Aadhunik Naari Evam Khushhal Pariwar
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Aadhunik Naari Evam Khushhal Pariwar , livre ebook

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Description

Parivaar ruupee nauka kee kheevanahaar grhinee hootee hai. Eek kushal naavik jis prakaar apanee naav koo nadee kee laharoon, saagar kee thapeeroon, vipareet dishaoon kee oor see calanee vaalee havaoon see va bhanvaroon see bacaata hua sapaphalataapuurvak surakshit tat tak lee jaata hai, usee prakaar see eek kushal grhinee apanee parivaar ruupee naav koo apanee caatury, shaareerik bal, bu (i bal, manooyoog, tyaagamay aadarsh, yuktipuurn upaayoon tatha sahanasheelata see sansaar kee vipareet eevan kathoor thapeeroon aur bhanvaroon see bacaatee huee kinaaree tak lee jaatee hai.Grihanee parivaar kee khushahaalee, sukhasamr (i va pratishtha ka keendr hootee hai. Baccoon kee vyaktitv kee vikaas see leekar, pati koo preem, preerana aur shakti pradaan karanee tatha saas-sasur aadi sadasyoon kee deekhabhaal karanee meen grhinee ka eek mahattvapuurn yoogadaan hoota hai.Eek grhinee kee hoonee see hee kooee makaan eek ghar ka ruup leeta hai. Jeevan ka keendr ghar hoota hai aur ghar ka keendr grhinee. Eek kushal grhinee see hee parivaar kee vikaas, sukh shaanti kee disha tay hootee hai.Prastut pustak meen aadhunik jeevan kee dhuree kee ruup mee naaree koo prastut kiya gaya hai. Vartamaan samaaj vyavastha meen apanee sthiti koo majabuutee see prastut karanee meen naariyaan aaj saksham hain. Yah pustak vartamaan samay kee naariyoon koo kushal-grhinee kee ruup meen asaadharan eevan vilakshan banaanee kee liee atyant upayoogee upaay sujhaanee vaalee anuuthee maargadarshika hai.(At the end of the day, your homemaking is not about your home...it''s about your family! Do your kids just really need your attention today? Do you have a hubby who would love some time to cuddle tonight? Spend time with your kids, love your husband, and remember that the dishes are just dishes! As your kids grow up they will be more thankful for a mother who spent time with them than a mother who had a clean house but neglected her kids. You are the centre in your homemaking! This book gives 25 practical tips about setting the atmosphere in the home, taking charge of family''s health & welfare, managing your family''s finances and most importantly ways to blissfully manage the conjugal relationship. ) #v&spublishers

Informations

Publié par
Date de parution 05 janvier 2016
Nombre de lectures 0
EAN13 9789350576151
Langue English
Poids de l'ouvrage 4 Mo

Informations légales : prix de location à la page 0,0300€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

प्रकाशक

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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स
ISBN 978-93-505761-5-1
संस्करण 2021
DISCLAIMER
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है।पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे।पुस्तक में प्रदान की गयी पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या सम्पूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गयी सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है।किसी भी प्रकार के उद्धरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोत के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक या प्रकाशक समर्थन नहीं करता है।यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धृत बेवसाइट हटा दी गयी हो।
इस पुस्तक में उल्लिखित विशेषज्ञ के राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिये गये विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जायेगा।
उचित मार्गदर्शन के लिए पुस्तक को माता-पिता एवं अभिभावक की निगरानी में पढ़ने की सलाह दी जाती है।इस पुस्तक के खरीददार स्वयं इसमें दिये गये सामग्रियों और जानकारी के उपयोग के लिए सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।
इस पुस्तक की सम्पूर्ण सामग्री का कॉपीराइट लेखक/प्रकाशक के पास रहेगा।कवर डिजाइन, टेक्स्ट या चित्रों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन किसी इकाई द्वारा किसी भी रूप में कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा और इसके परिणामों के लिए जिम्मेदार समझा जायेगा।

