ACHHE ANKO SE PARIKSHA PASS KARNE KE 7 RAHASYA
68 pages
Hindi

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ACHHE ANKO SE PARIKSHA PASS KARNE KE 7 RAHASYA , livre ebook

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Description

Exams play a major role in the lives of not just during academic pursuits, but later in the career too. Although youngsters are taught a variety of subjects to equip them for life in general, no school teaches them how to excel in exams. Most learn only through trial and error. Others remain clueless about how to excel in exams throughout their lives. But this crucial information can ensure that even those with average IQ excel in exams. This book contains simple and practical tips and guidelines on how to tap your full potential and give off your best during exams. An invaluable guide for all students and adults due to appear in exams. As well as for parents who wish to ensure their children do well and secure maximum marks.

The book offers simple guidelines on:*Improving memory*Maximising Concentration*Adopting effective study habits and techniques*Developing proper reading, listening, language and communication skills*Doing well in different kinds of exams*Understanding what the examiner wants *Overcoming exam anxiety and tension.


Informations

Publié par
Date de parution 04 avril 2012
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350573433
Langue Hindi

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
फ़ॉलो करें:
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-814487-9-3
 
 
 
 
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।


 
 
 
 
 
 

समर्पण
राजीव एवं रीमा
जिन्होंने परीक्षाओं में विशिष्टता हासिल करने के लिए अपने बच्चों का मार्गदर्शन किया
अंदर के पृष्ठों में
स्वकथन
मंत्र 1 - अपना लक्ष्य जानें
पहला चरण : क्या हमें परीक्षा की जरूरत है?
दूसरा चरण : आप कहां जा रहे हैं?
तीसरा चरण : प्रेरणा
मंत्र 2 - स्वयं को जानें
पहला चरण : सीखने को प्रक्रिया
दूसरा चरण 2 : स्मरणशक्ति की प्रक्रिया
तीसरा चरण : हम क्यों भूलते हैं?
चौथा चरण : स्मरणशक्ति का प्रयोग
पांचवां चरण : अपने आपको समझें
मंत्र 3 - अच्छी आदत अपनाएं
पहला चरण : प्रभावी ढंग से पढ़ना
दूसरा चरण : पढ़ने की आदतें
तीसरा चरण : सफलता की तैयारी
चौथा चरण : अध्ययन की समयसारिणी
मंत्र 4 - अपनी योग्यता का विकास करें
पहला चरण : संप्रेषण योग्यता
दूसरा चरण : भाषा की योग्यता
तीसरा चरण : पढ़ने की योग्यता
चौथा चरण : सुनने की योग्यता
पांचवां चरण : एकाग्रता
छठा चरण : नोट्स बनाना
मंत्र 5 - आवश्यकता के अनुसार अपनाएं
पहला चरण : परीक्षा की आश्चर्यजनक दुनिया
दूसरा चरण : स्कूल की परीक्षा
तीसरा चरण : कॉलेज की परीक्षा
चौथा चरण : प्रोफेशनल कॉलेज परीक्षा
पांचवां चरण : शोध-प्रबंध लिखना
छठा चरण : अपने परीक्षक को जानें
मंत्र 6 - अधिक प्रतियोगी बनें
पहला चरण : प्रतियोगी परीक्षा
दूसरा चरण : वस्तुनिष्ठ परीक्षा
तीसरा चरण : साक्षात्कार से पूर्व की प्रश्नावली
चौथा चरण : सामूहिक विचार-विमर्श
पांचवां चरण : साक्षात्कार
छठा चरण : स्वास्थ्य परीक्षण
मंत्र 7 - बेहतर प्रदर्शन करें
पहला चरण : बेहतर तैयारी के लिए सहयोग
दूसरा चरण : परीक्षा की उत्तेजना और तनाव
तीसरा चरण : परीक्षा की तैयारी
चौथा चरण : परीक्षा
पांचवां चरण : परीक्षा में सफलता

