitutional line of control. The book's tag line could easily be - the audacity of hope.

Informations

Publié par
Date de parution 19 juin 2020
Nombre de lectures 0
EAN13 9789389807646
Langue English

Informations légales : prix de location à la page 0,0132€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

करुणा के स्वर
एक लेफ्टिनेंट गवर्नर की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था...
उनके नेतृत्व की कीमती सीख, ट्वीट्स, ब्लॉग और तस्वीरों के माध्यम से

 
eISBN: 978-93-8980-764-6
© लेखकाधीन
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली- 110020
फोन : 011-40712200
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
संस्करण : 2020
KARUNA KE SWAR
By - Shivani Arora
प्रस्तावना
हमारे विद्यालयों में पढ़ाई जाने वाली इतिहास और नागरिक शास्त्र की पाठ्य पुस्तकों में राज्यपालों को औपचारिक हस्तियों के रूप में संदर्भित किया है। समय-समय पर राजकीय कार्यालय के कई कर्मचारियों पर केंद्र के आसानी से वश में आ जाने वाले एजेंट होने का आरोप लगाया गया है, इसके बावजूद कुछ उत्कृष्ट राज्यपालों, विशेष रूप से दक्षिण के कुछ उत्कृष्ट राज्यपालों का ऐसा रिकॉर्ड है, जिन्होंने राजभवन को गरिमा प्रदान की।
अपनी किशोरावस्था के दौरान नन्ही शिवानी अरोड़ा ने पहली बार चुंबकीय व्यक्तित्व वाली आईपीएस अधिकारी डॉ. किरण बेदी को जब देखा था तो उन्हें देख कर उनके मन में एक आकर्षण पैदा हुआ था कि वे भी उनकी ही तरह एक दिन अपना व्यक्तित्व बनाएंगी। युवावस्था में अपनी रोल मॉडल को पत्र भेजने से लेकर, तिहाड़ जेल के महानिरीक्षक बनने और मैग्सेसे अवार्ड पाने तक और उसके बाद अपने वर्तमान अवतार में पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में डॉ. बेदी के साथ बातचीत करते हुए उसने उनके जीवन का पूरा चक्र जाना।
यदि स्वर्गीय डॉ. अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति भवन को महल जैसी व्यवस्था को अपनी पहल से जनता के राष्ट्रपति के रूप में बदल दिया। इसी प्रकार डॉ. बेदी ने भी पुडुचेरी में राजनिवास की कार्यप्रणाली और धारणा को बदल दिया। उपराज्यपाल का जन-केंद्रित दृष्टिकोण, सरकारी कार्यालयों में औचक निरीक्षण या नियमित रूप से जनता के बीच जाकर उनसे बातचीत करने के, सभी वीडियो आज लोगों के बीच देखे जा रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं, निस्संदेह ये लेखिका के भी मनपसंद थे, लेकिन इसे वहां की निर्वाचित सरकार ने पसंद नहीं किया, क्योंकि उनकी नजर में डॉ. बेदी की यह कार्यशैली संवैधानिक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन है।
‘करुणा के स्वर’ स्पष्ट रूप से उपराज्यपाल की अपरंपरागत शैली का एक विशिष्ट दस्तावेज है। जबकि शिवानी दिशा बदलने वाली संचरित्र लेखन के करीब हैं, उनकी पत्रकारिता वाली पृष्ठभूमि निष्पक्षता से कहानी को इस तरह से बताने के संदर्भ में उनकी मदद करती है।
आज मीडिया में नकारात्मकता की अधिकता ने, नागरिकों के मन में बिठा दिया गया है कि सार्वजनिक कार्यकारियों का संबंध गुटबाजी और असंतोष के साथ जुड़ा है, इसमें उपराज्यपाल डॉ. बेदी ताजा हवा की सांस की तरह हैं। जो मात्र एक रबर-स्टैम्प नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपने कार्यालय में परिवर्तन लाकर सबके अंदर ऊर्जा और जुनून को संचारित किया है। आज कितने ही नागरिक उपराज्यपालों के साथ सेल्फी के लिए कतार में खड़े दिखाई देते हैं। या कितने बच्चों को उपराज्यपाल की कुर्सी पर बैठने के लिए मिलता है? शिवानी अरोड़ा का यह वृतांत उन उपराज्यपालों के अपरिवर्तनीय संदर्भों को फिर से देखने के लिए पर्याप्त है जिनका वर्णन स्कूली पाठ्य पुस्तकों में किया गया है!
इसलिए इस पुस्तक की टैग लाइन आसानी से ये भी हो सकती है- उम्मीद का दुस्साहस।
संजय पिंटो अधिवक्ता, मद्रास उच्च न्यायालय स्तंभकार, लेखक, राजनीतिक विश्लेषक पूर्व रेजिडेंट संपादक, NDTV 24x7
भूमिका