प्रकाशकीय
आ दिकाल से ही मानव सृष्टि में 'समाज' का अस्तित्व रहा है।समाज मानव जीवन और व्यवहारों को नियंत्रित करता है।'परिवार' समाज का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।दूसरे शब्दों में परिवार समाज की आधारिक संरचना है, एक महत्त्वपूर्ण ईकाई है।एक आदर्श समाज का निर्माण, एक आदर्श परिवार के निर्माण से होता है।
एक परिवार का निर्माण, माता-पिता, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, भाई-बहन आदि सदस्यों से मिलकर होता है।यदि पुरुष परिवार के भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी होता है, तो नारी, परिवार की धुरी होती है।जिसके इर्द-गिर्द परिवार के अन्य सदस्य बंधे होते हैं।एक नारी ही होती है जिससे एक आदर्श परिवार की व्याख्या होती है, नारी ही होती है जो एक कुशल गृहिणी बनकर एक आदर्श परिवार का निर्माण करती है।यह खुशहाल परिवार के पीछे नारी को सुघड़ गृहिणी का रूप ही होता है।
जिस प्रकार की नारी होगी उसी प्रकार का परिवार निर्मित होगा।पुरुष संसाधन जुटा सकता है, पर उन संसाधनों का कुशल एवं रुचिकर उपयोग नारी ही करती है।नारी अनेक रूपों यथा पत्नी, पुत्री, माता, सास-बहू आदि रूपों में परिवार को सजाती सँवारती है।नारी का गृहिणी रूप परिवार व समाज के लिए अत्यन्त आवश्यक है।
कुशल गृहिणी बनकर नारी अपने परिवार, अपने समाज, अपने देश व समस्त मानव जाति के सभी समाजों में खुशहाली का आधार बनती है।अतः नारी का गृहिणी रूप नमनीय है।
इसी उद्देश्य से यह पुस्तक 'आधुनिक नारी एवं खुशहाल परिवार' लिखी गई है।
 
