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Description
Informations
Publié par | V & S Publishers |
Date de parution | 01 septembre 2015 |
Nombre de lectures | 0 |
EAN13 | 9789352151486 |
Langue | Hindi |
Poids de l'ouvrage | 1 Mo |
Informations légales : prix de location à la page 0,0300€. Cette information est donnée uniquement à titre indicatif conformément à la législation en vigueur.
Extrait
बच्चों के लिए
रामायण की कहानियाँ
जे. एम. मेहता
प्रकाशक
F-2/16, अंसारी रोड, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002 23240026, 23240027 • फैक्स: 011-23240028 E-mail: info@vspublishers.com • Website: www.vspublishers.com
क्षेत्रीय कार्यालय : हैदराबाद
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शाखा : मुम्बई
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© कॉपीराइट: वी एण्ड एस पब्लिशर्स ISBN 978-93-505708-7-6
डिस्क्लिमर
इस पुस्तक में सटीक समय पर जानकारी उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास किया गया है। पुस्तक में संभावित त्रुटियों के लिए लेखक और प्रकाशक किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं होंगे। पुस्तक में प्रदान की गई पाठ्य सामग्रियों की व्यापकता या संपूर्णता के लिए लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की वारंटी नहीं देते हैं।
पुस्तक में प्रदान की गई सभी सामग्रियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन के तहत सरल बनाया गया है। किसी भी प्रकार के उदाहरण या अतिरिक्त जानकारी के स्रोतों के रूप में किसी संगठन या वेबसाइट के उल्लेखों का लेखक प्रकाशक समर्थन नहीं करता है। यह भी संभव है कि पुस्तक के प्रकाशन के दौरान उद्धत वेबसाइट हटा दी गई हो।
इस पुस्तक में उल्लीखित विशेषज्ञ की राय का उपयोग करने का परिणाम लेखक और प्रकाशक के नियंत्रण से हटाकर पाठक की परिस्थितियों और कारकों पर पूरी तरह निर्भर करेगा।
पुस्तक में दिए गए विचारों को आजमाने से पूर्व किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। पाठक पुस्तक को पढ़ने से उत्पन्न कारकों के लिए पाठक स्वयं पूर्ण रूप से जिम्मेदार समझा जाएगा।
मुद्रक: परम ऑफसेटर्स, ओखला, नयी दिल्ली-110020
प्रकाशकीय
अनेक वर्षो से जन विकास सम्बन्धी पुस्तकें प्रकाशित करने के पश्चात् वी एण्ड एस पब्लिशर्स ने बच्चों के मनोरंजन के लिए कहानियों को कुछ चुनिंदा पुस्तकें प्रकाशित करने का निश्चय किया है। ये पुस्तके बाजार में बिक रही कहानी को साधारण पुस्तकों से थोड़ी अलग हटकर है जो बच्चों का भरपूर मनोरंजन करने के साथ उनका ज्ञानवर्द्धन भी करेगी। हम गीपू बुक्स सीरीज के तहत पंचतंत्र की कहानियाँ पहले ही प्रकाशित कर चुके हैं। गीपू बुक्स को बाज़ार से भरपूर सराहना मिली है। पाठकों से मिल रही निरंतर प्रशंसा से उत्साहित होकर हम अपने पाठकों के लिए कहानियों की दूसरी विशिष्ट श्रृंखला प्रकाशित कर रहें हैं।
रामायणा की कथा अब तक भारत की कई प्रमुख भाषाओं में लिखी जा चुकी है।इसकी प्रसद्धि भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में फैली है।वी एण्ड एस पब्लिशर्स ने सम्पूर्ण महाकाव्य को चालीस छोटी-छोटी कहानियों में प्रस्तुत किया है।कोई भी कहानी एक पृष्ठ से ज्यादा लम्बी नहीं हैं। जिससे बच्चों को इसे पढ़ने में कठिनाई न हो।
