AAO HASS LE
107 pages
Hindi

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AAO HASS LE , livre ebook

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Description

This book contains an extremely good variety of jokes. It is an incredibly loved book on jokes. It in itself is a compilation of some excellent jokes.


Informations

Publié par
Date de parution 27 mai 2011
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352150113
Langue Hindi
Poids de l'ouvrage 6 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0500€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

हरीश यादव
कार्टूनिस्ट
हुबलीकर
 
 



प्रकाशक

F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
5-1-707/1, ब्रिज भवन (सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया लेन के पास)
बैंक स्ट्रीट, कोटि, हैदराबाद-500015
040-24737290
E-mail: vspublishershyd@gmail.com
शाखा : मुम्बई
जयवंत इंडस्ट्रियल इस्टेट, 1st फ्लोर, 108-तारदेव रोड
अपोजिट सोबो सेन्ट्रल मुम्बई 400034
022-23510736
E-mail: vspublishersmum@gmail.com
फ़ॉलो करें:
© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-818481-2-0
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020



भूमिका
चुटकुलों की पुस्तक पर क्या भूमिका बांधू? पुस्तक का पहला पन्ना रखिए, अगर आपके चेहरे पर मुस्कान उभरी तो मैं समझूंगा पुस्तक ने अपनी भूमिका या यूं कहें अपना परिचय स्वयं दे दिया। लेकिन चुटकुले पढने का आजकल वक्त किसे है? यह ठीक भी है, लेकिन जीवन में अनेक क्षण ऐसे आते है जो काटे नहीं कटते। जैसे रेल या बस का सफर। उस वक्त चुटकुलों की पुस्तक—सा हमसफर आपको जरूर भायेगा.। यही नहीं, रोजमर्रा की उबाऊ जिन्दगी में बोझल क्षण ज्यादा हैं और हलके—फुलके क्षण कम और यह और भी बोझल बन जाते है जब दिन भर की परेशानियां रात की नींद भगा डालती हैं। ऐसे समय में इन गुदगुदाने वाले कुछ—एक चुटकुलों का मनन आपके दिमाग की चिंताओं को धुएं की तरह उड़ा देगा।
चुटकुले व्यक्ति के उन क्षणों की यादें है जब वह बेवकूफियां करता है, जाने में और अनजाने में भी। यह बेवकूफियां सभी करते है हैं तभी तो चुटकुलों का भंडार बढता जाता है।हंसो और हंसाओ सीरीज की यह तीन पुस्तके आओं हँस ले, क्या खूब चुटकुले और सुपर—हिट जोक्स् इसी भंडार में से छंटी हुई, चुनी हुई कृतियों का संकलन हैं जो पति—पत्नी, प्रेमी—प्रेमिका, डॉक्टर—मरीज, सखी—सहेली, मकानदार—किरायेदार... सभी तरह के संबंधों के एक खास पहलू—व्यंग्यात्मक पक्ष को प्रस्तुत करता है। साथ में सटीक व्यंग्य—चित्र चुटकुलों में समाहित हास्य—व्यंग्य को दिगुणित करते हैं। इनका रसास्वादन आप हर जगह—अकेले में, मित्रों के बीच, पत्नी के साथ या फिर पार्टी में कर पायेंगे, इसी आशा के साथ यह पुस्तक आपको समर्पित है।
—लेखक





पत्र मिला—'यदि आप एक हजार रुपये फलां—फलां—जगह पर बुधवार की शाम को नहीं पहुंचाते हैं तो हम आपकी पत्नी को गायब कर देंगे?'
उत्तर था—'मुझे अफसोस है कि मैं आपकी मांग पूरी करने में असमर्थ हूं। मगर मुझे विश्वास है कि आप लोग अपना वचन अवश्य पूरा करेंगे।'