प्रस्तावना
प रिवार की खुशहाली, सुख-समृद्धि सामाजिक प्रतिष्टा का केन्द्र गृहिणी है।वास्तव में गृहिणी ही वह धुरी है, जिससे परिवार के सभी सदस्य शक्ति, प्रेरणा तथा अनुकरण प्राप्त करते हैं।बच्चों के व्यक्तित्व विकास में वह पूरा-पूरा योगदान देती है।पति की प्रेयसी और प्रेरणा बन उसे जीवन संग्राम में संघर्षों के लिए तैयार करती है।युवा बेटी की सखी बन उसे जीवन की ऊंच-नीच से परिचित कराती है।विषम परिस्थितियों में स्वयं धैर्य और साहस के साथ उनका सामना करती है।इस विषय में कहा जाता है कि यदि संसार में नारी न होती, तो गृहिणी न होती, गृहिणी न होती, तो परिवार व्यवस्था भी न होती।पारिवारिक व्यवस्था के अभाव में सब जगह जंगलराज होता।स्पष्ट है कि गृहिणी ने ही मनुष्य को सभ्य और सुसंस्कृत बनाया है।स्त्री ने अपने विविध रूपों में पुरुष को प्रेरित किया है।
विवाह संस्था का अपना मनोवैज्ञानिक महत्व है।प्राचीन धर्म ग्रंथों में इस संस्था की इतनी अच्छी व्याख्या की गई है कि लगता है, जैसे सारी व्यवस्था बड़ी सोच-समझकर बनाई गई है गृहिणी का सेवक स्वरूप इसी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है।वह पुरुष में शक्ति संचार करने वाली है।सारी-की- सारी व्यवस्था के क्रियान्वयन में गृहिणी ही प्रमुख।आदर्श गृहिणी के बारे में कहा जाता है कि वह पुरुष की सच्ची सलाहकार, स्नेह करने वाली, गलतियों को क्षमा करने वाली होती है।
स्मार्टनेस यानी कि ‘सयानापन' नारी का आदि काल से आदर्श रहा है।उस प्राचीन समय में भी उसे उतनी ही मान्यता मिली थी, जितनी कि आज है।स्मार्टनेस का सीधा सम्बंध जीवन के व्यावहारिक पक्षों से है।इस गुण के कारण ही मध्यवर्गीय सामाजिक जीवन में सच्चे सुख की प्राप्ति होती है।पारिवारिक जीवन में स्नेह के नए स्रोत बनते हैं।पारिवारिक हितों के साथ-साथ सामाजिक हितों की सोच विकसित होती है।
इस पुस्तक में भी गृहिणी को आधुनिक जीवन शैली की धुरी के रूप में स्वीकारा गया है।समाज और परिवार में गृहिणी की भूमिका को इसलिए भी स्वीकार किया गया है कि पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था में गृहिणियों की संख्या पचास प्रतिशत के लगभग है।इतनी बड़ी संख्या और इतनी बड़ी सामाजिक व्यवस्था में उन्हें अछूता नहीं छोड़ा जा सकता।तब, जबकि आज की गृहिणी शिक्षित है, आत्म निर्भरता के लिए संघर्षरत है।अपने सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए जागरूक है।
आज का सामाजिक जीवन पहले से बहुत भिन्न हो गया है।समृद्ध जीवन शैली आज की सामाजिक आवश्यकता है।हमारी सोच, हमारे कार्यों, व्यवहारों का प्रभाव हमारे बच्चों एवं भविष्य पर भी पड़ता है।साथ ही हमारे स्वास्थ्य और परिवार पर पड़ता है।
आज किशोरावस्था में कदम रखते ही लड़कियों की कल्पनाएं रंगीन होने लगती हैं और वे मन-ही-मन में ख्वाबों के अनेक रंग भरने लगती हैं, परन्तु स्मार्ट हाउसवाइफ बन कर ही वे अपने इन सपनों को साकार कर सकती हैं।
वर्तमान में फैशन, ग्लैमर, सिनेमाई संस्कृति और आर्थिक सम्पन्नता के प्रभावों से हमारे परिवार अछूते नहीं रह सकते।आधुनिक जीवन शैली के विविध पक्षों ने गृहिणियों की सोच को प्रभावित किया है।वे चाहती हैं कि उन्हें अपनी इन जिज्ञासाओं के ऐसे उत्तर मिलें अथवा समाधान मिलें, जो उनकी स्मार्टनेस को प्रगतिशीलता का नया आवरण दे।उनके घर को देख कर लोग उनकी इस प्रगतिशील सोच से प्रभावित हो।
प्रगतिशीलता की इस दौड़ में आप भी किसी से कम नहीं।अपने आप को किसी के सामने हीन अथवा उपेक्षित न समझें।परिवार और समाज में आपकी प्रतिष्ठा आपकी सुघड़ता के कारण बढ़े, इन सब बातों का एकमात्र समाधान है यह पुस्तक आपकी पारिवारिक और उससे बाहर की सफलताओं की संपूर्ण मार्गदर्शिका है।
आप अपने परिचय क्षेत्र में सफल बनें, इस बात का कदम-कदम पर ध्यान रखा गया है।दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास और लगन के साथ-साथ समाज और परिवार में अपना स्थान बनाएं, इसके तमाम उपाय इसमें मौजूद हैं।
इस पुस्तक में गृहिणी के आधुनिक व्यवहारों को दिशा देने वाले प्रयास भी शामिल किए गए हैं।इससे यह पुस्तक उन सभी लड़कियों के लिए भी उपयोगी हो गई है, जिनका सपना एक सफल हाउसवाइफ बनने का है।हमारा विश्वास है कि यह उन गृहिणियों के लिए भी सखी के रूप में, बड़ी दीदी के रूप में सहायक और शुभचिन्तक बनेगी, जिनकी नई नई गृहस्थी बनी है।
नवविवाहिताओं को यदि उनके दहेज में इस प्रकार की पुस्तकें उपहार स्वरूप दी जाएं, तो न केवल उनका दाम्पत्य जीवन सुखी होगा, साथ ही वे परिवार के तमाम सदस्यों का भी दिल जीत सकेंगी।
'आधुनिक नारी एवं खुशहाल परिवार' का यह संस्करण गृहिणियों को असाधारण एवं विलक्षण बनाने के ठोस एवं कारगर उपायों को सुझाता है, ताकि नारी एक स्मार्ट हाउसवाइफ का रूप लेकर खुशहाल एवं सम्पन्न परिवार के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सके।
आपके सफल गृहिणी बनने की पहल पर हमारी शुभकामनाएं।
- शीला सलूजा
- चुन्नीलाल सलूजा
 
