La lecture à portée de main
Vous pourrez modifier la taille du texte de cet ouvrage
Découvre YouScribe en t'inscrivant gratuitement
Je m'inscrisDécouvre YouScribe en t'inscrivant gratuitement
Je m'inscrisVous pourrez modifier la taille du texte de cet ouvrage
Description
Informations
Publié par | Diamond Books |
Date de parution | 19 juin 2020 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789352613007 |
Langue | English |
Informations légales : prix de location à la page 0,0118€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
आप और आपका व्यवहार
eISBN: 978-93-5261-300-7
© लेखकाधीन
प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली- 110020
फोन : 011-40712100
ई-मेल : ebooks@dpb.in
वेबसाइट : www.diamondbook.in
संस्करण : 2014
Aap aur Aapka Vyavhar
By : Surya Sinha
समर्पण यह पुस्तक समर्पित है जगजननी माता वैष्णो देवी के चरणों में, जिनकी अपार कृपा मुझ पर है।
आपके लिए एक अमूल्य उपहार
प्रिय स्नेही,
श्री/श्रीमती/कुमारी/प्रिय_____________________
सब जानते हैं कि जीवन में उपहार किसको दिया जाता है, केवल अपनों को। बहुत समय से मेरी सोच में यह था कि मैं आपको कुछ ऐसा उपहार दूँ जो आपके जीवन को सदा के लिए खुशहाली से भर दे। ईश्वर की अनुकंपा से मुझे आज यह उपहार आपको भेंट करने का अवसर मिला है।
आप यह भली-भांति जानते हैं कि जीवन में खुशियां, खुशहाली, मान-सम्मान, अपनापन, सुकून-चैन पाने और कुछ बनने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण पहलू है-वह है हमारा व्यवहार! और मैंने पाया है कि आपका व्यवहार वक्त की कसौटी पर सदा ही खरा रहा है। बेशक आप व्यवहार के धनी हैं लेकिन जानते हैं न कि सोना जितना तपता है, उतना ही निखरता है। इसलिए आपके जीवन को और भी गहरा और समृद्ध बनाने के लिए यह अमूल्य उपहार मैं आपको दे रहा हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि अगर हमारा व्यावहार इस पुस्तक के सिद्ध और व्यवहारिक उपायों के अनुसार ढल जाता है तो फिर कोई उपलब्धि, कोई पद, कोई खुशी, कोई सफलता हमसे दूर नहीं रह सकती। इसीलिए मैंने यह बेशकीमती उपहार आपको देने के लिए चुना है।
अपने हृदय की बधाइयों से मेरी कामना है कि जीवन-सफर में यह अनमोल पुस्तक आपके लिए एक सही मार्गदर्शक और सच्चे मित्र का काम करे। इन्हीं शुभाषीशों के साथ यह पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत है।
दिनांक : ...............
आपका/आपकी शुभेच्छु (भेंटकर्त्ता)
विषय सूची
1. दो शब्द
खंड-1
2. व्यावहारिकता की शुरुआत घर से करें
3. लोगों की सोच व स्वभाव को समझें
4. सुनना है लोगों को
5. लोगों का विश्वास जीतें
6. लोगों पर छोड़े प्रभाव
7. लोगों से ‘हां’ कहलवाने की कला
8. दूसरों के चहेते बनने की कला
9. आभार जताएं साफ शब्दों में
10. ऐसे करें भलाई
11. बातचीत में कुशलता
12. बनें प्रभावशाली वक्ता
13. लोगों के संपर्क में रहें
14. लोग महत्वपूर्ण हैं
15. दूसरों से सहमति जताना सीखें
16. करें दूसरों की प्रशंसा
17. क्या आलोचना करना जरूरी है
18. लोगों पर प्रभाव छोड़ें
खंड-2
19. व्यवहारकुशलता के लिए 20 गुण
20. शान्त रहें
21. मिलनसारिता
22. शिष्टाचार
23. उदार बनें
24. धैर्यशील बनें
25. गंभीरता
26. संवेदनशील बनें
27. प्रसन्नचित्तता
28. भद्रता
29. सभ्यता
30. दृढ़ता
31. नम्रता
32. मौलिकता
33. व्यवस्था
34. परोपकारिता
35. समयबद्धता
36. आत्मसम्मान
37. सत्यता
38. ईमानदारी
39. चरित्र
दो शब्द
दोस्तो!