स्वकथन
प रीक्षा हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्कूल में प्रवेश लेते ही इससे सामना हो जाता है। यह कॉलिज और यहां तक कि उसके बाद भी चलती रहती है। उच्च व निम्न दोनों स्तर पर कई नौकरियों में प्रवेश विभिन्न परीक्षाओं पर ही आधारित होता है। यहां तक कि वयस्क जीवन में भी, जहां नियमित रूप से सीखते रहने की आवश्यकता है। परीक्षा सफलता पाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
स्कूल में विद्यार्थियों को विभिन्न विषय व्यस्क जीवन को सफल बचाने के लिए पढ़ाए जाते हैं। जबकि कोई स्कूल परीक्षा में विशिष्टता प्राप्त करने की बात नहीं सिखाता। अधिकतर छात्र इसे लापरवाही से सीखते हैं, कुछ बहुत देर में समझते हैं तो कुछ बिल्कुल भी नहीं सीख पाते हैं। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे युवा तक इस ज्ञान से वंचित हैं, जो औसत बौद्धिक स्तर (IQ) के होने के बावजूद परीक्षाओं में अव्वल नहीं आ सकते हैं।
परीक्षाओं में विशिष्टता प्राप्त करने के सात मंत्रों द्वारा कदम-दर-कदम आगे बढ़ने और परीक्षाओं में अव्वल आने के लिए बच्चों को मार्ग दर्शन कराने का प्रयास किया गया है। पूरी पुस्तक में प्रयोग दिए गए हैं, ताकि व्यक्ति अभ्यास के द्वारा सीख सके। हर चरण के बाद ध्यान देने योग्य बातें तकनीक में विद्वता हासिल करने में मदद करेंगी।
आत्मविश्वास प्राप्त करने और परीक्षाओं में बैठने के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करने में छात्रों की मदद करने हेतु परामर्श भी दिए गए हैं।
परीक्षाओं में उच्च सफलता के 7 मंत्रों को जानें। सफलता आपका इंतजार कर रही है। आगे बढ़ें और परीक्षाओं में विशिष्टता प्राप्त करें।
—प्रेम पी. भल्ला

मंत्र 1
अपना लक्ष्य जानें

आ प परीक्षाओं की तैयारी क्यों कर रहे हैं? और उसमें क्यों बैठ रहे हैं? आपका लक्ष्य क्या है? दुर्भाग्यवश इन सरल प्रश्नों का उत्तर भी अनेक छात्र देने में असमर्थ होते हैं। वे यह नहीं बता पाते कि स्कूल उस कॉलेज में क्यों पढ़ रहे हैं? जो इसका उत्तर देते हैं, वे कहते हैं कि ऐसा सर्टिफिकेट, डिग्री या डिप्लोमा पाने के लिए कर रहे हैं। उन्हें इनकी जरूरत क्यों है? उनके लिए ये शिक्षित होने के प्रमाण हैं और इनके माध्यम से वे एक उचित व्यवसाय चुनकर समाज में एक सम्माननीय स्थान पा सकते हैं।
लेकिन स्कूल और कॉलेज जाने का वास्तविक उद्देश्य सर्टिफिकेट या डिग्रियां पाना नहीं है, वरन् शिक्षित होना है। शिक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शिक्ष् धातु और टाप् प्रत्यय से हुई है। जिसका अर्थ है अंतर्निहित क्षमताओं का बाहर निकलना। शिक्षा व्यक्ति के भीतर छिपी प्रतिभाओं का प्रयोग करने के लिए उसे तैयार करने की एक संभावी प्रक्रिया है। जब एक बार किसी को शिक्षा का उद्देश्य समझ में आ जाता है और वह परीक्षा, जो कि प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं, देता है तो व्यक्ति अपने लक्ष्य से अवगत हो जाता है।
अध्ययन के हर स्तर पर परीक्षाएं होती हैं- लिखित परीक्षाएं, व्यावहारिक कार्य में परीक्षाएं मौखिक परीक्षाएं, सामूहिक रूप से विचार-विमर्श, साक्षात्कार, स्वास्थ्य जांच और अनगिनत अन्य परीक्षाएं। किसी न किसी निश्चित उद्देश्य के लिए इन्हें बनाया गया है। अपनी क्षमता को प्रमाणित करने के लिए आपको परीक्षाओं का उद्देश्य समझकर उसमें उत्तीर्ण होना होगा। आइए अपने लक्ष्य को जानने के लिए हम एक-एक कदम रखते हुए आगे बढ़ें।
 
मंत्र 1: पहला चरण
क्या हमें परीक्षा की जरुरत है?