'ध्वनि प्रदूषण हटाओ समिति' के अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी कि वे फ्लैट में आने बाले नए किराएदार के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त करें। वे भावी किराएदार से जानकारी प्राप्त कर रहे थे—
'क्या आपके बच्चे हैं?'
'नहीं।'
'क्या आप देर रात्रि तक रेडियो सुनते हैं?'
'नहीं।'
'क्या आपके पास कुत्ते, बिल्ली, तोता जैसे पालतूजानवर हैं?'
'नहीं?'
'क्या आप कोई वाद्य यन्त्र बजाते हैं?'
'नहीं, लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा कि लिखते समय मेरी कलम कभी—कभी 'किर्र—किर्र' का शोर करती है।

पियक्कड़ (एयर होस्टेस से) –'क्षमा करें मैडम, वायुयान कितना ऊंचा है?'
एयर होस्टेस—'करीब तीस हजार फुट।'
पियक्कड़—'और यह कितना चौड़ा है?'

एयरपोर्ट की कार्य—प्रणाली की जानकारी देते हुए शिक्षक ने पूछा—'उस व्यक्ति को क्या कहेंगे जो पायलट को अमुक जगह जाने का निर्देश देता है?'
'अपहरणकर्ता।'

पायलट ने अपने सह—पायलट से कहा—'इंजन में आग लग गई है पर घबराने की जरूरत नहीं है।'
सह—पायलट बोला—'मैं क्यों घबराने लगा।आग भेरी तरफ वाले इंजन में थोड़े ही लगी है।'

चित्रकार (मकान मालिक से)—'एकदिन लोग याद करेंगे कि इस मकान में एक महान चित्रकार रहता था।'
मकान मालिक—'अगर आज शाम तक किराया न मिला, तो यह दिन आज ही आ जाएगा।'

'जनाब, इन तेज और आधुनिक वायुयानों पर इतनी दूरदर्शी और बढ़िया सर्विस मिलती है कि पूछो मता।'
'क्यों, क्या हुआ।'
'पिछली बार मैं उड़ा तो वायुयान इतने हिचकोले खा रहा था कि एयर होस्टेस ने खाने को मेरी ट्रे में डालने के बजाय सीधे सीधे ही 'सिक बैग' में उलट दिया।'

एक वृद्ध महिला ने इंडियन एयर लाइन्स फोन किया और पूछा—
'दिल्ली से बम्बई जाने वाला जहाज कितना समय लेता है?'
दूसरे सिरे पर बैठा व्यक्ति बोला—'एक मिनट' और वह चार्ट पलटने लगा।'
'थैंक्यू' कह कर फोन बन्द हो गया।

आलोक देर से घर लौटा तो अपनी पत्नी जया से कहने लगा—'यह तुम्हारी रिश्ते की बहन है न प्रीति, उसी के पति आज मिल गए थे। वह जिद करके मुझे अपने घर ले गए।प्रीति तो एकदम चुबंक है, वह मुझे जल्दी छोड़ ही नहीं रही थी।'
जया ने तमक कर कहा—'प्रीति तो चुंबक मगर तुम लोहा क्यों बन गए?'


मेंरे पति के रिटायर होने के उपलक्ष्य में ऑफिस में भाषण भी हुआ।वक्ता ने समझाया कि आदमी को मानसिक और शारीरिक रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है।उसकी सलाह थी कि हमें अपने तरुणाई के सपनों को पूरा करना चाहिए जो परिवार और कैरियर के उत्तरदायित्वों के कारण हमने पीछे छोड़ दिए थे।
घर लौटते हुए मेरे पति ने बुक्का फाड़कर हंसना शुरू कर दिया—'जितना मुझे ध्यान है विमला, तरुणाई में मेरी केवल एक ही रुचि थी—लड़कियां।'

