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Description
Prastut pustak ''Motapa Kaaran evam Nivaaran'' nishchit roop se aapke motaape ko kam karke aapke jaavan ko badalne mein ek naayaab evam ahem role adaa karegi. Iss pustak mein lekhak ne apne 12 varsho ke gehen adhyan evam anubhavo ko sanjokar apne paathako mein baantne ka prayaas kiya hai taaki aao behad aasaan, kam kharchile evam kaargar tareeko ko apnakar apna swasthya sudhaar karke behtar zindagi jee sake. Iss bhautikwaadi yug mein motapa ek beemari hi nahi balki mahamari ban gayi hai. Iss mahamari se nizaat paane ke liye iss pustak ko avashya padhe.
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 01 juin 2015 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789350573662 |
Langue | Hindi |
Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
मोटापा
कारण एवं निवारण
सुरेन्द्र डोगरा ‘निर्दोष’
प्रकाशक
F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002
23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028
E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटी, हैदराबाद-500 095
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
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अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
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© कॉपीराइट: ISBN 978-93-505736-6-2
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नई दिल्ली-110020
प्रकाशकीय
प्र स्तुत पुस्तक ‘मोटापा कारण एवं निवारण’ अपने पाठकों के हाथों में देते हुए हमें असीम आनंद की अनुभूति हो रही है। मोटापा केवल अपने देश में ही नही वरन् विश्व की एक समस्या बन चुका है। आजकल शहरों क्या, देहातों में भी लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। अब मोटापा एक बीमारी नहीं, महामारी बन चुका है। अपने देश में एक ऐसा वक्त था जब लोग भूख से मरते थे लेकिन आजकल लोग खा-खाकर कालकवलित हो रहे हैं। आज की इस भाग-दौड़ की जिन्दगी में इनसान झूठी खुशियों के लिए भाग रहा है। किसी के पास समय नहीं है कि सुकून से बैठकर समय पर भोजन करे। स्वस्थ रहने के लिए यह अति आवश्यक है कि आपका आहार-विहार शुद्ध एवं समयनिष्ठ हो। आज का इनसान पैदल चलना नहीं चाहता, लेकिन उसे यह नहीं मालूम की प्रतिदिन कम से कम एक हजार कदम पैदल चलना ही चाहिए। मनुष्य के जीने की शैली विकृत हो चुकी है जिसे अगर 'Life Style Disease' कहें तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी।
मोटापा का अभिप्राय शरीर में अनावश्यक चरबी के बढ़ जाने से है। यदि कोई व्यक्ति शरीर की ऊर्जा खपत से अधिक ऊर्जा ग्रहण करेगा तो अधिक ऊर्जा शरीर में अतिरिक्त चरबी के रूप में जमा होना शुरू हो जाता है। इस प्रकार शरीर में चरबी यदि बढ़ती जाती है तो व्यक्ति मोटा और थुलथुल हो जाता है, जो अनेक समस्याओं का कारण बनता है।
इस पुस्तक में यह प्रयास किया गया है कि कोई भी व्यक्ति इसे पढ़कर इन सब समस्याओं से कैसे निज़ात पा सकता है तथा किस तरहअपने को चुस्त-दुरुस्त रख सकता है। मोटापा हृदय रोग को आमन्त्रण देता है। इन सभी समस्याओं से उबरने के लिए इसे पूर्ण मनोयोग से पढ़ें तथा स्वस्थ रहें।
-प्रकाशक
दो शब्द
जि स युग में हम जी रहे हैं, उसे कलयुग कहा जाता है। नाम के अनुसार ही हर कार्य मशीनों से होने लगा है। विज्ञान ने काफी उन्नति कर ली है, लेकिन मनुष्य के शरीर के सम्बन्ध में विज्ञान के कदम ज्यादा गति से आगे नहीं बढ़े हैं। खेद की बात है कि बड़े-बड़े वैज्ञानिक, इंजीनियर हृदय गति रुकने/ कोलेस्ट्रोल बढ़ने से मौत का शिकार हो जाते हैं। क्योंकि उनके पास शरीर का पर्यात ज्ञान नहीं है। आज तकनीक है, मगर वक्त नहीं हैं। आज जरूरत है इनसान को सेहत के क्षेत्र में एक सही मार्ग दर्शन की। ऐसी ही एक छोटी-सी कोशिश मैंने आपके लिए, अपने पाठकों के लिए यह पुस्तक लिखकर की है। मेंरे बहुत सारे