नेतृत्व की कीमती सीख
एक नेता किसी दूसरे के लिए काम नहीं करता है, वह खुद के लिए काम करता है। वह सेवा करने का काम चुनता है। एक नेता स्व-संचालित होता है। उसे क्या करना है यह बताने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह स्वयं ही, यह कार्य करता है। वह किसी की नौकरी नहीं करता। वह अपनी और दूसरों की सेवा करता है। उसकी सेवा करने का एक ऊंचा उद्देश्य है और वह दूसरों के लिए काम करके आनंद फैलाता है।
- किरण बेदी
मुझे 22 मई, 2016 की दोपहर बहुत साफ-साफ याद है जब टेलीविजन पर खबरें फ्लैश हो रही थीं - डॉ. किरण बेदी को पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किया। मुझे बहुत खुशी हुई कि किरणजी, जो बचपन से मेरी प्रेरणा थी, इस तरह के एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक पद पर काबिज होने जा रही थी, मुझे बहुत खुशी हुई, क्योंकि मुझे उनकी ओर से सितंबर में मेरे कॉलेज में होने वाले एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में आने की स्वीकृति मिली थी - और अब यह पोस्टिंग! मैं सोच रही थी कि अब क्या होगा। क्या वह अभी भी निमंत्रण का सम्मान करेंगी? फिर मैंने उनको एक बधाई संदेश भेजा और उनको निमंत्रण के बारे में याद दिलाया। उन्होंने कहा, “मैंने तुम्हारे साथ जो वादा किया है मैं उसे पूरा करूंगी।”
किरण जी या ‘मैम’, जैसा कि मैं अभी उनको सम्बोधित करती हूँ, उनके साथ यह मेरी पहली व्यक्तिगत बातचीत थी। उपराज्यपाल के रूप में किये गए उनके काम की धाक मुझ पर छायी थी और फिर मुझे उनकी रचनात्मक टीम का हिस्सा बनने और यहां तक कि उनके साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य मिला। मुझे वे अपनी “के-पीडिया” के नाम से पुकारती हैं और मैं उनको अपनी फॉरएवर इंस्पिरेशन और अपनी गॉडमदर कहती हूं।
उनकी नेतृत्व शैली के अनुरूप, उन्होंने उपराज्यपाल की भूमिका को फिर से परिभाषित किया। उन्होंने लोगों को सेवा देते हुए पुडुचेरी को “समृद्ध पुडुचेरी” बनाने के मिशन पर होने के अपने उद्देश्य को परिभाषित किया। वह स्वयं-संचालित हैं और एक उपराज्यपाल के रूप में उन्होंने हमारे देश के संवैधानिक इतिहास में खुद के लिए एक विशेष स्थान बनाया है जिसने रबर-स्टैम्प बनने से इंकार कर दिया, लेकिन जिसने राजनिवास के द्वार आम लोगों के लिए खोल दिए और उन्हें अत्यंत प्रेम और स्नेह के साथ सेवा दी। उनकी दयालुता का बोलबाला उनके काम के माध्यम से दिखता है जिसने लोगों का दिल जीत लिया।
जब एक नेतृत्व गुण के रूप में दया की बात आती है, तो कुछ लोगों का मानना है कि यह एक कमजोरी हो सकती है। लेकिन वास्तव में दया नेतृत्व को मजबूत करती है। कुछ लक्षण जो नेतृत्व में दयालुता का प्रदर्शन करते हैं उनमें शामिल हैं देने और प्राप्त करने की उदारता, लोगों की जरूरतों के प्रति देखभाल और उत्तरदायी होना, व्यक्तिगत तौर पर बातचीत करना, रचनात्मक प्रतिक्रिया पर निर्णय लेते समय दूसरों के विचारों को महत्त्व देना, परामर्श और सलाह देना और व्यक्तिगत विचारों को समायोजित करना। इनमें से प्रत्येक विशेषता डॉ. किरण बेदी की नेतृत्व शैली की विशेषता रही है। इस पुस्तक का यह शीर्षक रखने की यही वजह है।
