Coffin From Hong Kong in Hindi (Maut Ka Saudagar)
95 pages
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Coffin From Hong Kong in Hindi (Maut Ka Saudagar) , livre ebook

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Description

About the Author : Born in Great Britain, Hadley Chase is well known thriller writer of all time, world wide. His birth name was Rene Lodge Brabazon Raymond. He wrote almost half a dozen books by his pseudonym. But in the 80's his novels were best sold all over the world under the name 'Chase'. Movies were also made on his novels in many languages. In 1985 he died in SwitzerlandsAbout the Book : James Hadley Chase is a very famous international English author, and most of his novel have been developed into the movies, he is one of the best known thriller writers of all times, his novels are full of sex, and thrill and action that compel you to finish the whole Story in one go. 'Maut Ka Saudagar' is the hindi translation of his famous novels "A Coffin From Hong Kong" You well really enjoy it.

Informations

Publié par
Date de parution 01 juin 2020
Nombre de lectures 0
EAN13 9789352616879
Langue English

Informations légales : prix de location à la page 0,0120€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.

Extrait

मौत के सौदागर

 
eISBN: 978-93-5261-687-9
© प्रकाशकाधीन
प्रकाशक: डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि .
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली-110020
फोन: 011-40712100, 41611861
फैक्स: 011-41611866
ई-मेल: ebooks@dpb.in
वेबसाइट: www.diamondbook.in
संस्करण: 2016
मौत के सौदागर
लेखक : जेम्स हेडली चेईज
मौत के सौदागर
मैं ऑफिस बन्द करने ही जा रहा था कि टेलीफोन की घंटी बज उठी। उस समय छः बजकर दस मिनट हुए थे। सारा दिन बड़ा बोर और बगैर कुछ कमाई किये गुजरा था-उस दिन न तो कहीं से कोई पत्र आदि ही आया था और न ही कोई मुलाकाती अतः सारा दिन मक्खियां मारते ही गुजरा था। अब जैसे ही टेलीफोन की घंटी बजी तो मैंने बड़ी आशावादी नजरों से उसे देखते हुए रिसीवर उठा लिया।
‘मि० रियान।’ एक पुरुष स्वर सुनाई पड़ा।
‘जी।’
‘आप प्राइवेट इनवेस्टीगेटर हैं।’
‘बिल्कुल सही समझे आप।’
कुछ क्षण लाइन पर चुप्पी छाई रही-मैंने उसे भारी-भारी सांसें लेेते हुए सुना। फिर बोला-मेरे पास कुछ ही मिनटों का समय है। मैं एयरपोर्ट पर हूं। मैं आपकी सेवायें प्राप्त करना चाहता हूं।’
मैंने लिखने के लिए पैड अपनी ओर खींच लिया।
‘आपका नाम और पता?’ मैंने पूछा।
‘जान हार्डविक, 33 कनाट बोलेवर्ड।’
मैंने नाम और पता पैड पर लिख लिया-‘आप मुझसे क्या काम करवाना चाहते है मि० हार्डविक?’ मैंने पूछा।
‘आपको मेरी पत्नी की निगरानी करनी होगी।’ कुछ क्षणों तक फिर चुप्पी छाई रही। चुप्पी के दौरान फिर मुझे हवाई जहाज के उड़ान भरने की आवाज सुनाई दी। उसने कुछ कहा, लेकिन हवाई जहाज के इंजन की गर्जना में मैं उसके शब्द स्पष्ट रूप से नहीं सुन सका।
‘मैं आपकी बात साफ-साफ नहीं सुन सका हूं मि० हार्डविक।’