रामायण के प्रमुख पात्रों राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुधन, हनुमान और रावण भारत की संस्कृति के सामाजिक मूल्यों क्रो प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस पुस्तक में सजीव चित्रों के द्वारा उन परिस्थितियों का वर्णन किया गया है जिसे देखकर बच्चे रामायणकाल के दिनों की सजीव कल्पना कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि यह पुस्तक बच्चों के मनोरंजन और ज्ञान के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी।
कहानियों की एक आदर्श पुस्तक सभी के लिए है।
बच्चों के अभिभावक के द्वारा पुस्तक सम्बन्धी किसी बहुमूल्य सुझाव को पाकर हमे अत्यन्त प्रसन्नता होगी।
विषय-सूची
परिचय
1. अयोध्या के राजा दशरथ
2. राम का जन्म
3. ताड़क वध
4. गौतम ऋषि का श्राप
5. सीता का अवतरण
6. सीता स्वयंवर
7. कैकेयी कोपभवन में
8. कैकेयी ने दोनों वर माँगे
9. राम का वनवास प्रस्थान
10. श्रवण कुमार का वध
11. भरत और शत्रुधन ननिहाल से अयोध्या लौटे
12. राम-भरत मिलाप
13. अगस्त्य मुनि से भेंट
14. लक्ष्मण ने सूर्पनखा के नाक-कान काटे
15. मायावी हिरण
16. सीता का अपहरण
17. सबरी के जूठे बेर
18. राम और सुग्रीव की मित्रता
19. पवनपुत्र हनुमान
20. बाली का बध
21. सीता की खोज
22. राक्षसों ने हनुमान को बंदी बनाया
23. लंका दहन
24. हनुमान लंका से लौटे
25. लंका पर आक्रमण
26. कुंम्भकर्ण युद्ध
27. इन्द्रजीत से युद्ध
28. रावण का अन्त
29. विभीषण का राज्याभिषेक
30. वनवास खत्म कर राम अयोध्या लौटे
31. अपमानजनक टिप्पणी
32. सीता का निर्वासन
33. वाल्मिकी ऋषि के आश्रम में सीता
34. राम का अश्वमेघ यज्ञ
35. लव-कुश से सेनिकों का युद्ध
36. लव-कुंश का राम से युद्ध
37. सीता ने बन्दी हनुमान को देखा
38. सीता धरती में समा गयीं
39. राम के स्वर्ग जाने की इच्छा
40. राम का संसार त्याग
परिचय
रामायण प्राचीन भारत का एक अतिलोकप्रिय महाकाव्य हैं। रामायण का मतलब है अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम को सम्पूर्ण जीवनगाथा। रामायण की मूल रचना महर्षि वाल्मिकी ने संस्कृत भाषा में की थी बाद में तुलसीदास ने इन छन्दों की रचना हिन्दी में रामचरित मानस के रूप में की। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चारित्रिक गुणों और बुराई पर अच्छाईं की जीत की विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है। रामायण में लिखे गये मानवीय मूल्यों को पढ़कर भारतवासी इसे श्रद्धा और आदर को दृष्टि से देखते हैं। इसे हिन्दूओं का सबसे पवित्र धर्मग्रन्थ माना जाता है। भारत के अधिकांश मंदिरों में सुबह और शाम रामायण को चौपाइयाँ बड़े ही भक्ति भाव से गायी जाती है।
रामायण को प्रसिद्धि का पता इस बात से चलता है कि पूरे भारतवर्ष में रामलीला का मंचन साल में विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग रूपों में किया जाता है। रामलीला का भव्य मंचन भारत के अलावा विदेशों में भी किया जाता है। प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू बड़े रोचक अंदाज में राम कथा के दृष्टांतों का वर्णन करते है जिसे दुनिया भर में करोड़ों लोग प्रतिदिन श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ देखते हैं। रामायण धारावाहिक का प्रसारण टीवी पर दिखाया गया जिसे भक्तों ने बड़े भक्तिभाव के साथ देखा।जो भक्त मंदिर या घर में रामायण का नियमित रूप से पाठ या श्रवण करते हैं उनके घरों में शान्ति और खुशहाली सदैव विराजमान रहती डै।