'क्या वायुयान में कोई व्यक्ति पूजा करना जानता है?'
'हां, मैं जानता हूं' एक यात्री ने उठकर ज़वाब दिया।
'तब तो आप पूजा करना शुरू कर दीजिए क्योंकि हमें मजबूरी में समुद्र में उतरना पड़ रहा है और हमारे पास एक लाइफ जैकेट कम है।'

मम्मी—'बेटी, आखिर तुम एयर होस्टेस ही क्यों बनना चाहती हो? और भी बहुत—सी अच्छी जगह हैं। वहां न सिर्फ अच्छी तनख्वाह मिलती है बल्कि रिश्ते के लिए अच्छे लड़के भी मिल सकते हैँ।'
'पर मम्मी, यह तो सोचो कि हर जगह तो लड़को को बेल्ट से बांधकर नहीं रखा जा सकता।'युवा बेटी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।


बातचीत के दौरान सहपाठी ने पूछा—'बताओ, डंडा अस्त्र है या शस्त्र?'
मैने एक क्षण सोचकर जवाब दिया—'यदि फेंककर मारा जाए तो अस्त्र और यदि जमकर लगाया जाए तो शस्त्र।'

'वेटर, अरे कैसा तंदूरी चिकेन लाए हो तुम? इसकी एक टांग दूसरी टांग से छोटी है।'ग्राहक ने शिकायती लहजे में कहा।
'साहब, आपको चिकेन खाना है या उसके साथ डांस करना है?' वेटर का जवाब था।

डॉक्टर भी अजीब आदमी होते हैं।पहले तो वे आपको काम न करने और आराम करने की सलाह देते हैं और फिर इतना लम्बा—चौड़ा बिल थमा देते है कि उसे भरने के लिए आप अगले छ: महीने तक काम में पिसते रहते हैं।

दफ्तर में सबके चले जाने के बाद भी बत्ती जल रही थी, सुपरवाइजर घूमता हुआ निकला तो चौकीदार से पूछा—'इस बत्ती के लिए जिम्मेदार कौन है?'
'थॉमस अल्वा एडिसन।' पढे—लिखे चौकीदार ने उत्तर दिया।

भिखारी—'सेठजी, भगवान के नाम पर 25 पैसे दे दो।'
सेठजी—'लो यह रुपया और 75 पैसे वापस दे दो।'
भिखारी (पैसे वापस करते हुए)—'ये लीजिए।'
सेठजी—'अरे, ये तो पचास पैसे हैं।'
भिखारी—'25 पैसे पिछली बार के काट लिए। आपने कहा था, फिर ले लेना।'

लक्ष्मी (रानी से)—मेरे घर के पास एक आदमी रहता है, जिससे सब माफी मांगते हैं।'
रानी—'वह क्या काम करता है?'
लक्ष्मी—'वह भिखारी है।'

लड़का—'एक लीटर भैंस का दूध देना।'
दूध वाला—'तुम्हारा बर्तन छोटा है।'
लड़का—'तो बकरी का ही दूध दे दो।'

पत्नी—'आजकल बाजार में साड़ियो का क्या भाव है?'
पति—'अभाव है।'

भिखारी—'बाबा, खुदा के नाम पर कुछ दे दे।'
राहगीर—'तुम्हारे पास दस रुपये के छुट्टे होंगे?'
भिखारी—'जी हां, बाबूजी।'
राहगीर—'तो पहले उसे खर्च कर डालो न।'

शरारती बच्चा—(अपने अंकल से) 'अंकल, अंकल! कल मैं बाजार से साबुन की एक टिकिया लाया। उससे कमीज धोई तो वह सिकुड़कर छोटी हो गई। बताइए, मैं क्या करू?'
'ऐसा करों' (अंकल कुछ सोचते हुए बोले)—'तुम भी उसी साबुन से नहा लो।'

पेटू मामा—'बेटे।तुम्हारे डैडी अंदर क्या कर रहे हैं?'
बेटा—'इंतजार कर रहे हैं कि आप जाए तो वह कमरे से बाहर निकलें।'

