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Description
Sujets
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 02 avril 2016 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789350577042 |
Langue | English |
Poids de l'ouvrage | 2 Mo |
Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
प्रकाशक
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505770-4-2
संस्करण 2021
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गयी सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उद्धरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोत के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक या प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धृत बेवसाइट हटा दी गयी हो।
इस पुस्तक में उल्लिखित विशेषज्ञ के राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
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प्रकाशकीय
स्कूल, कॉलेज एवं सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में वाद-विवाद विषय के बढ़ते वर्चस्व तथा वर्तमान में छात्रों की जरुरत को ध्यान में रखकर वी एण्ड एस पब्लिशर्स अपनी नवीनतम पुस्तक “वाद-विवाद एवं चर्चा” आपके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। वाद-विवाद करने का प्रमुख लक्ष्य है प्रतियोगी के अन्दर बहुमुखी प्रतिभा का समग्र विकास करना।
इस पुस्तक में लेखक ने कई राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं के अलावा आज के संदर्भ में वैसे सभी विषयों का समावेश किया गया है जो बेहद चर्चा में हैं। इन विषयों में सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक विषयों के साथ-साथ सरकार के कुछ विवादित फैसले जैसे- फुटकर क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, डिजिटलीकरण वर्तमान आर्थिक संकट का समाधान, महँगाई मार गयी आदि प्रमुख हैं। हमें इस बात की खुशी है कि लेखिका पुस्तक में शामिल सभी लेखों में गुणवत्ता की गहरी छाप छोड़ने में सफल रही हैं।
हम आशा करते हैं कि यह पुस्तक सभी हिन्दी भाषी पाठकों एवं विद्यार्थियों के लिए एक लाभदायी पुस्तक सिद्ध होगी। अन्त में सभी गुणी छात्र-छात्राओं से निवेदन है कि यदि इस पुस्तक के बारे में अगर कोई मार्गदर्शन करना हो तो वे हमें पत्र अथवा ईमेल द्वारा अवश्य सूचित करें।
विषय - सूची
कवर
मुखपृष्ठ
प्रकाशक
प्रकाशकीय
विषय - सूची
1 डिजिटलीकरण: फायदेमंद या नुकसानदेह
डिजिटलीकरण सबके लिए फायदेमंद
डिजिटलीकरण नुकसानदेह
2 महँगाई मार गयी या हार गयी
महँगाई मार गयी
महँगाई हार गयी
3 मीडिया: अभिशाप या वरदान
मीडिया वरदान है
मीडिया अभिशाप है
4 ग्लैमर की राह में शादी जरुरी, गैर जरुरी
ग्लैमर की राह में शादी - जरुरी
ग्लैमर की राह में शादी - गैर जरुरी
5 भारत की कामकाजी और घरेलू स्त्री के कामों में पुरुषों का दखल-जरुरी-गैरजरूरी
स्त्रियों के क्षेत्र में पुरुषों का दखल जरुरी
स्त्रियों के क्षेत्र में पुरुषों का दखल - जरुरी नहीं
6 सरकारी सर्वशिक्षा अभियान सफल या असफल
सर्वशिक्षा अभियान सफल
सर्वशिक्षा अभियान असफल
7 भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार: कारण और निवारण
भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार कारण
भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार का निवारण
8 मिसाइल - भारत की सामरिक शक्ति का द्योतक या दिखावा
मिसाइल-भारत की सामरिक शक्ति का द्योतक
मिसाइल - भारत की सामरिक शक्ति का दिखावा
9 फुटकर क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और भारतीय बाजार
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश भारत के लिए लाभदायक
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश भारत के लिए हानिकारक
10 कश्मीर समस्या का निदान दृढ़ता से संभव है
11 पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षण कितना जरुरी, गैरजरूरी
12 एक सभ्य समाज में मृत्युदंड के लिए कोई के स्थान नहीं होना चाहिए
13 परमाणु समझौता भारत के लिए कितना जरुरी, गैरजरूरी
परमाणु समझौता भारत के लिए जरुरी
परमाणु समझौता भारत के लिए - गैरजरुरी
14 वर्तमान वैश्विक आर्थिक संकट का समाधान समाजवाद
वर्तमान वैश्विक आर्थिक संकट का समाधान - समाजवाद
वर्तमान वैश्विक आर्थिक संकट का समाधान -समाजवाद नहीं
15 भारत की गिरती साख के लिए सरकार कितनी जिम्मेवार
भारत की गिरती साख के लिए सरकार जिम्मेदार
भारत की गिरती साख के लिए सरकार - जिम्मेदार नहीं
16 लोकपाल बिल-कितना फायदा कितना नुकसान
लोकपाल बिल-कितना फायदा
लोकपाल बिल - कितना नुकसान
17 देश से गरीबी दूर करने के लिए व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार नष्ट कर देना चाहिए?
