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Description
Informations
Publié par | Diamond Books |
Date de parution | 01 juin 2020 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789352616893 |
Langue | English |
Informations légales : prix de location à la page 0,0120€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
पासे पलट गये
eISBN: 978-93-5261-689-3
© प्रकाशकाधीन
प्रकाशक: डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि .
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली-110020
फोन: 011-40712100, 41611861
फैक्स: 011-41611866
ई-मेल: ebooks@dpb.in
वेबसाइट: www.diamondbook.in
संस्करण: 2016
पासे पलट गये
लेखक : जेम्स हेडली चेईज
पासे पलट गये
बार में वे लोग एक कतार में खड़े हुए थे। उनके चेहरे पर अनिश्चितता सी छाई हुई थी। प्रकट में तो ये लोग निश्चिंत से लगने का दिखावा कर रहे थे लेकिन मैं समझता था कि उनके दिल अन्दर से तेजी के साथ धड़क रहे थे। ये लोग वे पत्रकार थे जो वैस्सी की सजाये-मौत को देखने आए थे।
जिस समय मैं बार में पहुंचा, शराब ने उन पर अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। मेरे हॉल में पहुंचते ही सभी की निगाहें मुझ पर केन्द्रित हो गईं और एक समवेत स्वर में उनके मुंह से हुंकार सी निकल गई।
“हे ईश्वर”‒उनमें से एक आश्चर्यचकित स्वर में बोला‒“देखो तो जरा, कौन आया है। महारथी स्वयं तशरीफ लाए हैं।” मैंने वेरी हगसन का स्वर सुना। वेरी हगसन व्यक्तिगत रूप में एक अच्छा आदमी था लेकिन उसके दिमाग में नित नई खुराफातें जन्म लेती रहती थीं।
मेरे बैठते ही वेटर आर्डर लेने के लिए आ खड़ा हुआ। मैंने राई का आर्डर दिया।
“क्या हाल है दोस्तो-मेरा दावा है कि जल्दी ही आप लोग इस व्यंग्य भरी जबान की धुन बदलने पर मजबूर होंगे।” मैंने तुर्की-ब-तुर्की जबान में उनकी तरफ हाथ उठाते हुए कहा।
मेरी बात उन्हें कुछ जंची नहीं और वे लोग अपने चेहरे पर कठोरता का भाव लिए मेरे इर्द-गिर्द आ खड़े हुए। वेरी हगसन पर नशा कुछ ज्यादा ही छा गया था, उसने अपने सीधे हाथ की उंगली से मेरी छाती को टहोका। मुझे बुरा तो लगा लेकिन उसके नशे की हालत देखते हुए नजरअंदाज कर गया।
“सुनो दोस्त” वह अपनी मिचमिचाती आंखों को मेरे चेहरे पर केन्द्रित करते हुए बोला‒“यहां वे ही लोग आए हैं जिनके पास निमंत्रण पत्र भेजा गया है। तुम्हारी कैसे भी दाल यहां गलने वाली नहीं है इसलिए अच्छे आदमी बनो और चुपचाप यहां से फूट लो।”
मैंने राई का एक तगड़ा-सा घूंट भरा और अपनी जेब से निमंत्रण-पत्र निकालता हुआ बोला‒“तुम्हीं लोग अकेले तीरंदाज नहीं हो और इस बात को तो भूल ही जाओ कि मुझसे पीछा छुड़ाने में कामयाब हो जाओगे। मैं अन्त तक तुम्हारे साथ ही रहूंगा।”
हैकन स्मिथ जो ग्लोब समाचार एजेन्सी का पत्रकार था, अपने हैट को सिर से उतारते हुए बोला‒“कमाल है यार...तुम्हें कोई घास डालकर भी राजी नहीं है लेकिन फिर भी पता नहीं कैसे ऐसे चमत्कार कर लेते हो तुम। जहां देखो, ठीक समय पर नमूदार हो जाते हो।”