पाठक, श्रोता, एवं वे लोग जो व्यक्तिगत रूप से मुझसे योग प्राणायाम या फिर अन्य शारीरिक मानसिक समस्याओं का निदान पाने आते हैं, वे सब एक लम्बे अरसे से माँग कर रहे थे कि मैं अपने ज्ञान को एक पुस्तक रूप दूँ ताकि वे जब चाहें इसे पढ़कर लाभान्वित हो सकें। पुस्तक रूप में आकर मेरे ज्ञान से केवल यही लोग नहीं, बल्कि वे सब भी लाभान्वित होंगे, जो न तो मुझे जानते हैं और न ही किसी रूप से मुझसे जुड़े हुए हैं, लेकिन अपने शरीर को स्वस्थ रखने के प्रति सजग हैं। अपने अर्जित ज्ञान के एक विशेष भाग को आप सब के साथ बाँटने की यह एक छोटी-सी कोशिश है।
आज दुनिया भर में मोटापा एक बीमारी नहीं, बल्कि महामारी के रूप में उभर कर सामने आया है। हमारे भारतवर्ष की अगर बात करें तो देश में एक ऐसा वक्त आया जब लोग भूख से मरते थे, लेकिन आज परिस्थितियाँ बदली हैं लेकिन मरने का प्रतिशत नहीं क्योंकि आज लोग भूख से नहीं, बल्कि खा-खाकर मर रहे हैं। इनसान को सही जानकारी न होने की वजह से यह सारी दिक्कतें आ रही है। कुछ लोग जिन्हें जानकारी है भी, उन्हें वक्त नहीं है कि सही खाना बनाकर या चुनकर खा सकें। निःसन्देह इनसान ने बेहद तरक्की की है, उसका दिमाग विकसित हुआ है। लेकिन खेद की बात यह है कि आज अगर इनसान से यह पूछें कि अन्तरिक्ष में पहला विमान कब गया, तो वह बता देगा, चन्द्रमा का आकार, मंगल ग्रह पर पानी, शनि ग्रह के छल्ले, समुद्र के तल का ज्ञान सब उसकें पास है, किन्तु अगर उससे पूछें कि गुरदे का काम क्या है? उसका वज़न कितना है? यकृत क्या है? प्लीहा क्या है? खाना कैसे हज़म होता है? शरीर में ऊर्जा कैसे आती है? तो वह बताने में अपने आप को असमर्थ पाता है। कहने का अर्थ यह है कि सारे ब्रह्माण्ड का ज्ञान रखने वाले इनसान के पास अपने ही शरीर का ज्ञान नहीं है। यही कारण है कि हम मोटापा और अन्य कई बीमारियों के चंगुल में आसानी से फँसते चले जाते हैं।
मेरी यह पुस्तक निश्चित रूप से आपके मोटापे को कम करके आपके जीवन को बदलने में एक अहम रोल अदा करेगी। मैंने इस पुस्तक में अपने 12 वर्षों के गहन अध्ययन एवं अनुभव को आपके साथ बाँटा है, ताकि आप बेहद आसान, कम खर्चीले एवं कारगर तरीकों को अपनाकर अपना स्वास्थ्य सुधार कर बेहतर जिन्दगी जी सकें।
इस पुस्तक को में अपनी स्वर्गीया माँ श्रीमती बिमला देवी एवं स्वर्गीय पिता श्री सूबेदार हरनाम सिंह को समर्पित करना चाहूँगा। उन्होंने जिन्दगी की विकटतम परिस्थितियों को धैर्य एवं संयम के साथ जीता। अपने कष्टों को केवल अपने हृदय तक रखकर उन्होंने हमेशा हमारा हौसला बढ़ाया। 80 वर्षों के उनके जीवन-काल में मैंने उन्हें कभी हताश नहीं देखा। सफल जीवन के कई सबक उनका मौन हमें दे गया। आज में जो कुछ हूँ उन्हीं के मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद की वजह से हूँ। इस पुस्तक के लिए चित्रें सम्बन्धी मदद करने के लिए मेरी सहयोगी शिक्षिका श्रीमती कोमल अरोड़ा एवं उनकी एक होनहार शिष्या कुमारी परणीत कौर (मुम्बई निवासी) का में विशेष रूप से आभारी हूँ, जिन्होंने अपनी व्यस्त जिन्दगी से वक्त निकालकर अपने चित्र लेने तथा उन्हें इस पुस्तक में इस्तेमाल करने की अनुमति दी।
मैं प्रिंसीपल ग्रीन फील्ड सीनियर सेकैंडरी स्कूल नगरोरा वगवाँ एवं उसके छात्र-छात्रओं का छायाचित्रों के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ।
मैं परम पूजनीय स्वामी राम देवजी महाराज का भी विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने इस क्षेत्र में मेरी रुचि को मुकाम तक ले जाने के लिए शुभ आशीष दिया। मैं अपनी धर्मपत्नी श्रीमती वीरेन्द्र कौर एवं सुपुत्री कुमारी श्रेया डोगरा को धन्यवाद देना चाहूँगा, क्योंकि इन्होंने इस पुस्तक को लिखने में मुझे वक्त एवं माहौल दिया। अन्त में मैं अपने अनुज अरविन्द डोगरा, ज्येष्ठ भ्राता डा- राजेन्द्र सिंह एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती संयोगिता को धन्यवाद देते हुए मोटापे को खत्म करने वाले एक शस्त्र के रूप में यह पुस्तक आपके हवाले करता हूँ।
-सुरेन्द्र डोगरा ‘निर्दोष’
विषय-सूची
मोटापा आखिर है क्या?