जेट की आवाज खत्म हो जाने तक वह चुप रहा-फिर वह जल्दी-जल्दी कहने लगा, ‘अपने धंधे के सिलसिले में मुझे महीने में दो बार न्यूयार्क जाना पड़ता है। मुझे शक है कि मेरी अनुपस्थित के दौरान मेरी पत्नी मेरे प्रति वफादार नहीं रहती। मैं तुम्हारे द्वारा उसकी गतिविधियों की जांच करवाना चाहता हूं। मैं परसों शुक्रवार को वापस लौटूंगा। मैं जानना चाहता हूं कि मेरी गैरहाजिरी में वह क्या करती है। बताओ-कितना खर्च होगा?’
आमतौर पर ऐसे काम करने में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं होती थी। कोई और वक्त होता तो मैं शायद इंकार कर देता, पर आज की बात दूसरी थी। अतः मैंने यह काम करना मंजूर कर लिया। कुछ न होने से तो यह अच्छा ही था।
‘आप क्या बिजनिस करते है मि० हार्डविक? मैंने पूछा।
‘मैं हैरोन की प्लास्टिक कम्पनी में हूं।’ यह तनिक बेसब्रेपन से बोला।
हैरोन प्लास्टिक, पैस्फिक कोस्ट की बहुत बड़ी कंपनियों में से एक थी। पेस्साडोना शहर की समृद्धि में उसका बहुत बड़ा हाथ था।
‘पचास डालर रोज तथा बाकी का खर्च अलग।’ मैंने अपनी साधारण फीस से दस डालर बढ़ाकर बताई।
‘ठीक है।’ तीन सौ डालर मैं तुम्हें फौरन भेज रहा हूं-मैं चाहता हूं कि तुम मेरी पत्नी का साये की तरह से पीछा करते रहो। वह जहां जाये, तुम उसके पीछे लगे रहो। अगर वह घर पर ही रहती है तो तुम्हें यह देखना होगा कि उससे मिलने कौन-कौन आता है। कर सकोगे यह काम?’
तीस सौ डालरों के बदले में तो मैं इससे कही सख्त काम कर सकता था। मैं बोला-‘जरूर कर पाऊंगा-लेकिन क्या आप यहां तशरीफ नहीं ला सकते। मैं अपने क्लाइंट से मिलना चाहता हूं।’
‘मैं जरूर मिलता, लेकिन मैं फौरन न्यूयार्क रवाना हो रहा हूं और अपनी पत्नी की निगरानी करवाने का फैसला मैंने अभी किया है। मैं तुमसे शुक्रवार को मिलूंगा। तुम्हारी ओर से यह आश्वासन पाना चाहता हूं कि मेरे लौटने तक तुम मेरी पत्नी की निगरानी करते रहोगे।’
‘उसके लिए आप निश्चिंत रहिए।’ मैं बोला-फिर कुछ ठिठक गया, क्योंकि शायद दूसरी ओर फिर कोई जहाज उड़ान भरने की तैयारी कर रहा था-‘मुझे आपकी पत्नी का हुलिया चाहिये मि० हार्डविक।’
‘तैंतीस, बोलेवर्ड।’ वह बोला-‘मेरी पुकार हो रही है-मैं चलता हूं वरना प्लेन छूट जायेगा।’
‘मैं तुमसे शुक्रवार को मिलूंगा।’ उसके बाद लाइन कट गई।
पिछले पांच वर्षों में प्राइवेट इनवेस्टीगेटर का कार्य कर रहा था और इस दौरान मुझे विभिन्न स्वभाव के सिरफिरे क्लाइंटों से वास्ता पड़ता रहा था। शायद यह हार्डविक भी कोई ऐसा ही क्लाइंट था, लेकिन बोल चाल के लहजे से तो वह किसी बोझ तले दबा आदमी मालूम होता था। शायद वह पिछले कई महीनों से अपनी पत्नी के चरित्र के प्रति चिन्तित था और अब फिर से सफर पर जाने से पहले उसे अचानक ही अपनी पत्नी की निगरानी कराने का विचार हो उठा था।
ऐसा हो सकता था-लेकिन फिर भी मुझे यह काम पसन्द नहीं था। मैं गुमनाम ग्राहकों को पसन्द नहीं करता था। मैं टेलीफोन पर अपने वाली आवाज से नहीं, क्लाइंट से आमने सामने बैठकर बात करना पसन्द करता हूं। मुझे भी तो पता लगना चाहिए कि आखिर मैं काम किसके लिए कर रहा हूं।
अभी मैं सूचना पर विचार ही कर रहा था कि मैंने गलियारे में किसी के भारी कदमों की आहट सुनी। फिर मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई-फिर दरवाजा खुला।
एक ऐक्सप्रेस मैसेंजर ने अन्दर कदम रखा। उसने एक लिफाफा मेरी डेस्क पर रख दिया और मेरे हस्ताक्षर लेने के लिए अपनी साइन बुक आगे बढ़ा दी।
वह एक चितकबरे चेहरे वाला कम उम्र का लड़का था। मेरे हस्ताक्षर करने के दौरान वह मेरे छोटे से गंदे कमरे का बारीकी से निरीक्षण करता रहा।