1
अयोध्या के राजा दशरथ
दशरथ सरयू नदी के तट पर स्थित अयोध्या के महान राजा थे। वह सूर्यवंशी राजा रघु के पौत्र थे। इसलिए सूर्यवंश को रघुवंश के नाम से भी जाना जाता है। दशरथ अपने पूर्वजों के समान उच्च गुणों के अधिकारी और प्रजा के लोकप्रिय शासक थे। उनकी तीन रानियाँ थी जिनमें कौशल्या सबसे बड़ी रानी, सुमित्रा मंझली रानी तथा कैकेयी सबसे छोटी रानी थी।
यद्यपि राजा दशरथ एक शक्तिशाली और लोकप्रिय शासक थे फिर भी कोई संतान नहीं होने के कारण वह हमेशा चिंता में डूबे रहते थे। एक दिन राजा दशरथ ने महर्षि वशिष्ठ को अपने राजदरबार में आमंत्रित किया।महर्षि वशिष्ठ के राजदरबार में पधारने के पश्चात् राजा दशरथ ने उनके सामने मन की व्यथा व्यक्त करते हुए कहा “मैं बहुत उदास हूँ क्योकि मेरी कोई संतान नहीं है। यदि मेरा उत्तराधिकारी नहीं होगा और मेरी मृत्यु हो जायेगी तो मेरे बाद इस सूर्यवंश का भी अन्त हो जायेगा। कृपया, मुझे कोई उपाय बतायें जिससे कि मेरी वंश परंपरा का अन्त नहीं हो।
महर्षि वशिष्ट एक महान दूरद्रष्टा थे। उन्होंने राजा दशरथ से श्रृंगी ऋषि को राजमहल में आमंत्रित करने और उनकी देखरेख में एक यज्ञ का आयोजन करने की सलाह दी। राजा दशरथ श्रृंगी ऋषि के निकट गये और उन्हें आदर सहित अयोध्या में यज्ञ करने के लिए आमंत्रित किया।यज्ञ को पूर्णाहुति पर यज्ञ की पवित्र अग्नि से अलौकिक खीर प्रकट हुआ।श्रृंगी ऋषि ने खीर की कटोरी राजा दशरथ को देकर कहा ‘यह प्रसाद तुम्हारी रानियों के लिए है। इसे ग्रहण करने के पश्चात् वे चार तेजस्वी पुत्रों को जन्म देंगी।' राजा दशरथ ने श्रृंगी ऋषि के हाथों से प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात् खीर का प्रमाद अपनी तीनों रानियों को ग्रहण करने के लिए दिया।
2
राम का जन्म
श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ को सलाह दी कि वह तीनों रानियों को यह पवित्र खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने को कहें, जिससे वे तेजस्वी पुत्रों को जन्म देंगी। समय आने पर चारों राजकुमारों का जन्म हुआ। सबसे बड़ी रानी कौशल्या ने बड़े पुत्र राम को जन्म दिया। दूसरी रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुधन को और सबसे छोटी रानी कैकेयी ने भरत को जन्य दिया। तीनों रानी और राजा दशरथ बहुत खुश हुए। सबसे बड़े पुत्र राम का जन्म चैत्र मास की नवीं तिथि को हुआ था।चारों राजकुमारों के जन्म के अवसर पर राजा, रानी के साथ सभी अयोध्या नगरवासी बेहद खुश थे।
राजा दशरथ जो अपने समय के एक महान धनुर्धर थे। उन्होंने अपने चारों पुत्रों को धनुष विद्या के कला-कौशल सिखाये। इसके पश्चात् वे वशिष्ट ऋषि के आश्रम में औपचारिक शिक्षा के लिए भेजे गये। वे एक महान गुरु थे। उनके मार्ग निर्देशन में चारों ने सभी प्रकार के गुण अपने अध्ययन की अवधि में सीखा। जब उनकी शिक्षा पूरी हुई तो वे अपने माता-पिता के निकट राजमहल लौट आये। माता-पिता और प्रजा उन्हें देखकर काफी खुशा हुए।
अयोध्या में शिरोमणि श्रीराम ने अपने तीनों छोटे भाइयों को राजधर्म के बारे में बताया। उन्होंने प्रजा की भलाई के लिए संसार में उच्च आदर्श प्रस्तुत किये। राजा दशरथ अपने चारों वीर पुत्रों को प्रजा के बीच लोकप्रिय होते देखकर अत्यन्त प्रसन्न थे।