मोटापे के दुष्प्रभाव
बच्चों में मोटापा
युवाओं में मोटापा
महिलाओं में मोटापा
मोटापे के कारण शरीर में बीमारियाँ और कमजोरियाँ
हमारा शरीर, उपयोगी भोजन एवं डाइट नियोजन
वज़न कम करने के लिए कसरतें
मोटापे का इलाज
योग और मोटापा
मोटापा-निवारण प्राणायाम से
पेट भर खायें साथ में वज़न घटायें केवल एक हफ्ते में
मोटापा घटाने के कुछ अन्य आसान नुस्खे
एक्यूप्रेशर
पोषण तलिका
एक शुरुआत
मोटापा आखिर है क्या?
आ ज जैसे-जैसे हम उन्नति कर रहे हैं कुछ ऐसी परेशानियाँ भी हैं, जिनसे हमें दो-चार होना पड़ रहा है। ऐसी ही एक बीमारी है, “Life Style Disease” यानी जीवन जीने की विकृत शैली। हम सभी प्रगति की इस दौड़ में इतने व्यस्त हो गये हैं कि अपने लिए वक्त निकाल ही नहीं पाते। और जब हम अपने लिए वक्त नहीं निकाल पाते तो फिर हमारे खान-पान का ध्यान कौन रखेगा? क्योंकि संयुक्त परिवार की परम्परा तो अब खत्म हो चुकी है।
आज की इस दौड़-भाग की जिन्दगी में इनसान झूठी खुशियों के लिए भाग रहा है। पति को पत्नी से बात करने का समय नहीं है, माँ-बाप बच्चों को नौकरों के भरोसे छोड़ देते हैं। हर कोई एक अजीब दौड़ में लगा हुआ है। इस अजीब दौड़ में हम कई सफलताएँ, कई पदक, कई पदोन्नति पाते हैं और अगर कुछ नहीं पाते हैं, तो वह है अपनापन, प्यार, स्नेह और परिणामस्वरूप हम अपना स्वास्थ्य खराब कर लेते हैं। मेरा यह मानना है कि अगर स्वस्थ नहीं है, तो कुछ भी नहीं है। अगर हमारे पास करोड़ों की जायदाद, व्यापार है, कई गाड़ियाँ हैं, बैंक खातों में करोड़ों रुपये हैं, लेकिन वह सब किस काम का अगर हम स्वयं ही स्वस्थ नहीं हैं!
मेंडिकल साइंस के उन्नति के कारण हमने बहुत सारी बीमारियों का इलाज खोज निकाला हैं किन्तु आज अगर सच कहूँ तो मोटापा कैंसर से भी अधिक खतरनाक बीमारी बन चुका है। मोटापे से होने वाली मौतों के आँकडे चौंकाने वाले हैं। बाकी कि सब बीमारियाँ अधिकांशत: किसी एक body system पर आक्रमण करके उसे प्रभावित करती हैं, किन्तु मोटापा एक रोग नहीं, अपितु महारोग है, जो कि पूरे शरीर के सभी अंगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है तथा उनके ऊपर अतिरिक्त बोझ डालता है। जिससे इनमें खराबी आने या इनके फेल होने का प्रतिशत काफी बढ़ जाता है। गाँवों की अपेक्षा शहरों की अगर हम बात करें, तो मोटापे का यह भयानक रोग बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
मोटापे का अभिप्राय शरीर में चरबी के बढ़ जाने से है। यदि आप अपने शरीर के ऊर्जा खपत से अधिक खाना खाते हो तो वह अधिक खाना शरीर में अतिरिक्त चरबी के रूप में जमा होना शुरू हो जाता है और यह चरबी के ऊतक यूँ ही बढ़ते रहें, तो शीघ्र ही आप एक मोटे व्यक्ति, बालक या स्त्री कहलायेंगे।
अगर आयु तथा कद के हिसाब से आदर्श वज़न आँकड़ों से 10 प्रतिशत या अधिक वज़न है, तो समझना चाहिए कि आप मोटापे के शिकार हो चुके हैं। आदर्श वज़न कितना होना चाहिए, वह मैं इसी अध्याय के अन्त में बता दूँगा।
मोटापा शरीर को बेडौल बनाता है तथा साथ में अनेक रोगों जैसे-उच्च रक्त चाप (B.P.), हृदय आघात (HeartAttack), हृदय के अन्य कई रोग, गुरदों के कई रोग, पित्ताशय की पथरियाँ, रीढ़ की हड्डी के रोग, मधुमेह, साँस यानी फेफड़ों के रोग, जोड़ों के दर्द, वंश वृद्धि सम्बन्धी रोग तथा बे-वक्त बुढ़ापा आदि इसी का कारण है।
आपको जागृत करने के लिए मैं आपसे कुछ