जब वह कमरे से बाहर चला गया तो मैंने लिफाफा खोला। उसमें दस-दस डालर के तीस नोट थे। एक कार्ड पर उसका पता टाइप किया हुआ था।
भेजने वाला-जान हार्डविक 33, कनाट बोलेवर्ड, पेस्साडोना सिटी।
कुछ क्षण के लिए मैं उलझन में पड़ गया। उसने इतनी फुर्ती से मुझे पैसा किस तरह भेज दिया। वह तो एयरपोर्ट से बोल रहा था। फिर मुझे ख्याल आया कि एक्सप्रेस मैसेन्जर कम्पनी के साथ उसका एकाउंट चलता होगा। मुझसे संपर्क करने के बाद उसने उन्हें भी टेलीफोन कर दिया होगा कि वह मुझे तीन सौ डालर भेज दें। उनका दफ्तर पास ही सड़क की दूसरी ओर था।
मैंने टेलीफोन डायेरेक्ट्री अपनी ओर खींच ली और उसमें हार्डविक वाला कालम निकाल लिया। डायेरेक्ट्री में कोई जान हार्डविक नाम अनुसूचित नहीं था। फिर मैंने स्ट्रीट डायरेक्ट्री निकाली-उसके अनुसार 33, कनाट बोलेवर्ड पर कोई जैक मायर्स जूनियर रहता था न कि जान हार्डविक।
मैं सोचता रहा। तभी मुझे याद हो आया, कनाट बोलेवर्ड पालमा माउंटेन से परे नगर से तीन मील दूर एक सड़क थी। वह ऐसा इलाका था जहां लोग छुट्टियां मनाने कहीं बाहर जाते तो अपना मकान किसी को किराये पर दे जाते थे शायद हार्ड विक के भी साथ ऐसी ही कोई बात हुई थी। संभवतः वह हैरोन कॉरपोरेशन का कोई उच्चाधिकारी था, जिसका अपना मकान अभी बनकर तैयार नहीं हो पाया था और उतने अरसे के लिए शायद उसने जैक मायर्स जूनियर का 33 कनाट बोलेवर्ड वाला मकान किराये पर ले लिया था।
काफी अरसा पहले सिर्फ एक बार ही मैं वहां गया था। मुझे उसमें कोई विशेष बात नहीं दिखी थी। मामूली इलाका था। अधिकतर मकानों का निर्माण लड़ाई के बाद ही हुआ था। अधिकांश मकान ईंट और टिम्बर से बनी बंगलेनुमा इमारतें थी। कनाट बोलेवर्ड की एकमात्र विशेषता सिर्फ यही थी कि वहां से शहर और समुद्र का बड़ा दिलकश नजारा होता था और वहां शोर-शराबा भरा माहौल नहीं था।
जितना ज्यादा मैं प्रस्तुत काम के बारे में सोचता, उतना ही ज्यादा वह मुझे नापसन्द होता जा रहा था। जिस औरत की निगरानी के लिए मेरी सेवायें प्राप्त की गई थी, मैं उसकी सूरत तक नहीं पहचानता था। अगर मुझे तीन सौ डालर एडवांस में न मिले होते तो मैं बगैर हार्डविक से मिले इस काम को छूता तक नहीं। पर चूंकि मुझे एडवांस मिल चुका था, अतः इस स्थिति में मुझे इस काम को करना ही था।
मैंने अपना ऑफिस बंद किया और दरवाजे से ताला लगाकर बाहर निकलकर लिफ्ट की ओर बढ़ा।
मेरे ऑफिस के साथ वाला दफ्तर एक इंडस्ट्रियल केमिस्ट का था-जो अभी तक भी अपने काम में उलझा हुआ था। उसका भारी स्वर बाहर गलियारे में गूंज रहा था। शायद वह अपनी सेक्रेटरी को या फिर टेपरिकार्डर पर अपना डिक्टेशन दे रहा था।
मैं लिफ्ट द्वारा नीचे उतरा और इमारत के बाहर आ गया। गली पार करके उस क्विक स्नैक बॉर में घुस गया, जहां मैं खाना खाने के लिए अक्सर जाता रहता था। मैंने स्पैरों नामक काउंटरमैन को दो हैम और चिकन सैंडविच बनाने को कहा।
स्पैरो एक लम्बा, पतला सफेद बालों वाला आदमी था। उसे मेरे काम में भारी दिलचस्पी थी। वह भला आदमी था। उसे खुश करने के लिए मैं यदा-कदा उसे अपनी ऐडवेंचर सम्बन्धी कोई काल्पनिक कहानी सुना दिया करता था।
‘आज कोई केस देख रहे है मि० रियान?’ उसने सैंडविच तैयार करते हुए व्यग्र स्वर में पूछा।
‘हां।’ मैं बोला-‘आज की रात मैं एक क्लाइंट की पत्नी के साथ गुजारने वाला हूं ताकि वह अपने पति की गैर मौजूदगी में कोई शरारत न कर सके।’