इस पुस्तक के पहले भाग में उपराज्यपाल के रूप में पिछले तीन वर्षों में उनके कार्यों का संक्षेप में वर्णन करने का एक प्रयास किया है,कि किस प्रकार से मैंने एक बाहरी व्यक्ति के रूप में और उनकी टीम के हिस्से के रूप में उनके काम को देखा और मैंने इसे उनके ट्वीट, ब्लॉग से कैसे जोड़ा - इन सबसे ऊपर नेतृत्व की कीमती सीख को जोड़ा जो उनके विचारों की अभिव्यक्ति थे।
पुस्तक का दूसरा भाग इस बात की गहराई से जानकारी देता है कि कैसे उन्होंने टीमवर्क, पारदर्शिता और क्षेत्र कार्य के आधार पर शासन के एक नए मॉडल को सबके सामने लाया, जो न केवल सरकारें, बल्कि कॉरपोरेट और अन्य संगठन भी अपने कामकाज के तरीके में बदलाव लाने के लिए अपना सकते हैं।
विषय वस्तु
भाग - ए 1. जब उच्च पुलिस अधिकारी बनी राज्यपाल 2. प्रारंभिक दिवस 3. दूसरों से अलग नेतृत्व 4. खुद सीखना और परामर्श करना 5. आमना सामना करना 6. अधिकार के लिए संघर्ष 7. जल परिपूर्ण पुडुचेरी 8. वित्तीय विवेक सुनिश्चित करना 9. समय और टीम के काम को मूल्य देना 10. कानून के नियम का पालन करनाः लोकतंत्र की हत्या होना नामांकित विधायकों का मुद्दा 11. ऐतिहासिक धरना 12. कड़ी मेहनत पर डॉ. किरण बेदी का दृष्टिकोण 13. एक सच्ची दूरदर्शी नेता
भाग - ब 14. प्रेरणात्मक सम्बन्ध जोड़ना 15. श्रेष्ठ आचरण 16. थिंक टैंक के रूप में लोगों की टीम बनानाः टीम राजनिवास और मीटिंग का गठन 17. खुलेपन के एक युग में आया उभारः राजनिवास को जनता का निवास बनाना 18. आशा का प्रकाशस्तम्भः ओपन हाउस 19. जहाँ सपने सच होते हैं - विजिटर्स ऑवर्स 20. फिल्मों के माध्यम से प्रेरणाः राजनिवास फिल्म सीरीज 21. अद्भुत बुद्धिजीवियों का जुड़ावः राजनिवास लेक्चर सीरीज 22. जब अधिकारी बने शिक्षकः राजनिवास लीडरशिप सीरीज 23. कला और संस्कृति की प्रशंसाः राजनिवास आर्ट और कल्चर सीरीज 24. घनिष्ठता की भावनाः त्योहारों का जश्न 25. सामाजिक नेतृत्व के लिए भविष्य के नेताओं का निर्माण करना : राजनिवास युवा वचनबद्धता कार्यक्रम 26. आरामदेह स्थिति से बाहर आनाः वीकेंड मॉर्निंग राउंड्स 27. परामर्श, आत्म-मूल्यांकन और समीक्षा 28. व्यक्तिगत मीटिंग 29. सीखना और मार्गदर्शन करना : विभागों के क्षेत्र का दौरा 30. अपनी क्षमता की खोजः स्व-मूल्यांकन परीक्षण 31. स्व-मूल्यांकन परीक्षणः साप्ताहिक और मासिक समीक्षा 32. सत्य की पुष्टि करनाः औचक/गोपनीय दौरा 33. संचार और प्रौद्योगिकी का उपयोग 34. राजनिवास की चौथी संपत्तिः रचनात्मक टीम और दस्तावेजीकरण 35. एक उद्देश्य के साथ संबन्ध बनानाः समृद्ध पुडुचेरी व्हाट्सएप ग्रुप 36. सर्वोत्तम पर ट्रांसपैरेंसीः फाइलों के साप्ताहिक निपटारे की घोषणा 37. आम आदमी से जुड़ना : नागरिकों को मासिक संदेश देना 38. नेटवर्किंग और सहयोग 39. राजनिवास आउटरीच प्रोग्राम 40. सह चयन मानव संसाधन 41. दया के साथ प्रशंसाः पुरस्कार और मान्यता 42. एक ट्रिप जो एक सच्चा रहस्योद्घाटन था 43. नेतृत्व और शासन का एक आदर्श मॉडल 44. आभार 45. लेखक के सम्बन्ध में
भाग - ए
जब उच्च पुलिस अधिकारी बनी राज्यपाल