नई सोच और अनुभव के साथ मैं आपका एक बार फिर स्वागत करता हूं।
‘आप और आपका व्यवहार’ पुस्तक अब आपके हाथ में है।
नि:संदेह इस पुस्तक को देखकर आपके मन में सबसे पहले यही ख्याल आ रहा होगा कि मेरा व्यवहार तो बहुत अच्छा है। फिर मुझे इस पुस्तक की क्या जरूरत है, आप बिल्कुल ठीक हैं। आमतौर पर अपने बारे में हम सभी यही सोचते हैं लेकिन क्या ऐसा सोचते वक्त हम पूरी तरह से सही होते हैं? चूंकि मामला हमारे अपने निजी व्यवहार से जुड़ा होता है, इसलिए हम अपने आपको सौ प्रतिशत नंबर दे देते हैं।
पर अब सवाल यह उठता है कि यदि आपका या हमारा व्यवहार अच्छा है तो ‒ हमारे व्यापारिक, पारिवारिक या मैत्रीपूर्ण संबंधों में तनाव क्यों है? क्यों हम लाख कोशिशों के बाद भी दूसरों को अपनी बात नहीं समझा पा रहे हैं? क्यों लोग हमारी बातों पर विश्वास नहीं करते? हम उतनी तरक्की क्यों नहीं कर पा रहे जिसका अधिकारी हम स्वयं को समझते हैं? ऐसे कौन-कौन से कारण हैं जिनकी वजह से हम अपने जानकारों, दोस्तों व अपनी टीम का दिल नहीं जीत पा रहे? हमारा लोगों से या लोगों को हमसे द्वेष या विरोध क्यों है? ऐसे क्या कारण हैं जिस वजह से हमारा नेटवर्क और दोस्तों का दायरा नहीं बढ़ पा रहा?
इन सुलगते सवालों का सीधा सा उत्तर है कि कहीं-न-कहीं हममें व्यवहार संबंधी खामियां हैं जिन्हें हम या तो जानते नहीं हैं या उन खामियों को हम अपना स्वभाव मान लेते हैं।
ध्यान रहे, जब हम अपनी कमियों को अपना गुण मान बैठते हैं, तो पहला, उनमें सुधार नहीं करते और दूसरा, व्यवहार संबंधी बड़ी-बड़ी हानियां उठाते हैं।
दोस्तो! सुनिए। यदि हमें जीवन में सफलता चाहिए, खुशियां चाहिए, खुशहाली और सम्मान चाहिए तो हमें सबसे पहले अपने व्यवहार को गौर से परखना होगा। मानवीय, सामाजिक और व्यापारिक दृष्टि से जो व्यवहार संबंधी नियम हैं, उनके अनुसार स्वयं को ढालना होगा। मुझे पूरा भरोसा है कि यदि आप वास्तव में इस पुस्तक में बताए गए व्यावहारिक नियमों को अपने जीवन में स्थान देंगे तो आप वह सब कुछ सहज ही पा लेंगे जिसकी आप वर्षों से इच्छा करते रहे हैं। मसलन-व्यापार या नौकरी में सफलता, व्यापार का विस्तार, नौकरी में उन्नति, मित्रों एवं परिचितों में सम्मान और अपनापन, परिवार में प्यार, एकसूत्रता और खुशियां। विशेष तौर पर यह पुस्तक व्यापार, स्वरोजगार, सेल्सपर्सन, उद्यमी और नौकरीशुदा व्यक्ति के जीवन में ऐसा क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है जिससे उसका जीवनस्तर पहले से कहीं ज्यादा उन्नत और बेहतर हो जाता है।
इस पुस्तक को मैंने दो भागों में विभाजित किया है। पहले भाग में, मैंने मानवीय व्यवहार के उन सूत्रों पर प्रकाश डाला है जो हर क्षेत्र में आपके मानव संबंधों को बढ़ाने एवं सुदृढ़ करने में सहायक होंगे। आप व्यापारी हैं या नौकरीपेशा हैं या किसी शोरूम में सेल्समैन, दुकानदार हैं या दूसरे कोई कुशल कारीगर-सभी में आपकी कामयाबी सबसे पहले आपके व्यवहार पर निर्भर करती है। यदि आपका व्यवहार अच्छा है, मानवीय गरिमा और सामाजिक परंपराओं के