व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार नष्ट कर देना चाहिए
व्यक्तिगत सम्पत्ति का अधिकार नहीं नष्ट करना चाहिए।
18 क्या टेक्नीकल मशीन शिक्षकों का स्थान ले सकती हैं?
हाँ! टेक्नीकल मशीन शिक्षकों का स्थान ले सकती हैं
टेक्नीकल मशीन शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती हैं
19 क्या प्रतिभा पलायन देश हित में है?
प्रतिभा पलायन देश हित में है
प्रतिभा पलायन देश हित में नहीं
20 राजनीति में छात्र संघों की भूमिका
राजनीति में छात्र संघों की भूमिका सकारात्मक
राजनीति में छात्र संघों की नकारात्मक भूमिका
21 इंटरनेट - वरदान या अभिशाप
इंटरनेट वरदान है
इंटरनेट अभिशाप है
22 चिकित्सकों का हड़ताल करना जायज या नाजायज
चिकित्सकों का हड़ताल करना जायज
चिकित्सकों का हडताल करना - नाजायज
23 शिक्षा रोजगार परक हो या ज्ञान के लिए
शिक्षा रोजगार परक हो
शिक्षा ज्ञान के लिए
24 क्या परीक्षा प्रतिभा का सही मूल्यांकन है?
परीक्षा प्रतिभा का सही मूल्यांकन है
परीक्षा प्रतिभा का सही मूल्यांकन नहीं है
25 क्या इच्छा मृत्यु को मान्यता मिलनी चाहिए?
इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए
इच्छा मृत्यु को कानूनी मान्यता नहीं मिलनी होनी चाहिए
26 क्लोनिंग मानव सभ्यता के लिए वरदान या अभिशाप
क्लोनिंग मानव सभ्यता के लिए वरदान है
क्लोनिंग मानव सभ्यता के लिए अभिशाप है
27 पाश्चात्य सभ्यता का अन्धानुकरण घातक है
भूमिका
वाद-विवाद से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होती है और उनमें बौद्धिकता का संचार होता है। जो बच्चे नियमित रूप से विभिन्न विषयों पर अपने विद्यालयों में होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, उनमें बेहतर तरीके से दबाव झेलने की क्षमता पैदा होती है और उनमें किसी भी व्यसन के शिकार होने की संभावना क्षीण हो जाती है, एवं किसी भी विषय के अच्छे और बुरे पहलू को गहराई से देखने की क्षमता विकसित हो जाती है।
प्रायः सभी बच्चे स्पष्टवक्ता होते हैं, इसलिए जब उन्हें विभिन्न विषयों पर अपना मत रखने का मौका मिलता है तो उनकी बातचीत करने की क्षमता और विकसित हो जाती है। बच्चे गम्भीर वार्ताओं के बीच सीख जाते हैं कि ऐसे विषयों पर अपनी राय किस प्रकार रखनी चाहिए।
प्रत्येक माता-पिता और अध्यापकों को सक्रियतापूर्वक बच्चों के कौशल को पैना बनाने के लिए बहस करनी चाहिए, क्योंकि वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ छात्रों के ज्ञान, कौशल और उनकी प्रतिभा के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ बच्चों के बौद्धिक और मानसिक विकास में सहयोगी होती हैं।
1 डिजिटलीकरण: फायदेमंद या नुकसानदेह
(Digitization merit and demerit...)