नेतृत्व की कीमती सीख
नेतृत्व पूरी तरह से जिम्मेदार, पूरी तरह से जवाबदेह होने की स्वतंत्रता है। यह स्वयं के द्वारा किये गए कार्यों, चूकों और कार्यभार का पूरा लेखा-जोखा है।
- किरण बेदी
जब डॉ. किरण बेदी ने पुडुचेरी के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला, तो शुरू से ही वह एक ऐसे रास्ते पर चलीं, जिस पर पहले कोई नहीं चला था। उन्होंने राज्यपाल के रूप में काम करने के अपने उद्देश्य और अपनी खुद की शैली को परिभाषित किया। उनका पहला कदम राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के बाद अधिकारियों और मेहमानों की एक सभा को संबोधित करना था। हालाँकि राज्यपाल द्वारा यह एक नियमित अभ्यास नहीं था, लेकिन वह पुडुचेरी को “समृद्ध पुडुचेरी” बनाने के अपने मिशन के साथ तैयार हुई थी और उन्होंने यहां अपनी टीम को देने के लिए एक मंत्र भी तैयार किया था। उनका मंत्र TEA- विश्वास (Trust), सशक्तिकरण (Empowerment) और जवाबदेही (Accountability) था।

उनके शपथ भाषण से लिया गया सन्दर्भ
और आज मेरे लिए, यह नई जिम्मेदारी पूजा के एक रूप की तरह सामने है... भारत के सबसे खूबसूरत हिस्से की सेवा करना। मैं यह सब देने के लिए यहां हूं। हम सभी एक समृद्ध पुडुचेरी की कल्पना करते हैं और हम इस जिम्मेदारी को तीन सिद्धांत मंत्रों के माध्यम से सबके बीच निभाएंगे। सबसे पहला है विश्वास (Trust)। इसका अर्थ होगा वित्तीय, प्रशासनिक और प्रयोजन के सभी रूपों में ईमानदारी के साथ काम करना।
दूसरा मंत्र है अधिकार देना (Empowerment)। इसका मतलब है समस्याओं को सुलझाते हुए संसाधनों के अधिकतम उपयोग को सक्षम करना और बढ़ाना। इसका अर्थ प्रशिक्षण, सलाह या और अन्य माध्यमों से बढ़ावा देना और निर्भर करना भी है।
तीसरा और अंतिम मंत्र है जवाबदेही (Accountability)। जो न केवल लोगों के लिए बल्कि खुद के लिए भी है। इसका अर्थ है कानून के सम्मान को लागू करना और बढ़ावा देना।
इन मंत्रों को मिलाकर TEA का संक्षिप्त नाम बनता है।
वह पहले दिन से ही एक्शन में आ गईं। शुरुआती दिनों के दौरान, कुछ काम जो उन्होंने शुरू किए, वे करुणा पर आधारित थे। उन्होंने बाद में अपनाई गई कार्य पद्धति के लिए माहौल बनाया जिसे उन्होंने अपनाया और अब तक उसी प्रकार से उसका अनुसरण कर रही हैं।
प्रारंभिक दिवस

@ TheKiranBedi: मुझे इस स्थिति को स

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