कि सी विषय में आपका कितना ज्ञान और काबिलीयत है, परीक्षा यही जानने की औपचारिक प्रक्रिया है। यह किसी व्यक्ति की योग्यताओं या प्रगति को जांचने का भी एक तरीका हो सकता है।
किसी भी शिक्षित व्यक्ति के लिए परीक्षा कोई नई चीज नहीं है। जैसे ही स्कूल में बच्चा प्रवेश लेता है और थोड़ी सी वर्णमाला सीखता है, उसे परीक्षा देनी पड़ती है। अध्यापक यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसने जो पढ़ाया है, वह बच्चे ने सीखा है कि नहीं। छात्र जैसे-जैसे सीखता है, नए पाठ पढ़ाए जाते हैं। परीक्षा और कठिन होती जाती है।
आरंभ में ही शुरू हो जाती है परीक्षा
स्कूल में प्रवेश लेने से पहले से ही परीक्षा आरंभ हो जाती है। बच्चे के बैठने, घुटनों के बल चलने और पहला लड़खड़ाता हुआ कदम लेने पर माता-पिता को बहुत खुशी होती है। उन्हें उसके मुस्कराने और हंसने पर भी उतनी ही खुशी मिलती है, जितनी कि उसके द्वारा पहली बार ‘मां' या ‘पापा' बोलने पर। बार-बार बच्चे की योग्यता का परीक्षण मित्रों और रिश्तेदारों के सामने किया जाता है। जब बच्चा सही जबाब देता है तो माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहता।
जब बच्चे बड़े होते हैं और बड़ी कक्षाओं में पहुंचते हैं तो पढ़ाए जाने वाले विषयों की संख्या बढ़ जाती है। परीक्षा की संख्या और आवृत्ति भी। तीन महीने में एक बार छमाही और वार्षिक परीक्षा होती है। इसी समय बच्चे परीक्षा की अवधारणा पर प्रश्न करते हैं कि सर्वप्रथम किसने परीक्षा के बारे में सोचा था? क्या वास्तव में हमें इनकी जरुरत है? क्या आवश्यक ज्ञान देकर बाकी व्यक्ति पर छोड़ देना ही काफी नहीं है? यह समस्या की ओर देखने का उचित ढंग लग सकता है पर किसी सभ्य समाज में ऐसा होना व्यावहारिक नहीं है।
परीक्षा की जरूरत
आइए, समाचार पत्रों की कुछ दिलचस्प एवं मुख्य खबरों पर नजर डालते हैं :
1. उत्तरांचल में 1,20,000 से भी ज्यादा छात्रों ने लोक सेवा आयोग (पी.सी.एस.) की प्रवेश परीक्षा दी।
2. मैनेजमेंट कॉलेज में 26,000 छात्रों ने 120 सीटों के लिए आवेदन किया।
3. 1,00,000 से भी ज्यादा छात्र सामान्य प्रवेश परीक्षा (कैट) के लिए बैठे।
उत्तरांचल 13 जिलों वाला एक छोटा राज्य है। इन जिलों में काम करने के लिए कितने युवाओं को लोकसेवा आयोग में भर्ती किया जा सकता है? 1,20,000 छात्रों में से बेहतरीन उम्मीदवारों का चयन करने का परीक्षा से बेहतर और कोई तरीका हो सकता है क्या?
मैनेजमेंट कॉलेज में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए 120 सीटें हैं। क्या इनमें 26,000 उम्मीदवारों को जगह मिल सकती है? कैट कौ इसलिए शुरु किया गया था ताकि प्रतिष्ठित संस्थानों में केवल सबसे प्रतिभाशाली उम्मीदवार ही प्रवेश ले पाएं, जो देश के वाणिज्य और उद्योग का भविष्य में प्रशासन संभालेंगे।
बढ़ती हुई जनसंख्या और उच्च पदों के लिए बढ़ती हुई आकांक्षाओं के कारण बेहतरीन उम्मीदवार का चयन करने के लिए परीक्षा ही एकमात्र विकल्प है। वास्तव में परीक्षा जरूरत है, मुसीबत नहीं, जैसा कि बहुत से छात्र सोचते हैं।
हिम्मतवर की जीत
चार्ल्स डारविन ने कहा था कि प्रत्येक क्षेत्र में हर समय चयन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया चलती रहती है। चयन की दौड़ में ताकतवर की जीत होती है। ऐसा होते हुए हम हर जगह और हर दिन देखते हैं। जीवन के प्रत्येक पहलू में, बेहतरीन उत्पाद और सेवा प्रदान करने के लिए लोग एक-दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं। इसके बदले में आम आदमी को मिलती है एक अच्छी जिन्दगी। उत्कृष्ट लोगों के चयन करने की प्रक्रिया में परीक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जब भी कोई प्रतियोगिता होती है तो तनाव होना स्वाभाविक है। इस तनाव को दूर करने के लिए परीक्षा से भागना कोई विकल्प नहीं है। प्रतियोगिता जीवन का एक हिस्सा है और इसे अलग नहीं किया जा सकता है। इससे जुड़े तनाव का सामना करने के लिए, परीक्षा के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित करने और कैसे अच्छी तरह से प्रतियोगिता कर सकते हैं, में समाधान निहित है। अगर सही ढंग से परीक्षा से निबटा जाए तो यह जीवन में अधिक प्रतियोगी होने की दिशा में उठा एक सही कदम होगा।
अवरोध या सोपान
कई युवा परीक्षा को उनकी राह में पैदा की गई रुकावटें मानते हैं। उनके लिए प्रत्येक परीक्षा एक अवरोध होती है। इन रुकावटों को इस तरह रखा गया है कि हर कदम पर इनसे सामना करना पड़ता है। कुछ भाग्यशाली ही अंतिम चरण तक पहुंच पाते हैं। ऐसा ही कुछ युवा सोचते हैं।
परीक्षा के प्रति यह सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं है। हमें परीक्षा को रुकावट मानने के बजाय सोपान मानना चाहिए। समान स्तर पर रुकावटें आती हैं। यहां तक कि अंतिम रेखा भी समान स्तर पर है। असल जिंदगी में जो कामयाब होते हैं, वे एक ही स्तर पर नहीं रहते। वे वैसे ही बढ़ते रहते हैं, जैसे कि कोई एक-

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