उसका मुंह आश्चर्य से खुल गया-‘क्या सच में ही?’ वह बोला। फिर पूछा-
‘वह दिखने में कैसी है मि० रियान?’
‘तुमने ऐलिजाबेथ टेलर को देखा है?’
‘उसने हामी भरी। उसकी सासें भारी हो गई।
‘और मार्लिन मनरो को?’
‘हां।’ वह थूक निगलता हुआ बोला।
मेरे होंठों पर उदास मुसकराहट उभरी।
‘यह दोनों में से किसी जैसी नहीं है।’
उसकी पलके झपकने लगी। जब वह समझ गया कि मैं उससे मजाक कर रहा था तो वह हंस पड़ा।
‘आप मुझे उल्लू बना रहे थे मि० रियान।’ वह हंसता हुआ बोला।
‘जल्दी करो स्पैरो-मुझे अपनी रोजी-रोटी भी कमानी है।’
उसने सैंडविच एक लिफाफे में डाल दी और लिफाफा मुझे पकड़ा दिया। वह बोला-
‘कोई ऐसी बात मत करना मि० रियान, जिसकी आपको उजरत न मिल रही हो।’
जब सात बजने में बीस मिनट बाकी थे। मैं अपनी कार में बैठ और कनाट बोलेवर्ड की आरे बढ़ा। मुझे कोई जल्दी नहीं थी। सूरज डूबने के उपरांत मैं वहां पहुंच गया।
बोलेवर्ड के बंगलों के सामने झाड़-झंखाड़ उगे हुए थे। मैं धीमी गति से कार ड्राइव करता हुआ तैंतीस नम्बर के सामने से गुजरा। वह इमारत एक विशाल फाटक के पीछे छिपी हुई थी। कोई बीस गज आगे एक स्थान था, जहां से समुद्र का नजारा किया जा सकता था। वहां जाकर मैंने कार रोक दी और ड्राइविंग सीट से उतरकर पिछले हिस्से की सीट पर जा बैठा। वहां से मुझे तैंतीस नम्बर का फाटक साफ दिखाई दे रहा था।
इंतजार के अलावा और कुछ करने के लिए नहीं था। और इंतजार करने के मुझे अच्छी-खासी आदत थी। मेरे जैसे धंधे वाले व्यक्ति के लिए इंतजार सबसे जरूरी चीज थी।
अगले एक घंटे में तीन चार कारें वहां से गुजरीं। लोग बाग अपने-अपने काम धंधों से वापस लौट रहे थे। वे शायद वह समझ रहे थे कि मैं किसी लड़की का इंतजार कर रहा था। उनमें से शायद ही किसी को यह सूझा हो कि मैं अपने क्लाइंट की बीवी की निगरानी का काम कर रहा था।
तंग-सी स्लैक्स और स्वेटर पहने एक लड़की मेरी कार के समीप से गुजरी। उसके आगे-आगे एक छोटा सा कुत्ता कूदता हुआ चल रहा था। लड़की ने एक नजर मुझ पर डाली और आगे बढ़ गई। मैंने जी भरकर उसके खूबसूरत जिस्म को निहारा और उसे तक तक देखता रहा जब तक कि वह मेरी निगाहों से ओझल न हो गई।
नौ बजते खूब अंधेरा हो गया। मैंने लिफाफा खोलकर एक सैडविच निकाल ली और व्हिस्की के साथ सैंडविच खाने लगा।
अब तक मैं बहुत इंतजार कर चुका था। तंग आकर मैं कार से बाहर निकला और तैंतीस नम्बर के फाटक पर पहुंचा। मैंने फाटक को देखकर भीतर झांका। सामने एक खूबसूरत-सा बगीचा था। बगीचे से गुजरता हुआ एक रास्ता बंगले के बरामदे तक जाता था।
बंगले में अंधेरा था। इसलिए मैंने यही नतीजा निकाला कि घर में कोई मौजूद नहीं था। फिर भी अपनी तसल्ली के लिए मैंने एक चक्कर पिछवाड़े का भी लगाया। वहां भी घनघोर अंधेरा व्याप्त था।
हताश होकर मैं अपनी कार की ओर लौट आया। लगता था कि पति के एयरपोर्ट का रुख करते ही मिसेज हार्डविक बंगले से निकल गई थी।
अब वहां बैठे रहने और इस बात का इंतजार करने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था कि वह रात को किस समय वापस लौटकर आयेगी। मैंने तीन सौ डालर एडवांस में लिए थे, इसलिए इंतजार तो मुझे करना ही था।
सुबह के तीन बजे मुझे नींद ने आ दबोचा।
कार की खिड़की से आती सूरज की पहली किरणें जिस्म पर पड़ते ही मैं उठ गया। उस हालत में सोते रहने से म

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