अनुरूप है तो आपके पास शुभचिंतकों, राय-मशविरा देने वालों, आपकी चिंता करने वालों का एक बड़ा दायरा होगा। यह तो आप जानते ही हैं कि जिस व्यक्ति के संबंधों का दायरा जितना विस्तृत होता है, उसे अपने क्षेत्र में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है। इसके साथ ही, यदि आपका व्यवहार अच्छा है तो आपका निजी और पारिवारिक जीवन भी खुशहाल और प्रसन्नता भरा होगा। माता-पिता, भाई-भाभियों, बहन-बहनोइयों, चाचा-ताऊ और भाई-भतीजों से आपके संबंध सहज, बेहतरीन और प्रेमपूर्ण होंगे। परिवार में पत्नी और बच्चे आपके लिए चिंता करने वाले और आपके सुख-दुख के सच्चे सहयोगी होंगे। समाज में आपकी एक अलग ही प्रतिष्ठा होगी। लोग पीठ-पीछे भी आपकी प्रशंसा खुले दिल से करेंगे न कि जग-दिखावे के लिए।
और इतना सब कुछ केवल और केवल आपके व्यवहार पर निर्भर करता है। आपकी शैक्षिक योग्यता या रईसी से इसका कोई संबंध नहीं है, समझ लीजिए।
एक राज की बात आपको बताना चाहता हूँ। रिश्तों का टूटना-बिगड़ना, मित्रों का मिलना-बिछुड़ना, समाज में मान-अपमान, व्यापार में उन्नति-अवनति, नौकरी में तरक्की, सब कुछ आपके व्यवहार के अनुसार ही आप पाते हैं। बहरहाल, पुस्तक के पहले भाग को गौर से पढ़ें, न केवल पढ़ें बल्कि समझें भी और अपने मौजूदा व्यवहार की एक तस्वीर भी अपने सामने रखकर देखें। फिर सच्चे मन से, निष्पक्ष भाव से यह फैसला करें कि क्या आपमें इस पुस्तक में बताए गए व्यावहारिक गुण हैं? यदि हैं तब तो बेहतर है और यदि नहीं हैं तो फिर आपके व्यवहार में थोड़ा बदलाव आपको करना चाहिए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि पुस्तक में बताए गए नियमों को अपनाकर कुछ ही दिनों में आपको अच्छे और बेहतरीन परिणाम मिलने लगेंगे।
यह तो है पहले भाग की बात।
दूसरे भाग में, मैंने आपको व स्वयं को या कहें कि ‘मानव’ को रखा है। यानि आपको कैसा होना चाहिए?
दोस्तो! एक अच्छा आदमी ही अच्छा व्यवहार कर सकता है। जिस आदमी में सभ्यता, शिष्टता, संवेदना, धैर्य, शान्ति, सलीका न हो, वह व्यवहार भी अच्छा नहीं करेगा। अत: पहले व्यक्ति को इंसान बनना चाहिए। हमारे भीतर यदि बुराइयां हैं, अवगुण हैं, दोष हैं और हम उन्हें नहीं छोड़ते तथा इस पुस्तक को या किसी अन्य महत्वपूर्ण प्रेरक पुस्तक को भी पढ़कर अच्छा व्यवहार करने की कोशिश करेंगे तो वह केवल दिखावा होगा। ‘जुबां पर कुछ और मन में कुछ’ इस प्रकार का व्यक्ति लोगों की नजरों से गिर जाता है। अत: अच्छे व्यावहारिक व्यक्ति आप तभी बन सकते हैं जब आप अपने भीतर प्रभावशाली मानवीय गुण विकसित करें।
भाग दो में मानवीय गुणों पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है। उन छोटी-छोटी बातों पर भी चर्चा की गई है जो मात्र आधुनिक मनुष्य को सही मायने में समझदार मानव बनाकर समाज के सामने प्रस्तुत करने में मदद करती हैं।