'क्यों जी! यह प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर में क्या अन्तर होता है?' श्रीमती जी ने अखबार पढ़ते हुए पतिदेव से पूछा।
'वही, जो तुम्हारा मुझसे पैसे मांगने और चुपचाप मेरी जेब से पैसे निकाल लेने में होता है।' पति का जवाब था।


प्रश्न—'आपकी पत्नी अबला है या सबला?'
उत्तर—'केवल बला।'

'अब मुझें पक्का विश्वास हो गया है कि आपको मुझ से पहले जैसी मुहब्बत नहीं रही।' पत्नी ने पति से शिकवा किया।
पति—'तुम्हें यह गलतफहमी कैसे?'
पत्नी—'गलतफहमी नहीं, वास्तविकता है। पहले जब आप खाना खाने बैठते थे तो खुद कम खाते थे और मुझे ज्यादा खिलाते थे।'
'अरे....अरे। बात दरअसल यह है कि अब तुम पहले जैसा बेस्वाद खाना नहीं बनाती।' पति ने कहा।

एक कंजूस नवाब ने अपनी तारीफ से खुश होकर एक शायर को मरियल—सा घोड़ा। ईनाम में दिया। घोड़ा लेते ही शायर बाहर की तरफ चल पडा तो कंजूस नवाब ने पूछा—'मियां किधर जा रहे हो?'
'जुम्मा (शुक्रवार) की नमाज पढ़ने' शायर ने उत्तर दिया।
'लेकिन आज तो पीर (वीरवार) है।' कंजूस नवाब ने कहा।
'मरियल घोड़े पर यात्रा करते हुए तो शुकवार तक ही शहर की मस्जिद तक पहुंचुंगा।'जले—भुने शायर ने जबाब दिया।


'शादी से पहले मैं और तुम एक—दूसरे को देखने के लिए कितने बेचैन रहा करते थे।' बुर्जुग पत्नी ने कहा।
'अरे छोड़ो' पुरानी गलतियों को याद करने से क्या फायदा?'

एक क्लर्क अपने अफसर से मिलने के लिए उनके घर पहुंचा तो नौकर ने बताया कि साहब सो रहे हैँ।
'अच्छा, तो क्या वह घर में भी सोते हैँ?' क्लर्क ने हैरानी से पूछा।

एक साइकिल सवार एक पैदल यात्री से टकरा गया। पैदल यात्री कपड़े ‌झाड़कर खडा हुआ तथा अपनी जैब से एक रुपया निकालकर साइकिल सवार के हाथ पर रख दिया। साइकिल सवार हैरान होकर बोला—'एक तो मैंने आपको टक्कर मारी और उपर से आप मुझे एक रुपया दे रहे हैं?'
पैदल यात्री—'अंधे को दान देना मेरा कर्तव्य है।'

पत्नी (पति से)—'अरे, यह सब्जी लाए हो? यह आलू बिल्कुल गले हुए, यह बैंगन बिल्कुल खराब और यह टमाटर तो बिल्कुल ही सड़े हुए। तुम जो भी चीज लाते हो, वह सड़ी—गली ही होती है।'
पति—'तुम्हें भी तो मैं ही लाया था।'

मोहित (विनोद से)—'मेरे पिताजी दिन में पचासों औरतों के हाथ पकड़ते हैं।'
विनोद—'ऐसा हो ही नहीं सकता, वह क्या काम करते हैं?'
मोहित—'उनकी चूडि़यों की दुकान है।'

मुहल्ले में किराए के मकान में आई नई महिला अपनी पडोसन से—'क्या तुम्हारा कोई लड़का है?'
'हां—मेरा एक लड़का है।'
'क्या वह सिगरेट पीता है?'
'नहीं।'
'क्या वह देर से घर आता है?'
'नहीं।'
'वाह।तुम्हारा लड़का कितना अच्छा है, उसकी उम्र

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