डिजिटलीकरण सबके लिए फायदेमंद
एक सर्वे के मुताबिक भारतीय प्रसारण एवं 'पे' टीवी बाजार की वृद्धि दर ने नॉर्थ अमेरिका (1998-2003), कोरिया (2003-2012) जैसे बाजार को भी पीछे छोड़ दिया है। इन बाजारों की घरेलू कम्पनियों में अत्याधिक विकास हुआ है, जैसे नेटवर्क को अपग्रेड करना, उपभोक्ताओं को एक नई किस्म की बेहतर सेवा मुहैया करना आदि। जैसा कि उद्योग के पुरोधाओं का मानना है कि जब सरकार डिजिटलीकरण के बाबत नियमन जारी कर देगी तब देशी एवं विदेशी घराना मनोरंजन एवं मीडिया जगत के लिए बेहतरीन कंटेंट एवं सेवाएं अपने दर्शकों को उपलब्ध कराएगी।
राजस्व का अनुमान लगेगा कैसे?
अगर जमीनी सच्चाई देखें जो भारत में डिजिटलीकरण निहायत जरुरी है क्योंकि 1.3 बिलियन आबादी वाले इस देश में कुल 239 मिलियन घरों में टीवी सेट हैं। जहाँ इतना विशाल उपभोक्ता आधार हो तो वहाँ प्रदाताओं द्वारा एकत्र किया धन देश की अर्थव्यवस्था में भी दिखना चाहिए लेकिन भारत में फिलहाल ऐसा नहीं है क्योंकि अनेक स्थानीय एवं छोटे सेवा प्रदाता के पास गैरपंजीकृत उपभोक्ता हैं। भारत में केबल टीवी सेवा प्रदान करने के उपरांत प्रति माह जितना धन इकट्ठा किया जाता है उतना विश्व में और कहीं नहीं किया जाता है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि इस राजस्व का मात्र 20 फीसदी प्रसारकों के पास पहुंचता है। डिजिटलीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप घरों की संख्या की गिनती कर सकते हैं, इससे राजस्व का आँकड़ा सेवा प्रदाताओं एवं सरकार को मिलता रहेगा।
डिजिटलीकरण के आने से स्पैक्ट्रम का भी बेहतर उपयोग होगा चाहे मध्यम डिजिटल केबल हेडएंड हो या फिर डीटीएच सेवा।
डिजिटलीकरण का प्रभाव इस उद्योग के सभी खंडों पर पड़ेगा और इसे निम्न रुप से संक्षेपित किया गया है
कैसे राजस्व एवं सेवाओं पर प्रभाव पड़ेगा?
डिजिटलीकरण से एमएसओ ( मल्टी सिस्टम ऑपरेटर ) को अपनी कमाई का जरिया विस्तृत करने का विकल्प मिलता है, जिसकी बदौलत वे अपने उपभोक्ताओं को एचडी चैनल, ब्रॉडबैंड एवं मूल्यवर्धित सेवाएँ (वैस) जैसे एडूटेंमेंट, गेमिंग एवं वीओडी आदि प्रदान कर सकते हैं। एमएसओ को यह भी सुविधा है कि वे अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए कंटेंट की कीमत भी तय कर सकते हैं। हालाँकि डिजिटलीकरण को अपनाने के लिए एमएसओ को अपने नेटवर्क को उन्नत करने के लिए काफी पैसों की जरुरत होगी, जिसे वे पीई फंडिंग, आईपीओ या अन्य वित्तीय स्त्रोतों से प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने हाल ही में निर्णय लिया है कि ब्रॉडकॉस्टिंग एवं डीटीएच सेवा में एफडीआई की वर्तमान सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की जायेगी, जिसका फायदा एमएसओ उठा सकते हैं।
कैसे उपभोक्ताओं को फायदा होगा?
अनेक चैनलों तक पहुँच होने के साथ देखने की बेहतर सुविधा और मल्टीटियर सर्विसेस तथा प्राइसिंग का सीधा फायदा उपभोक्ताओं को होगा। डिजिटलीक