मैंने सहमति में सिर हिलाया लेकिन मुंह से कुछ नहीं बोला।
हैकन का ख्याल था कि मैं कुछ बोलूंगा लेकिन मुझे खामोश पाकर स्वयं ही फिर बोला‒“बारह-एक पर तो इसका पटाक्षेप हो जाना है।” उसने राई का एक घूंट लिया और फिर अपनी घड़ी देखने लगा। घड़ी पर निगाह डालते ही वह झटपट उठ खड़ा हुआ। उसने कुछ तरल पदार्थ पीने वाली नलकियां इकट्ठी कीं और उन्हें बीच से तोड़ दिया। ऊपर के टुकड़े उसने एक ओर फेंक दिए और बाकी नलकियों को बड़ी सावधानी से गिना, फिर कुछ सोचने की मुद्रा में उन्हें देखता रहा।
“मुझे भी इसमें शामिल किया है या नहीं?” उसे अपना काम निपटाते देखकर मैं बोल पड़ा।
“नहीं, तुम इसमें शामिल नहीं हो।”
मैं झपटकर उठा, एक नलकी अपने अन्दाज से तोड़ी और उसे उसकी तरफ बढ़ाता हुआ बोला‒“बेवकूफों जैसी हरकत मत करो। इसे भी इन्हीं में मिला दो।”
मेरे स्वर की तेजी को सुनकर हैकन मुझे घूरने लगा। मेरे चेहरे की दृढ़ता को देखकर उसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई। मैं हैकन जैसे लोगों से निपटना जानता था। मुझे पता था कि ऐसे लोग सिर्फ ऊपर से ही अकड़बाजी का प्रदर्शन करते हैं और जैसे ही दूसरा व्यक्ति जरा तेज हुआ, ये लोग भीगी बिल्ली बन जाते हैं।
उसने चुपचाप नलकी थाम ली और उसे बाकियों के बीच मिला दिया। उनमें से एक नलकी सबसे छोटी थी और जिसके हाथ में यह नलकी आनी थी उसी को वैस्सी की मौत के समय उसके आखिरी शब्द सुनने का मौका दिया जाना था। अपनी नलकी मैंने जान बूझकर तोड़कर छोटी की थी इसलिए मुझे उसकी पहचान हो गई थी।
दो-तीन लोगों ने अपनी नलकियां निकालीं। फौरन आगे उचककर खड़ा हुआ और उसके हाथ से अपनी पहचान वाली नलकी निकाल ली।
बाकी लोग क्रोधित निगाहों से मुझे घूरने लगे।
“सुनो” हगसन मुझसे मुखातिब होता हुआ बोला‒“तुम्हें ईमानदारी बरतनी होगी।”
मैंने नलकी पीछे की ओर उछाल दी।
“मरे क्यूं जाते हो दोस्तो, जो कुछ भी जानकारी मुझे हासिल होगी, सबको बताऊंगा।” मैं बोला।
अभी तक सिर्फ ग्यारह बीस का समय हुआ था और ज्यादा से ज्यादा दो और जाम पिये जा सकते थे। बाकी लोग शराब पर इस कदर टूटे पड़ रहे थे कि जैसे जिन्दगी में उन्हें यह चीज दोबारा हासिल होने वाली न हो।
हम लोग हॉल से बाहर निकल आए। बाहर तीन कारें इन्तजार में खड़ी हुई थीं जो हमें जेल तक ले जाने वाली थीं। मैं, हगसन, हैकन और दो अन्य पहली कार में सवार हुए और बाकी अन्य कारों में लद गए।
गाड़ी हगसन चला रहा था और मैं उसकी बगल में बैठा था। बात हगसन ने शुरू की‒“इतने उतावले क्यों हो रहे हो निक?”
मैं मुस्कराया‒हालांकि हगसन बहुत काइयाँ आदमी था, लेकिन मैंने इरादा कर रखा था, इसके हाथ कुछ नहीं आने दूंगा।
“उतावलेपन की तो बात ही है, आखिर वैस्सी ने हंगामा क्या कम मचा रखा था। कितना बखेड़ेबाज था वह‒ऐसे आदमी का अन्त देखने की किसकी इच्छा नहीं होगी और फिर किसी की गैस चैम्बर की सजा तो पहली बार ही देखूंगा।”
“कोई बात भूलते भी हो”‒वह फिर बोला।
मैंने सिर हिलाकर नहीं में सहमति जताई।
“तुम्हारे ख्याल में यह काम वैस्सी ने किया होगा।”
मैं हंस पड़ा‒“क्या शक है कोई तुम्हें?”