विषय-सूची
कवर
मुखपृष्ठ
प्रकाशक
प्रकाशकीय
विषय-सूची
1.वस्त्रों की देखभाल
2.सामाजिक होने का परिचय दें
3.जब आप अकेली हों
4 मानसिक संकीर्णता से बचें
5 सास की खास बनें
6 घर आए मेहमान
7 दिखावे से बचें
8 पत्नी-धर्म नहीं, आचरण जरूरी
9 दांपत्य संबंधों में सरसता
10 व्यस्त पति के संग - दें कुछ अपने रंग
11 पति की प्रेरणा बनें
12 सुरक्षा कवच हैं - युवा बच्चों पर बंदिशें ...
13 नारी ही नारी की दुश्मन - एक भ्रामक सोच
14 उपहार का व्यवहार
15 कुछ बेतुकी चाहतें...
16 धार्मिक अभिरुचि जगाएं
17 सफल गृहिणी के लिए 25 टिप्स
परिशिष्ट
कुशल गृहिणी का वार्षिक पारिवारिक कलैण्डर
बधाई के तार/ संदेश
मित्र व संबंधियों के पते

 
 
 
 
 

वास्तव में परिवार रूपी नौका की खेवनहार गृहिणी होती है।जिस प्रकार से कुशल मल्लाह अपनी नौका को नदी के थपेड़ों, लहरों, विपरीत दिशाओं की ओर से चलने वाली हवाओं व भंवर से बचाता हुआ सफलतापूर्वक सुरक्षित किनारे तक ले जाता है, उसी प्रकार से एक कुशल गृहिणी भी अपने परिवार के सदस्यों का अपने चारित्रिक, बुद्धि बल, मनोयोग, चातुर्य से अपने त्यागमय आदर्शों और युक्तिपूर्ण उपायों से अपने परिवार की नौका को थपेड़ों और भंवरों से बचाती हुई किनारे तक सुरक्षित पहुंचाती है।
लेखक की कलम से....
 
अध्याय
1.वस्त्रों की देखभाल
वस्त्र व्यक्तित्व के परिचायक हैं।सुंदर, आकर्षक वेशभूषा देखकर ही व्यक्ति के पढ़े-लिखे होने या उसके सामाजिक और आर्थिक स्तर का अनुमान लगाया जाता है।पहला प्रभाव तो वस्त्रों का ही पड़ता है।वस्त्र चाहे घर के उपयोग के हों अथवा पहनने के आपकी अभिरुचि और सुघड़ता का ही परिचय देते हैं।उचित देखभाल से वस्त्र जहां हमारी अलग पहचान बनाते हैं, वहीं शालीनता और सौम्यता का भी परिचय देते हैं।महंगे वस्त्र भी उचित देख-रेख के अभाव में भद्दे लगते हैं।अतः वस्त्रों के चयन और उचित देखभाल का सदैव ध्यान रखें।मखमल में टाट का पैबन्द लगा देखकर आप हंसी की पात्र न बनें ।
व स्त्र जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है।गृहिणी के पारिवारिक बजट का दस से बीस प्रतिशत व्यय इस एक मद पर होता है।इसलिए इनकी उचित देखभाल होना उतना ही आवश्यक है, जितना कि अन्य कोई काम।वस्त्रों की उचित देखभाल न होने से जहां ये भद्दे लगते हैं, वहीं ये शीघ्र ही फट जाते हैं अथवा अन्य प्रकार से बेकार हो जाते हैं।
गृहिणी को दो प्रकार के वस्त्रों की देखभाल करनी पड़ती है - 1. वे वस्त्र जो घर में उपयोग होते हैं जैसे चादरें, परदे, तौलिए, फर्नीचर के कुशन, गद्दे, उनके कवर आदि।2. परिवार के सदस्यों के पहनने वाले वस्त्र जैसे साड़ी, सूट, सलवार, कुर्त्ता, पायजामा, स्कर्ट, जींस, पैंट, अधोवस्त्र आदि।
घर के वस्त्र यानी चादरें, परदे, मेज़पोश आदि तो घर की

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