मैं इस पुस्तक को ज्ञान के एक दीये के रूप में देख रहा हूं। मुझे विश्वास है कि मानवीय संबंधों को एक नया आयाम देने और सुदृढ़ बनाने में यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। पुस्तक में सुझाई गई राहें और रणनीतियां व्यवहार की कसौटी पर खरी हैं। मैंने अपने इस प्रयास में साधारण मनुष्य को असाधारण मानव बनाने के लिए जरूरी सभी कारकों व कारणों का विश्लेषण करते हुए मार्गदर्शन देने का प्रयास किया है।
याद रखिए, जब दुनिया सोती है तब योगी जागते हैं। अब आपको यह तय करना है कि - आपको सोना है या जागना।
आपका website : www.suryasinha.com Email : surya@suryasinha.com winnerztrack@gmail.com
अगर आप समाज में रुतबा और सम्मान पाना चाहते हैं तो आपको अपने दिमाग को ठंडा, जेब को गर्म, आंखों में शर्म, जुबान को नर्म, दिल में रहम, दुखियों पर करम और अपने व्यवहार को अच्छा बनाना ही होगा।
अगर आपने ऐसा कर लिया तो फिर देखेंगे कि इसी धरती पर आपको स्वर्ग का आभास होने लगा है।
‒ सूर्या सिन्हा
खंड 1
व्यावहारिकता की शुरूआत घर से करें
ऐसा देखा गया है कि कुछ लोग बाहरी लोगों से तो बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं, मगर अपने परिजनों के साथ उनका व्यवहार उतना अच्छा नहीं होता। बाहरी दुनिया में तो उनके होठों पर मुस्कान सजी रहती है। सबसे आत्मीयता से मिलते हैं, मीठी वाणी बोलते हैं, लेकिन घर में आते ही उनकी मुस्कान गायब हो जाती है। वे गंभीरता, नागंवारी या क्रोध का मुखौटा पहन लेते हैं। पत्नी और बच्चों को कठोर दृष्टि से देखते हैं या गलत तरीके से पेश आते हैं। यह उनका बहुत ही ओछा और दोहरा व्यवहार है। ऐसे लोगों को देखकर यह समझ पाना कठिन होता है कि उनका असली चेहरा कौन-सा है? बाहर की दुनिया वाला या घरेलू? सच जो भी हो, उनके व्यवहार से यह जरूर जाहिर होता है कि ऐसा व्यक्ति या तो घर से बाहर नाटक करता है या फिर घरेलू जीवन में।
ऐसे दोहरे व्यवहार वाला व्यक्ति अपनी साख या सम्मान को ज्यादा समय तक कायम नहीं रख पाता। जल्द ही बाहरी दुनिया के लोग भी जान जाते हैं कि यह आदमी दोहरे चरित्र वाला और नाटकबाज है।
असल में ऐसे व्यक्ति समाज के लिए अच्छे हो ही नहीं सकते जो अपने परिवार के प्रति रूखे, संवेदनहीन या जरूरत से ज्यादा कठोर हो अथवा जो अपने माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी या बच्चों से अच्छा व्यवहार न करते हों।
इसलिए यह जरूरी है कि यदि वास्तव में आप स्वयं को एक अच्छा और व्यावहारिक व्यक्ति बनाना चाहते हैं तो इसकी शुरुआत आपको अपने घर से करनी होगी।
यह मेरा ही नहीं बल्कि आप सबका भी अनुभव होगा कि बहुत से लोग अपने माता-पिता को कभी ठीक से नमस्कार भी नहीं करते, मगर बाहर दफ्तर में अपने बॉस ही नहीं, सहकर्मियों के आगे भी झुके रहते हैं। अपनी पत्नी से प्यार के दो बोल नहीं बोलेंगे, मगर पराई स्त्रियों से बड़े प्यार व सलीके से बातें करेंगे। अपने बच्चों को हमेशा डांटते-फटकारते रहेंगे, मगर आस-पड़ोस व जानकारों के बच्चों को बहुत प्यार करेंगे। क्या ऐसे लोगों को आप व्यावहारिक या मानवीय कह सकते हैं ?
इस प्रकार का दोहरा व्यवहार यदि आप भी करते हैं और इस सोच में हैं कि इससे आपका परिवार, आपकी पत्नी, आपके बच