हगसन ने धीरे से मुझे कचोटा‒“बच्चे, अगर कोई राज की बात तुम्हें पता है तो वह मुझे भी मालूम होनी चाहिए। आखिर मैंने भी तुम्हारे लिए कुछ किया है और मेरा ख्याल है कि कुछ न कुछ बात तुम्हें मालूम जरूर है।”
“छोड़ो भी यार। मुझे इस बात का क्या इल्म है कि वैस्सी ने कुछ किया है या नहीं। बहरहाल इतना मुझे पता है कि जूरी ने उसे मुजरिम करार दिया है।”
“जूरी ने उसे मुजरिम करार दिया है उसमें मेरी दिलचस्पी नहीं। मैं पूछता हूं तुम क्या कहते हो इस बारे में?”
“मेरे कहने के लिए क्या बचा है भाई साहब, मैं तो तभी कुछ करता हूं जब कुछ हो जाता है। वरना मैं खामोशी ही इख्तियार किये रहता हूं।”
हगसन गुर्राया “अच्छा बेटा, आगे भी तो मुझसे तुम्हारे काम पड़ेंगे। उस वक्त मेरा भी यही जवाब होगा।”
मैं चुप रहा।
ग्यारह चालीस पर हम जेल के फाटक पर पहुंचे। वहां कुछ और गवाह भी इन्तजार में खड़े हुए थे। बेचैनी उनके चेहरे पर साफ परिलक्षित हो रही थी। हमारे वहां पहुंचते ही ये लोग छूत के रोगी की तरह छिटक कर अलग खड़े हो गये। कुछ समय तक हम लोग यूं ही दिशा भ्रमित मुसाफिर की तरह खड़े रहे।
फाटक पौने बारह पर खुला।
दो सरकारी गार्ड अन्दर आए। उन्होंने हमारे परिचय-पत्र देखे, फिर हमारी तलाशी ली।
वर्षों पहले स्नाइडर को फांसी हुई थी। उसके बाद के हुए होहल्ले को देखकर अब अधिकारी बहुत चौकन्ने हो गए थे कि कोई पत्रकार कैमरा अन्दर न ले आए, हालांकि हमारे विचार से ऐसा करना एक मूर्खता ही थी। पुलिस वाले भी इस बात से बेखबर थे लेकिन औपचारिकता तो पूरी होनी ही थी। जब वे अपना काम कर चुके तो हमें आगे बढ़ने का आर्डर दिया। कई फाटकों से गुजरते हुए हम आगे बढ़े और हमारे अगले फाटक पर पहुंचते ही पिछले फाटक पर ताला डाल दिया गया।
हम पेशेवर मातम मनाने वालों की तरह कतार की सूरत में आगे बढ़ रहे थे। हम जेल की कोठरियों के पास से गुजरे। वातावरण बिल्कुल शांत था और सिर्फ हमारे पैरों की पदचापें ही सारे माहौल में गूंज रही थीं। कैदियों की कोठरियों में अन्धेरा था। जेल के अहाते का आखिरी हिस्सा ही फांसी घर था जो इस समय हमारी मंजिल थी।
हम लोग सहमे हुए से वहां पहुंचे।
फांसी-घर की एन्ट्री दो गेटों द्वारा थी, एक इमारत की दीवार और फांसी वाले कमरे की राहदारी द्वारा और दूसरी उस कोठरी के द्वारा जिसमें इस समय वैस्सी बन्द था।
फांसी-घर नितान्त तनहाई में स्थित था। उसके आसपास कोई और इमारत नहीं थी।
गार्ड ने हमें प्रवेश द्वार पर रोक दिया‒“आप लोगों में से आखिरी शब्द किसने सुनने हैं?”
मैं भीड़ में से आगे निकल आया, अपने सीने की तरफ इशारा करते हुए बोला‒“मैंने।”
“ठीक है, तुम यहीं ठहरो।” वह बोला।
बाकी लोग गलियारे में आगे बढ़ चले और गैस चैम्बर की शीशे की खिड़कियों के पास जा खड़े हुए। हगसन आखिरी आदमी था जो उनके पास पहुंचा। मेरे पास से गुजरते हुए धीरे से बोला‒
“होशियारी से सुनने की कोशिश करना निक।”
उसकी व्यग्रता देखकर मैंने हंसने की कोशिश की लेकिन माहौल की हालत देखकर हंस नहीं सका।
गैस चैम्बर आठ कोण के आकार का बना हुआ था। वह स्टील का था और उसके आठों कोनों में खिड़कियां थीं। एक पतला सा गलियारा था जिसमें मेरे साथी खड़े हुए थे, वह कोई चार फुट चौड़ा था। चैम्बर की छत में इमारत से भी ऊंची एक स्टील की धुंआ निकलने की चिमनी थी जिसके जरिए फांसी हो चुकने के बाद गैस बाहर पास कर दी जाती थी।
मैंने चैम्बर में झांका। वह कोई पांच फुट चौड़ा था, जिसके बीच में एक कुर्सी रखी हुई थी। उस पर कैदी को बांधने में प्रयुक्त होने वाला सामान पट्टे वगैरह पड़े हुए थे।
जानलेवा गैस के गुटके कुर्सी के तले से लटके हुए थे। एक क्षण को मेरा ध्यान अपनी स्थिति की ओर चला गया‒“क्या पता मुझे भी गैस चैम्बर में आना पड़े।” कल्पना मात्र से मेरा शरीर सुन्न होने लगा था।
जहां मैं खड़ा था वहां से मुझे अपने साथी खिड़कियों के शीशों से मुंह सटाये अपनी ओर हाथ उठाकर अभिवादन से करते दिखाई दे रहे थे। मैंने उनकी ओर देखकर सहमति में हाथ हिलाया। खिड़कियों के शीशों से सटे होने के कारण उनकी शक्लें अजीब सी दिखाई पड़ रही थीं।
मेरा उद्देश्य वैस्सी से मिलना था इसलिए मैंने सोचा, क्यों न एक नजर उस पर डाल लूं।
अपनी कोठरी में बैठा वह सिगरेट पी रहा था। उसके जिस्म पर सिवाय अण्डरवियर के और कोई कपड़ा नहीं था।
मैंने गार्ड की ओर देखा। “यह क्या बात है भाई, यह इस तरह नंगा रहेगा क्या?”
गार्ड ने अन्दर झांका‒“गैस चैम्बर की सजा पाये कैदी के हम ज्यादा से ज्यादा कपड़े उतरवा देते हैं। अगर कपड़े बदन पर रहें तो गैस सारे कपड़ों में जज्ब हो जाती है और कैदी को गैस चैम्बर से निकालना मुश्किल हो जाता है।” वह बोला।
मैंने वैस्सी की ओर फिर निगाह डाली। वह गमगीन तो जरूर लग रहा था। लेकिन भयभीत नहीं था या भयभीत न होने का ड्रामा कर रहा था। उसके पास ही एक ठिगना मोटा सा पादरी चिन्तित मुद्रा में बैठा कुछ गुनगुना रहा था। वैस्सी उसकी इस क्रिया से बोर सा होता हुआ दिखाई पड़ रहा था।
वार्डन कमरे में मेरी ओर से बिल्कुल लापरवाही दिखाता हुआ आगे आया और अचानक मुझे अपने शरीर में ठंडक की लहर सी दौड़ती महसूस होने लगी। मेरे शरीर से पसीने फूटने लगे।
उसने गार्ड की ओर उंगली का इशारा करते हुए, “ओ. के.” कहा।
गार्ड ने कोठरी का ताला खोला। अचानक वैस्सी के चेहरे पर उद्विग्नता दिखाई देने लगी। उसने गार्ड की ओर से मेरी ओर देखा, मैंने आंख का इशारा करके उसे कुछ कहने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरे अपने ऐसा करने का प्रयोजन सिर्फ वैस्सी को यह जताना था कि मेरी संवेदना तुम्हारे साथ है।
गार्ड ने वैस्सी का कंधा थपथपाया और उसे चलने का इशारा किया। वैस्सी तुरन्त उठ खड़ा हुआ और स्थिर कदमों से गार्ड के पीछे चल दिया। उसके हाथों में हथकड़ियां लगी हुई थीं जिन्हें वह रह-रहकर उमेठ रहा था। कमरे में पादरी के प्रार्थना करने की हल्की-हल्की बुदबुदाहट गूंज रही थी।
वार्डन ने औपचारिकता के तौर पर उसकी मौत का वारन्ट पढ़ा। उसके कानों के पीछे पसीना चुहचुहाता दिखाई पड़ रहा था। वारन्ट पढ़ने के बाद वह वैस्सी की ओर देखते हुए बोला‒“कोई अन्तिम शब्द!”
मुझे इसी की तो प्रतीक्षा थी। मैं सरक कर उसके पास पहुंच गया। मैंने इधर-उधर निगाहें डालीं, खिड़कियों से चिपटे मुझे मेरे अन्य साथी दिखाई दिए। उनकी निगाहें स्थिर भाव से मुझे घूर रही थीं‒वैस्सी ने मेरी आं